इससे उसकी चूचियाँ मुझसे थोड़ी सी दूर हो गईं और मेरे लिए ब्रा निकलने का रास्ता खुल गया और मैंने उसकी ब्रा धीरे से उसकी बाजुओं पर नीचे कर दी और फिर होंठ छोड़ कर मैंने उसकी एक चूची मुँह में भर ली।
कामिनी के मुँह से एक ‘आह’ निकल गई और उसने मेरा मुँह अपनी चूची पर और ज़ोर से दबा दिया।
मैं कुछ देर तक उसकी एक-एक करके दोनों चूचियाँ चूसता रहा और वो गरम होती गई।
फिर मैंने उसे प्यार से पीछे की तरफ़ लिटा दिया और उसकी चूचियों को मसलते हुए अपने हाथ को नीचे की तरफ़ बढ़ाता गया और उसके शरीर पर फेरता रहा।
हमारी हालत ऐसी थी कि वो मेरी गोदी में बैठी हुए पीछे से धनुष की तरह उठी हुई थी।
मुझे तो वो पूरा नंगा कर चुकी थी.. पर उसके शरीर पर उसकी सलवार अभी भी बाकी थी।
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मैंने झुक कर उसके उठे हुए पेट पर चूमना शुरु कर दिया और धीरे से उसकी सलवार में हाथ डाल कर उसका नाड़ा बाहर निकाल कर खींच दिया और सलवार को ढीला कर दिया।
फिर मैंने घूम कर अपने पैर पलंग पर से नीचे लटका लिए और और उसको गोदी में उठा कर खड़ा हो गया।
कामिनी ने अपनी टाँगें मेरी कमर पर लपेट रखी थीं।
मैंने एक हाथ से उसे गोदी में रखते हुए दूसरे हाथ से उसकी टाँगें खोल कर उसे खड़ा कर दिया।
खड़े होते ही उसकी सलवार नीचे गिर गई। उसने चड्डी नहीं पहनी थी तो अब वो भी नंगी हो गई।
मैंने खड़े-खड़े ही उसकी गान्ड पकड़ कर दबाते हुए उसे थोड़ा ऊँचा किया और गोदी में उठाने लगा।
कामिनी ने भी समझ से काम लेते हुए अपनी सलवार को पैरों में से निकाल कर फिर से अपनी टाँगें मेरी कमर पर लपेट लीं।
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इस दौरान हम दोनों बस पप्पी किए जा रहे थे।
मैंने धीरे से उससे कहा- क्या मेरे साथ नहाना पसन्द करोगी? तो उसने केवल गर्दन हिला कर ‘हाँ’ की.. तो मैं उसे ऐसे उठाए हुए ही गुसलखाने में लेगया और शावर चालू करके नीचे खड़ा हो गया।
कामिनी बोली- तुम्हें पता है कि मेरा वज़न 70 किलो है और तुम मुझे ऐसे उठा कर घूम रहे हो।
तो मैं बोला- जब दिमाग में मस्ती होती है तो वज़न का पता नहीं चलता।
वो बोली- कोई बात नहीं.. पर अब मुझे नीचे उतारो।
फिर हम दोनों आपस में एक-दूसरे को रगड़ते हुए शावर का मज़ा लेने लगे लेकिन वो ठन्डा पानी हमें और गरम कर रहा था।
मैं उसकी चूची से टपकते हुए पानी को पीते-पीते उसकी चूची पर आ गया और उसके एक निप्पल को चूसने लगा।
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कामिनी ‘ऊऊह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह’ करने लगी और मेरे सर को अपनी चूचियों पर दबाने लगी।
कुछ देर मैंने उसकी दोनों चूचियाँ चूसी.. फिर धीरे-धीरे नीचे होता गया और उसकी नाभि को चूमते हुए मैं उसकी चूत पर पहुँच गया।
जैसे ही मैंने उसकी चूत चूसी.. वो ज़ोर की ‘आआआह्ह्ह’ करके चिल्लाई तो मैंने एकदम से उसके मुँह पर हाथ रखा और कहा- क्या कर रही हो.. बाहर आवाज जाएगी।
तो कामिनी बोली- पहली बार किसी ने मेरी चूत पर मुँह लगाया है.. मेरा हरामी पति तो बस आता है और मेरे कपड़े निकाल कर थोड़ी देर चूचियाँ दबाता है और बस ठोक देता है।
ये भी नहीं सोचता कि मैं गरम भी हुई हूँ या नहीं और बस अपना पानी निकाल कर सो जाता है।
मैंने कहा- अब उसकी कोई बात नहीं होगी.. आज बस हम दोनों की बात होंगी।
कामिनी बोली- ठीक है मेरी जान.. उसने मुझे जोरदार पप्पी की और मुझसे लिपट गई तो मैंने कहा- मुझे अब अपना अधूरा काम पूरा करने दो।
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मैं फिर से कामिनी की चूत चूसने लगा।
कामिनी ने अपनी चूत के बाल पूरे साफ़ किए हुए थे और वो तो एकदम गोरी थी लेकिन उसकी चूत थोड़ी काली थी।
चूत काली होने का कारण होता है कि अगर लड़की गरम ना हो और चुदाई करे।
खैर.. अपने यहाँ ये आम बात है क्योंकि शुरु-शुरु में लड़की हमेशा शर्म के कारण गरम नहीं होती और ना ही बोलती है।
मैंने ये सब सोचना छोड़ कर अपना ध्यान उसकी चूत पर लगा दिया और उसे खोल कर उसकी दोनों फांकों के बीच अपनी ज़ीभ चलानी शुरु कर दी।
कुछ देर तक तो कामिनी ने सब्र रखा फिर बोली- मैं और ज्यादा देर अपनी आवाज़ नहीं रोक सकती.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है और मेरा चिल्लाने का दिल कर रहा है।
अगर तुम नहीं रुके तो मेरा पानी तुम्हारे मुँह में ही निकल जाएगा।
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लेकिन मैं उसकी बाहर से काली और अन्दर से गुलाबी चूत को चूसने में इतना मगन था कि मैंने ध्यान नहीं दिया और कामिनी एक जोरदार “आआआह्ह्ह्ह्ह” के साथ स्खलित हो गई और मेरे कन्धे पर से अपना पैर उतार कर नीचे बैठ कर जोर से सांस लेने लगी।
उसे सम्भलने में कुछ दो मिनट लग गए।
तब तक मैं उसके पास बैठा हुआ उसे पप्पी करते हुए उसकी चूचियाँ सहलाता रहा।
उसकी चूचियाँ इतनी बड़ी होने के बाद भी एकदम तनी हुई थी और उन पर गुलाबी से छोटे-छोटे निप्पल बहुत ही प्यारी छटा बिखेर रहे थे।
कुछ सम्भलने के बाद कामिनी ने मेरी तरफ़ देखा और शर्म से नज़रें झुका लीं और बोली- सॉरी.. मैं कन्ट्रोल नहीं कर पाई।
मैंने उसे अपनी बाँहों में लेते हुए उसके गाल पर एक ज़ोरदार चुम्मी की।
इसके बाद क्या हुआ अगले भाग में लिखूँगा.. xnxx shemale