उस ने चोली घाघारी निकल दी. मैंने पहले बताया था की बसंती कोई इतनी ख़ूबसूरत नहीं थी. पाँच फ़ीट दो इंच की उँचाई के साथ पचास किलो वज़न होगा. रंग सांवला, चहेरा गोल, आँखें और बल काले. नितंब भारी और चिकाने. सब से अचच्े थे उस के स्तन. बड़े बड़े गोल गोल स्तन सीने पैर उपरी भाग पैर लगे हुए थे. मेरी हथेलिओं में समते नहीं थे. दो इंच की अरेओला और छोटी सी निपपले काले रंग के थे. चोली निकल ते ही मैंने दोनो स्तन को पकड़ लिया, सहलाया, दबोचा और मसला. antarvasna
उस रात बसंती ने मुझे पुख़्त वाय की भोस दिखाई. मोन्स से ले कर, बड़े होत, छ्होटे होत, क्लटोरिस, योनी सब दिखाया. मेरी दो उंगलियाँ छूट में डलवा के छूट की गहराई भी दिखाई, ग-स्पोत दिखाया. वो बोली, ‘ये जो क्लटोरिस है वो मरद के लंड बराबर होती है छोड़ते वक़्त ये भी लंड की माफ़िक कड़ी हो जाती है दूसरे, तू ने छूट की दिवालें देखी ? कैसी कारकरी है ? लंड जब छोड़ता है तब ये कारकरी दीवालों के साथ घिस पता है और बहुत मज़ा आता है हाय, लेकिन बच्चे का जन्म के बाद ये दिवालें चिकानी हो जाती है छूट चौड़ी हो जाती है और छूट की पकड़ काम हो जाती है
मुझे लेता कर वो बगल में बेइत गयी मेरा लंड तोड़ा सा नर्म होने चला था, उस को मुट्ठि में लिया. टोपी खींच कर मट्ता खुला किया और जीभ से चटा. तुरंत लंड ने तुमका लगाया और तटर हो गया. में देखता रहा और उस ने लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी मुँह में जो हिस्सा था उस पैर वो जीभ फ़ीयरती थी, जो बाहर था उसे मुट्ठि में लिए मूट मरती थी. दूसरे हाथ से मेरे वृषाण टटोलती थी. मेरे हाथ उस की पीठ सहला रहे थे.
Antarvasna mastram – पूरी रात बिस्तर में भाभी की चुदाई
मैंने हस्ट मैथुन का मज़ा लिया था, आज एक बार छूट छोड़ने का मज़ा भी लिया. इन दोनो से अलग किसम का मज़ा आ रहा था लंड चूसवाने में. वो भी जलदी से एक्शसीते होती चली थी. उस के तुँक से लाड़बड़ लंड को मुँह से निकल कर वो मेरी जांघे पैर बेइत गयी अपनी जांघें चौड़ी कर के भोस को लंड पैर टिकया. लंड का मट्ता योनी के मुख में फसा की नितंब नीचा कर के पूरा लंड योनी में ले लिया. उस की मोन्स मेरी मोन्स से जुट गयी. mastram
‘उहहहहह, मज़ा आ अगया. मंगल, जवाब नहीं तेरे लंड का. जितना मीठा मुँह में लगता है इतना ही छूट में भी मीठा लगता है कहते हुए उस ने नितंब गोल घुमए और उपर नीचे कर के लंड को अंदर बाहर कर ने लगी आठ दस धक्के मार ते ही वो तक गयी और ढल पड़ी. मैंने उसे बात में लिया और घूम के उपर आ गया. उस ने टाँगें पसारी और पाँव अड्धार किया. पॉसीटिओं बदलते मेरा लंड पूरा योनी की गहराई में उतर गया. उस की योनी फट फट करने लगी
सिखाए बिना मैंने आधा लंड बाहर खींचा, ज़रा रुका और एक ज़ोरदार धक्के के साथ छूट में घुसेद दिया. मोन्स से मोन्स ज़ोर से टकराई. मेरे वृषाण गांड से टकराए. पूरा लंड योनी में उतर गया. ऐसे पाँच सात धक्के मारे. बसंती का बदन हिल पड़ा. वो बोली, ‘ऐसे, ऐसे, मंगल, ऐसे ही छोड़ो मुझे. मारो मेरी भोस को और फाड़ दो मेरी छूट को.’
