हैल्लो फ्रेंड्स में देवेन्द्र.. में एक छोटे से गावं से ताल्लुक़ रखता हूँ और कुछ वक़्त पहले अपना गावं छोड़कर शहर में पैसा कमाने के लिए आ गया। मेरी उम्र 28 साल है और में अभी सिंगल हूँ.. ना तो मेरी कोई गर्लफ्रेंड है और ना ही कोई सेक्स फ्रेंड जिससे में अपने दिल की बातें शेर कर सकूँ। anal sex
आज में आप लोगों को मेरा सेक्स अनुभव बताना चाहता हूँ.. दोस्तों हर मर्द की ख्वाहिश रहती है कि उसका पहला सेक्स किसी खूबसूरत गर्म लड़की के साथ हो और वैसे ही मेरी भी दिली तमन्ना थी कि में भी अपनी सेक्स लाईफ की शुरुआत किसी कामुक और खूबसूरत लड़की को चोदकर ही करूं।
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खैर हर इंसान की लाईफ में जो लिखा होता है वो तो होना ही है। दोस्तों मैंने इससे पहले कभी सेक्स नहीं किया था.. क्योंकि में बहुत शर्मिला लड़का था और ज़्यादातर लड़कियों से दूर ही रहता था और जब भी मेरे जिस्म में आग भड़क उठती तो में अपने हाथों से अपने लंड को शांत करके सो जाता और फिर मैंने इसका एक तरीका भी निकाल रखा था।
मेरे रूम में एक बेड था जो लोहे का था वो बहुत पुराना है। जिस पर रस्सियाँ होती है.. उसे पलंग भी कहते है जैसे चारपाई होती है ना बिल्कुल वैसे। तो में अपने लंड की आग बुझाने के लिए उसे काम में लिया करता था।
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फिर में अक्सर रात में उस पर बिछी हुई गद्दी हटा कर उस पर एक टावल रख देता था और उस बेड में से एक बड़ा सा होल देखकर उसमें कुछ रुई रखकर अपने तने लंड को उस में डालकर चुदाई करता और जब तक मेरा पूरा वीर्य नहीं निकल जाता में उसे चोदता रहता और जब थकान से चूर हो जाता तो वैसे ही सो जाता था।
दोस्तों यही मेरी लाईफ थी तो में अब आप सभी को अपना पहला सेक्स अनुभव बताता हूँ। जब मैंने शहर में आकर अपनी पहली नौकरी शुरू की तो वहाँ पर मुझे कंपनी में काम दिया गया कि मुझे बाहर जाकर ग्राहकों से चेक लेने है और में इस काम के सिलसिले में हर रोज़ कहीं ना कहीं जाया करता।
दोस्तों यह बात एक साल पुरानी है.. मुझे अपने एक ग्राहक के पास शहर से बाहर जाना था.. तो मैंने ट्रेन से जाने का फ़ैसला किया.. लेकिन में ट्रेन में ज़्यादा सफ़र नहीं करता हूँ.. क्योंकि उसमे भीड़ बहुत होती है और इस बार मैंने सोचा कि ट्रेन में ही जाया जाए तो में सही वक़्त पर स्टेशन पर पहुंच गया और ट्रेन के आने का इंतज़ार करने लगा।
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वो छुट्टियों के दिन थे तो स्टेशन पर बहुत ही भीड़ थी। फिर थोड़ी देर बाद ट्रेन आ गई और में जनरल बोगी में जैसे तैसे चड़ गया। उस ट्रेन में पैर रखने तक की जगह नहीं थी.. ना जाने कैसे कैसे लोग उसमे बैठे थे बूढ़े, बच्चे, जवान और में बड़ी मुश्क़िल से टॉयलेट के पास जाकर खड़ा हो गया.. जहाँ पर भीड़ कुछ कम थी और कुछ अंधेरा भी था।
उस जगह बहुत गर्मी हो रही थी.. लेकिन में वहीं पर खड़ा रहा और मेरे पास कुछ सामान नहीं था और थोड़ी देर बाद ट्रेन चल पड़ी और मुझे कुछ राहत महसूस हुई.. में अपनी जगह पर चुपचाप खड़ा था और लोगों को देख रहा था और मेरी नजर ख़ासकर उन बड़ी उम्र वाली औरतो पर थी जिनके स्तन बहुत बड़े बड़े थे.. तो में उन्हें ही घूर घूरकर देख रहा था।
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तभी एक आदमी मेरे करीब आया और बिल्कुल मेरे सामने अपनी पीठ करके खड़ा हो गया और इस वजह से मुझे दिखना बंद हो गया। तो मैंने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा कि आप बैठ जाए तो उसने कहा कि ठीक है और वो मेरे पैरों के पास बैठ गया और में फिर से वो नज़ारे देखने लगा। वहाँ पर एक आंटी सलवार कमीज़ में थी जिन्हे में देख रहा था। उनकी उम्र करीब 35 साल थी.. लेकिन वो ग़ज़ब की सेक्सी थी.. एकदम मस्त माल।
उनके स्तन देखकर मेरे तो हाथों में सनसनी दौड़ने लगी और में एक टक उन्हें देखने लगा और इस वजह से मेरा जिस्म गर्म होने लगा और मेरी जीन्स में मेरा लंड अकड़ने लगा और मुझे इस बात का ख्याल नहीं रहा.. में बस देखता रहा। तभी मुझे एक झटका लगा.. जब वो आदमी जिसे मैंने नीचे बैठने के लिए कहा था.. उसका स्पर्श मुझे अपने तने हुए लंड पर महसूस हुआ और मैंने चौंककर नीचे देखा तो वो बड़े गौर से मेरे फूले हुए लंड को देख रहा था।
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तो में उससे थोड़ा दूर जाते हुए थोड़ा हटकर खड़ा हो गया.. अब वो उठ गया और एकदम मेरे सामने आकर खड़ा हो गया और चोर निगाहों से मुझे देखने लगा। फिर मैंने उसे गौर से देखा.. वो करीब 35 साल का होगा.. गोरा, लम्बा और उसका वजन होगा करीब 75 किलो था।
में अब ट्रेन में जब सब नॉर्मल हो गया और सभी लोग अपनी अपनी जगह पर आराम से बैठ गये.. जिन्हें जगह नहीं मिली वो भी यहाँ वहाँ पर खड़े थे या बैठे हुए थे और अब वो आदमी मेरे बहुत करीब आ गया था और मेरे एकदम पीछे टॉयलेट का दरवाज़ा था और फिर उसने धीरे से मुझे इशारा किया और मुझे टॉयलेट में चलने के लिए कहा.. तो मैंने उसे मना किया..
