उसके कोमल नर्म मुलायम होंठ.. मेरे हठीले होंठों के नीचे पिस रहे थे।
वो तो बस ‘उम्म… उम..’ ही करती जा रही थी।
अब मेरा एक हाथ उसके स्तनों पर भी फिरने लगा था।
मैं ज़रा सा नीचे होकर उसके उरोजों की घाटी में मुँह लगा कर उसे चूमने लगा।
मेरे लिए यह किसी स्वर्गिक आनन्द से कम नहीं था।
फिर मैं अपना हाथ उसकी पीठ पर लाया और उसकी कुर्ती के अन्दर हाथ डाल कर उसकी नर्म पीठ को सहलाने लगा।
मुझे लगा यह तंग कुर्ती और चोली.. अब हमारे प्रेम में बाधक बन रही है।
तो मैंने नेहा से कुर्ती उतारने को कहा।
उसने कहा- तुम खुद ही उतार दो।
फ़िर मैंने उसकी कुर्ती और लोअर उतार दी।
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उसकी जाँघों के बीच तो अब मात्र एक छोटी सी पैन्टी और छाती पर ब्रा ही रह गई थी।
उसने मेरे भी कपड़े उतारने को कहा..
तो मैंने कहा- तुम खुद ही उतारो तो मुझे अच्छा लगेगा।
उसने कातिल सी मुस्कान देते हुए अपने कोमल हाथों से मेरे कपड़े भी उतार दिये।
मैं अब सिर्फ चड्डी में था।
हम फिर एक-दूसरे को चूमने लगे।
कभी मैं उसके गले को चूमता तो कभी कान काट देता।
वो भी ऐसा ही करती।
उसकी बगलों से एक मादक गंध निकल रही थी.. जो मुझे कामातुर करते हुए चुदाई के लिए प्रेरित और आकर्षित कर रही थी।
फिर हमने अपने बचे हुए कपड़े उतार दिये।
अब हम दोनों पूरे नंगे थे।
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मैं लगातार चूमे जा रहा था, कभी एक उरोज को मुँह में भर लेता और दूसरे को हौले से मसलता और फिर दूसरे को मुँह में लेकर चूसने लग जाता।
फिर हौले-हौले मैं नीचे सरकने लगा।
पहले उसकी नाभि को चूमा और फिर पेड़ू को.. वो भी अब मेरी पीठ पर अपने नाखून मारने लगी थी.. जो हम दोनों को ही और उत्तेजित कर रहे थे।
उसकी गर्म साँसों का आभास पाते ही मेरा लण्ड और अकड़ गया।
फिर हम 69 अवस्था में आए।
वो धीरे-धीरे मेरा लंड (lund) चूसने लगी, मैं उसकी चूत को चाट रहा था।
अब धीरे-धीरे उसका शरीर अकड़ने लगा तो मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली थी।
मैं जोर-जोर से उसकी बुर के दाने को चाट रहा था।
तभी एकदम से उसका माल निकला और और मैं सारा चाट गया।
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फ़िर मैं अपने लंड को चूत के मुहाने पर लगा कर उसे चूमने लगा और दोनों हाथों से उसके स्तन दबाने लगा ताकि उसका ध्यान चुदाई जो शुरु होने वाली है, पर ना जाए और मौका देख मैंने एक झटका लगा दिया।
जिससे लंड थोड़ा अन्दर गया तो सही.. पर फिर बाहर आ गया।
फिर भी मैंने दूसरी बार मैंने फिर से लंड को चूत के ऊपर रखा और जोर से चूमने लगा और एक लंबा.. जोरदार झटका लगाया.. जिससे आधा लंड चूत में चला गया।
उसकी चुदाई काफी कम हुई थी इसलिए चूत काफी तंग थी।
ऐसा लग रहा था कि मैं स्वर्ग में पहुँच गया हूँ।
मैंने उसके दर्द को कम करने के लिए उसको अपनी बाँहों में ले लिया और चूमने लगा।
थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ।
वो अब ‘आह्ह.. आह्ह..’ करके चिल्लाने लगी।
करीब 10-12 धक्कों के बाद वो भी अपनी गांड ऊपर उठा-उठा कर चुदवाने लगी।
मैंने भी अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी।
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मेरा लण्ड खाकर उसे बहुत मजा आ रहा था और मुझे उसकी बुर में अपना लण्ड डालकर स्वर्ग का एहसास हो रहा था।
अब करीब दस मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था, मैं भी अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया था, मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ नेहा।
उसने कहा- मेरे अन्दर ही झड़ जाना ! मुझे माँ बना दो.. मुझे माँ बना दो..
मैंने ऐसा ही किया और सारा वीर्य उसकी चूत में ही छोड़ दिया।
ऐसा लग रहा था कि कोई ज्वालामुखी फट गया है।
अब हम दोनों पास पास लेट गए।
उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे, उसने मुझे धन्यवाद देते हुए कहा- आज मैनें उसकी माँ बनने में मदद की शायद अब उसकी ज़िन्दगी का सूनापन दूर हो जाएगा।
उसके बाद जब भी उसे चुदवाना होता था तो वो मुझे फ़ोन करके बुला लेती और मैं नेहा की प्यास बुझाने पहुँच जाता।
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फिर जब भी हमें मौका मिलता था.. हम शुरू हो जाते।
अब हमने चुदाई रोक दी है… क्योंकि वो माँ बनने वाली है।