भगवान ने लंड क्या बनाया है छूट मार ने के लिए कठोर और चिकना; भोस क्या बनाई है मार खाने के लिए घनी मोन्स और गद्दी जैसे बड़े होत के साथ. जवाब नहीं उन का. मैने बसंती का कहा माना. फ़्री स्टयले से तापा ठप्प में उस को छोड़ ने लगा. दस पंद्रह धक्के में वो ज़द पड़ी. मैंने पिस्तोनिंग चालू रक्खा. उस ने अपनी उंगली से क्लटोरिस को मसला और डूसरी बार ज़ड़ी. उस की योनी में इतने ज़ोर से संकोचन हुए की मेरा लंड डब गया, आते जाते लंड की टोपी उपर नीचे होती चली और मट्ता ओर टन कर फूल गया. मेरे से अब ज़्यादा बारदस्त नहीं हो सका. छूट की गहराई में लंड दबाए हुए में ज़ोर से ज़ड़ा. वीरय की चार पाँच पिचकारियाँ छ्छुथी और मेरे सारे बदन में ज़ुरज़ुरी फैल गयी में ढल पड़ा.
Antarvasna mastram – बहन को भाभी की मदद से चोदा
आगे क्या बतौँ ? उस रात के बाद रोज़ बसंती चली आती थी. हमें आधा एक घंटा समय मिलता था जब हम जाम कर छुड़ाई करते थे. उस ने मुझे काई टेचनक सिखाई और पॉसीटिओं दिखाई. मैंने सोचा था की काम से काम एक महीना तक बसंती को छोड़ ने का लुफ्ट मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. एक हपते में ही वो ससुराल वापस छाई गयी. antarvasna mastram
असली खेल अब शुरू हुआ.
बसंती के जाने के बाद तीन दिन तक कुच्छ नहीं हुआ. में हैर रोज़ उस की छूट याद कर के मूट मरता रहा. चौथे दिन में मेरे कमरे में पढ़ ने का प्रयत्न कर रहा था, एक हाथ में तटर लंड पकड़े हुए, और सुमन भाभी आ पहॉंची. ज़त पाट मैंने लंड छोड़ कपड़े सरीखे किया और सीधा बेइत गया. वो सब कुच्छ समाजति थी इस लिए मुस्कुराती हुई बोली, ‘कैसी चल रही है पढ़ाई, देवर्जी ? में कुच्छ मदद कर सकती हूँ ?’
भाभी, सब ठीक है मैंने कहा.
आँखों में शरारत भर के भाभी बोली, ‘पढ़ते समय हाथ में क्या पकड़ रक्खा था जो मेरे आते ही तुम ने छोड़ दिया ?’
नहीं, कुच्छ नहीं, ये तो..ये में आगे बोल ना सका.
तो मेरा लंड था, यही ना ?’ उस ने पूच्छा.
वैसे भी सुमन मुझे अचची लगती थी और अब उस के मुँह से ‘लंड’ सुन कर में एक्शसीते होने लगा. शर्म से उन से नज़र नहीं मिला सका. कुच्छ बोला नहीं.
उस ने धीरे से कहा, ‘कोई बात नहीं. मे समाजति हूँ लेकिन ये बता, बसंती को छोड़ना कैसा रहा? पसंद आई उस की काली छूट ? याद आती होगी ना ?’
Antarvasna mastram – पार्लर में मज़े
सुन के मेरे होश उड़ गाये सुमन को कैसे पता चला होगा? बसंती ने बता दिया होगा? मैंने इनकार करते हुए कहा, ‘क्या बात करती हो ? मैंने ऐसा वैसा कुच्छ नहीं किया है
‘अचच्ा ?’ वो मुस्कराती हुई बोली, ‘क्या वो यहाँ भजन करने आती थी?’