लेकिन उसने सीधे मेरे टाईट लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया और उसे दबा दिया और मेरे कान में कहा कि चल ना यार प्लीज़ यह कहते वक़्त उसके होठं काँप रहे थे और उसके बदन में कुछ कुछ कपकपी हो रही थी। उसकी इस हरकत से मेरा लंड टाईट होकर एकदम अकड़ गया.. जो कि मेरी जीन्स में भी नहीं समा रहा था। फिर में दरवाज़े से हट गया और वो अंदर घुस गया और उस वक़्त वहाँ पर कोई नहीं था और हम दोनों के अलावा जो थे..
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वो सब अपनी अपनी गपशप में लगे थे। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है। फिर उसने अंदर जाते ही मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे अंदर खींचने लगा.. सच कहूँ तो अब में भी बहुत गरम हो चुका था.. लेकिन मुझे यह सब बहुत ग़लत लग रहा था.. लेकिन उस वक़्त ना जाने कौन सा शैतान मुझ पर सवार हो चुका था कि में भी टॉयलेट में घुस गया और मेरे अंदर जाते ही उसने मेरी ज़िप खोलकर मेरे टाईट हो चुके लंड को आज़ाद कर दिया आहह जो उस वक़्त अपनी पूरी चरम सीमा पर था और वो करीब करीब 8 इंच का तो हो ही गया था।
तो उसने आव देखा ना ताव और मेरे लंड पर टूट पड़ा और उसे अपने मुहं में लेकर ज़ोर ज़ोर से पागलो की तरह चूसने लगा और मैंने अपनी आँखे बंद कर ली और उसका मज़ा लेने लगा। फिर वो बेतहाशा मेरे लंड को चूसता जा रहा था और करीब 10 मिनट के बाद वो उठा तो उसका पूरा जिस्म कांप रहा था और उससे बात भी नहीं की जा रही थी.. वो उठकर अपनी पेंट खोलने लगा।
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फिर उसने अपनी अंडरवियर उतारी और मेरी तरफ अपनी गांड करके खड़ा हो गया और बोला कि जल्दी डालो जल्दी डालो अपना लंड। फिर मैंने उसकी गांड की तरफ देखा तो वो एकदम चिकनी और साफ थी और उसकी गांड का छेद मुझे साफ साफ दिखाई दे रहा था और में अपनी ज़िंदगी में पहली बार यह सब देख रहा था। फिर मैंने उसकी गांड पर हाथ रख दिया तो वो एकदम से सिहर गया और उसकी गांड एकदम मुलायम थी। indian porn
अब मेरे दिमाग़ ने सोचना समझना बंद कर दिया था और मैंने अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर रखा और एक धक्का लगा दिया.. आहह उसकी गांड बहुत टाईट थी.. मैंने एक और ज़ोरदार झटका मारा तो मेरा आधा लंड उसकी गांड में घुस गया और उसके मुहं से सिसकियों की आवाज़ निकलने लगी और उसने खिड़की की जाली को पकड़ लिया।
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मुझे भी बहुत तक़लीफ़ हो रही थी और में थोड़ी थोड़ी देर में जोर जोर से धक्के लगा रहा था और मैंने इस बार उसकी गांड में पूरा लंड घुसा ही दिया और में उसे करीब 15 मिनट तक चोदता रहा और वो इस तरह मेरे पूरे क़ाबू में आ चुका था और में उसे चोद रहा था और अब मुझे भी उसकी गांड मारने में बहुत मज़ा आने लगा और मैंने अपनी स्पीड बहुत बड़ा ली और उसे चोदने लगा और कुछ देर में ही अब मेरा पानी निकलने लगा तो मैंने उसे ज़ोर से पकड़ लिया और हम उस पोजिशन में बैठ गये और बिना कुछ बात किए मैंने अपना सारा पानी उसकी गांड में ही निकाल दिया।
वो तो एक तरफ होकर बैठ गया और में कपड़े पहनकर बाहर आ गया। फिर वो भी करीब 10 मिनट बाद बाहर आया और मेरे पास आकर खड़ा हो गया और मैंने जब उसकी तरफ देखा तो मानो जैसे वो मुझे धन्यवाद कह रहा हो। दोस्तों मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि में कभी किसी की गांड मारूँगा और वो भी एक आदमी की.. लेकिन जो लिखा होना था वो तो होना ही है। इसे बदलना हमारे हाथ में नहीं है..
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दोस्तों मैंने अपनी ज़िंदगी का यह पहला सेक्स किया था और मुझे कभी कभी इस पर आफ़सोस भी होता है और कभी कभी वो जब याद आ जाता है तो बहुत अच्छा भी लगता है।