‘वो यहाँ आई ही नहीं,’ मैंने डरते डरते कहा. सुमन मुस्कुराती रही. antarvasna mastram
‘तो ये बताओ की उस ने सूखे वीरय से आकदी हुई निक्केर दिखा के पूच्छा, निक्केर किस की है तेरे पलंग से जो मिली है ?’
में ज़रा जोश में आ गया और बोला, ‘ऐसा हो ही नहीं सकता, उस ने कभी निक्केर पहेनी ही में रंगे हाथ पकड़ा गया.
मैंने कहा, ‘भाभी, क्या बात है ? मैंने कुच्छ ग़लत किया है ?’
उस ने कहा,’वो तो तेरे भैया नाक़की करेंगे.’
भैया का नाम आते ही में दर गया. मैंने सुमन को गिदगिड़ा के बिनती की जो भैया को ये बात ना बताएँ. तब उस ने शर्त रक्खी और सारा भेद खोल दिया.
सुमन ने बताया की भैया के वीरय में शुक्राणु नहीं थे, भैया इस से अनजान थे. भैया तीनो भाभियों को अचची तरह छोड़ते थे और हैर वक़्त ढेर सारा वीरय भी छोड़ जाते थे. लेकिन शुक्राणु बिना बच्चा हो नहीं सकता. सुमन चाहती थी की भैया चुआटी शादी ना करें. वो किसी भी तरह बच्चा पैदा करने को तुली थी. इस के वास्ते दूर जाने की ज़रूर कहाँ थी, में जो मोज़ूड़ था ? सुमन ने तय किया की वो मुज़ से छुड़वाएगी और मा बनेगी.
अब सवाल उठा मेरी मंज़ूरी का. में कहीं ना बोल दूं तो ? भैया को बता दूं तो ? मुझे इसी लिए बसंती की जाल में फासया गया था.
बयान सुन कर मैंने हास के कहा ‘भाभी, तुज़े इतना कष्ट लेने की क्या ज़रूरत थी ? तू ने कहीं भी, कभी भी कहा होता तो में तुज़े छोड़ने का इनकार ना करता, तू चीज़ ऐसी मस्त हो.’
Antarvasna mastram – पढाई करते हुए निशा की चुदाई की
उस का चहेरा लाल ला हो गया, वो बोली, ‘रहने भी दो, ज़ूते कहीं के. आए बड़े छोड़ने वाले. छोड़ ने के वास्ते लंड चाहिए और बसंती तो कहती थी की अभी तो तुमारी नुन्नी है उस को छूट का रास्ता मालूम नहीं था. सच्ची बात ना ?’
मैंने कहा, ‘दिखा दूं अभी नुन्नी है या लंड ?’
‘ना बाबा, ना. अभी नहीं. मुझे सब सावधानी से करना होगा. अब तू चुप रहेना, में ही मौक़ा मिलने पैर आ जौंगी और हम करेंगे की तेरी नुन्नी है. antarvasna
दोस्तो, दो दिन बाद भैया दूसरे गाँव गाये तीन दिन के लिए उन के जाने के बाद दोपहर को वो मेरे कमरे में चली आई. में कुच्छ पूचछुन इस से पहले वो बोली, ‘कल रात तुमरे भैया ने मुझे तीन बार छोड़ा है सो आज में तुम से गर्भवती बन जाओउं तो किसी को शक नहीं पड़ेगा. और दिन में आने की वजह भी यही है की कोई शक ना करे.’
वो मुज़ से छिपक गयी और मुँह से मुँह लगा कर फ़्रेंच क़िसस कर ने लगी मैंने उस की पतली कमर पैर हाथ रख दिए मुँह खोल कर हम ने जीभ लड़ाई. मेरी जीभ होठों बीच ले कर वो चुस ने लगी मेरे हाथ सरकते हुए उस के नितंब पैर पहुँचे. भारी नितंब को सहलाते सहलाते में उस की सारी और घाघारी उपर तरफ़ उठाने लगा. एक हाथ से वो मेरा लंड सहलाती रही. कुच्छ देर में मेरे हाथ उस के नंगे नितंब पैर फिसल ने लगे तो पाजामा की नदी खोल उस ने नंगा लांद मुट्ठि में ले लिया.
में उसको पलंग पर ले गया और मेरी गोद में बिताया. लंड मुट्ठि में पकड़े हुए उस ने फ़्रेंच क़िसस चालू रक्खी. मैंने ब्लौसे के हूक खोले और ब्रा उपर से स्तन दबाए. लंड छोड़ उस ने अपने आप ब्रा का हॉक खोल कर ब्रा उतर फेंकी. उस के नंगे स्तन मेरी हथेलिओं में समा गाये शंकु आकर के सुमन के स्तन चौदह साल की लड़की के स्तन जैसे छ्होटे और कड़े थे. अरेओला भी छोटी सी थी जिस के बीच नोकदर निपपले लगी हुई थी. मैंने निपपले को छिपति में लिया तो सुमन बोल उठी, ‘ज़रा होले से. मेरी निपपलेस और क्लटोरिस बहुत सेंसीटिवे है उंगली का स्पर्श सहन नहीं कर सकती.’ उस के बाद मैंने निपपले मुँह में लिया और चूस.
Antarvasna mastram – विधवा भाभी
में आप को बता दूं की सुमन भाभी कैसी थी. पाँच फ़ीट पाँच इंच की लंबाई के साथ वज़न था साथ किलो. बदन पतला और गोरा था. चहेरा लुंब गोल तोड़ा सा नरगिस जैसा. आँखें बड़ी बड़ी और काली. बल काले , रेशमी और लुंबे. सीने पैर छ्होटे छ्होटे दो स्तन जिसे वो हमेशा ब्रा से धके रखती थी. पेट बिल्कुल सपाट था. हाथ पाँव सूदोल थे. नितंब गोल और भारी थे. कमर पतली थी. वो जब हसती थी तब गालों में खड्ढे पड़ते थे. mastram
मैंने स्तन पकड़े तो उस ने लंड थाम लिया और बोली, ‘देवर्जी, तुम तो तुमरे भीया जैसे बड़े हो गाये हो. वाकई ये तेरी नुन्नी नहीं बल्कि लंड है और वो भी कितना तगड़ा ? हाय राम, अब ना तड़पाओ, जलदी करो.’
मैंने उसे लेता दिया. ख़ुद उस ने घाघरा उपर उठाया, जांघें छड़ी की और पाँव अड्धार लिए में उस की भोस देख के दंग रह गया. स्तन के माफ़िक सुमन की भोस भी चौदह साल की लड़की की भोस जितनी छोटी थी. फ़र्क इतना था की सुमन की मोन्स पैर काले ज़नट थे और क्लटोरिस लुंबी और मोटी थी. भीया का लंड वो कैसे ले पति थी ये मेरी समाज में आ ना सका. में उस की जांघों बीच आ गया. उस ने अपने हाथों से भोस के होत चौड़े पकड़ रक्खे तो मैंने लंड पकड़ कर सारी भोस पैर रग़ादा. उस के नितंब हिल ने लगे. अब की बार मुझे पता था की क्या करना है मैंने लंड का माता छूट के मुँह में घुसाया और लंड हाथ से छोड़ दिया. छूट ने लंड पकड़े रक्खा. हाथों के बल आगे ज़ुक कर मैंने मेरे हिप्स से ऐसा धक्का लगाया की सारा लंड छूट में उतर गया. मोन्स से मोन्स टकराई, लंड तमाक तुमक कर ने लगा और छूट में फटक फटक हो ने लगा.
में काफ़ी उत्तेजित हुआ था इसी लिए रुक सका नहीं. पूरा लंड खींच कर ज़ोरदार धक्के से मैंने सुमन को छोड़ ना शुरू किया. अपने छूटड़ उठा उठा के वो सहयोग देने लगी छूट में से और लंड में से चिकना पानी बहाने लगा. उस के मुँह से निकलती आााह जैसी आवाज़ और छूट की पूच्च पूच्च सी आवाज़ से कामरा भर गया.
Antarvasna mastram – ट्रैन में मिली मस्त लड़की को चोदा
पूरी बीस मिनिट तक मैंने सुमन भाभी की छूट मारी. दरमियाँ वो दो बार ज़ड़ी. आख़िर उस ने छूट ऐसी सीकुडी की अंदर बाहर आते जाते लंड की टोपी छाड़ उतर करने लगी मानो की छूट मूट मार रही हो. ये हरकट में बारदस्त नहीं कर सका, में ज़ोर से ज़रा. ज़र्रटे वक़्त मैंने लंड को छूट की गहराई में ज़ोर से दबा र्खा था और टोपी इतना ज़ोर से खीछी गयी थी की दो दिन तक लोडे में दर्द रहा. वीरय छोड़ के मैंने लंड निकाला, हालन की वो अभी भी ताना हुआ था. सुमन टाँगें उठाए लेती रही कोई दस मिनिट तक उस ने छूट से वीरय निकल ने ना दिया. antarvasna mastram
दोस्तो, क्या बतौँ ? उस दिन के बाद भैया आने तक हैर रोज़ सुमन मेरे से छुड़वाटी रही. नसीब का करना था की वो प्रेज्ञांत हो गयी फमिल्य में आनंद आनंद हो गया. सब ने सुमन भाभी को बढ़ाई दी. भाहिया सीना तां के मुच मरोड़ ते रहे. सविता भाभी और चंपा भाभी की हालत ओर बिगड़ गयी इतना अचच्ा था की प्रेज्नांस्य के बहाने सुमन ने छुड़वा ना माना कर दिया था, भैया के पास डूसरी दो नो को छोड़े सिवा कोई चारा ना था.
जिस दिन भैया सुमन भाभी को डॉकटोर के पास ले आए उसी दिन शाम वो मेरे पास आई. गभड़ती हुई वो बोली, ‘मंगल, मुझे दर है की सविता और चंपा को शक पड़ता है हमारे बारे में.’
सुन कर मुझे पसीना आ गया. भैया जान जाय तो आवश्य हम दोनो को जान से मार डाले. मैंने पूच्छा, ‘क्या करेंगे अब ?’
‘एक ही रास्ता है वो सोच के बोली.
रास्ता है?’
‘तुज़े उन दोनो को भी छोड़ना पड़ेगा. छोड़ेगा?’
‘भाभी, तुज़े छोड़ ने बाद डूसरी को छोड़ ने का दिल नहीं होता. लेकिन क्या करें ? तू जो कहे वैसा में करूँगा.’ मैंने बाज़ी सुमन के हाथों छोड़ दी.
सुमन ने प्लान बनाया. रात को जिस भाभी को भैया छोड़े वो भही दूसरे दिन मेरे पास चली आए. किसी को शक ना पड़े इस लिए तीनो एक साथ महेमन वाले घर आए लेकिन में छोदुं एक को ही.
थोड़े दिन बाद चंपा भाभी की बारी आई. महवरी आए तेरह डिनहुए थे. सुमन और सविता दूसरे कमरे में बही और चंपा मेरे कमरे में चली आई.
Antarvasna mastram – ट्रैन में मिली मस्त लड़की को चोदा
आते ही उस ने कपड़े निकल ना शुरू किया. मैंने कहा, ‘भाभी, ये मुझे करने दे.’ आलिनगान में ले कर मैंने फ़्रेंच किस किया तो वो तड़प उठी. समय की परवाह किए बिना मैंने उसे ख़ूब चूमा. उस का बदन ढीला पद गया. मैंने उसे पलंग पैर लेता दिया और होले होले सब कपड़े उतर दिए मेरा मुँह एक निपपले पैर छोंत गया, एक हाथ स्तन दबाने लगा, दूसरा क्लटोरिस के साथ खेलने लगा. थोड़ी ही देर में वो गरम हो गयी
उस ने ख़ुद टांगे उठाई और चौड़ी पकड़ रक्खी. में बीच में आ गया. एक दो बार भोस की दरार में लंड का मट्ता रग़ादा तो चंपा के नितंब डोलने लगे. इतना हो ने पैर भी उस ने शर्म से अपनी आँखें पैर हाथ रक्खे हुए थे. ज़्यादा देर किए बीन्सा मैंने लंड पकड़ कर छूट पैर टिकया और होले से अंदर डाला. चंपा की छूट सुमन की छूट जितनी सीकुडी हुई ना थी लेकिन काफ़ी तिघ्ट थी और लंड पैर उस की अचची पकड़ थी. मैंने धीरे धक्के से चंपा को आधे घंटे तक छोड़ा. इस के दौरान वो दो बार ज़ड़ी. मैंने धक्के किर आफ़्तर बधाई तोचंपा मुज़ से लिपट गयी और मेरे साथ साथ ज़ोर से ज़ड़ी. ताकि हुई वो पलंग पैर लेती रही, मेईन कपड़े पहन कर खेतों मे चला गया.
दूसरे दिन सुमन अकेली आई कहने लगी ‘कल की तेरी छुड़ाई से चंपा बहुत ख़ुश है उस ने कहा है की जब चाहे मे समाज गया.
अपनी बारी के लिए सविता को पंद्रह दिन रह देखनी पड़ी. आख़िर वो दिन आ भी गया. सविता को मैंने हमेशा मा के रूप में देखा था इस लिए उस की छुड़ाई का ख़याल मुझे अचच्ा नहीं लगता था. लेकिन दूसरा चारा कहाँ था ?
हम अकेले होते ही सविता ने आँखें मूँद ली. मेरा मुँह स्तन पैर छिपक गया. मुझे बाद में पता चला की सविता की चाबी उस के स्तन थे. इस तरफ़ मैंने स्तन चूसाना शुरू किया तो उस तरफ़ उस की भस ने काम रस का फ़ावरा छोड़ दिया. मेरा लंड कुच्छ आधा ताना था.और ज़्यादा अकदने की गुंजाइश ना थी. लंड छूट में आसानी से घुस ना सका. हाथ से पकड़ कर धकेल कर मट्ता छूट में पैठा की सविता ने छूट सिकोडी. तुमका लगा कर लंड ने जवाब दिया. इस तरह का प्रेमलप लंड छूट के बीच होता रहा और लंड ज़्यादा से ज़्यादा अकदता रहा. आख़िर जब वो पूरा टन गया तब मैंने सविता के पाँव मेरे कंधे पैर लिए और लंबे तल्ले से उसे छोड़ने लगा. सविता की छूट इतनी तिघ्ट नहीं थी लेकिन संकोचन कर के लंड को दबाने की त्रिक्क सविता अचची तरह जानती थी. बीस मिनुटे की छुड़ाई में वो दो बार ज़ड़ी. मैंने भी पिचकारी छोड़ दी और उतरा.
Antarvasna mastram – ट्रैन में मिली मस्त लड़की को चोदा
दूसरे दिन सुमन वही संदेशा लाई जो की चंपा ने भेजा था. तीनो भाभिओं ने मुझे छोड़ने का इज़ारा दे दिया था.
अब तीन भाभिओं और चौथा में, हम में एक समजौता हुआ की कोई ये राज़ खोलेगा नहीं. सुमन ने भैया से चुदवाना बंद किया था लेकिन मुज़ से नहीं. एक के बाद एक ऐसे में तीनो को छोड़ता रहा. भगवान कृपा से दूसरी दोनो भी प्रेज्ञांत हो गयी भैया के आनंद की सीमा ना रही.
समय आने पर सुमन और सविता ने लड़कों को जन्म दिया तो चंपा ने लड़की को. भैया ने बड़ी दावत दी और सारे गाओं में मिठाई बाँटी. अचच्ा था की कोई मुझे याद करता नहीं था. भाभीयो की सेवा में बसंती भी आ गयी थी और हमारी रेगूलर छुड़ाई चल रही थी. मैंने शादी ना करने का निश्चय कर लिया.
सब का संसार आनंद से चलता है लेकिन मेरे वास्ते एक बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है भैया सब बच्चों को बड़े प्यार से रखते है लेकिन कभी कभी वो जब उन से मार पीट करते है तब मेरा ख़ून उबल जाता है और मुझे सहन करना मुश्किल हो जाता है दिल करता है की उस के हाथ पकड़ लूं और बोलूं, ‘रह ने दो, ख़बरदार मेरे बच्चे को हाथ लगाया तो.’
ऐसा बोलने की हिम्मत अब तक मैंने जुट नहीं पाई. antarvasna mastram