दोस्तो, मेरा नाम अनन्या है, मैं शिमला की रहने वाली हूँ। मैं अभी 21 साल की हूँ, रंग गोरा, बदन कच्चा एवं गठीला तथा साईज 34-28-36 है। बात कुछ समय पहले की है जब मैं बी एस सी प्रथम वर्ष में थी। मैं इंटरनेट का बहुत प्रयोग करती थी, दिन भर व्हाटस एप और फेसबुक पर लगी रहती थी।
आज भी मैं अश्लील साइटें देख लेती हूँ।वैसे मैं बहुत ही कामुक लड़की हूँ।
मैं व्हाटस एप पर लोगों से सेक्स चैट करती थी और अब भी करती हूँ।
एक दिन एक मैसेज आया- हेलो!
मैंने कोई जवाब नहीं दिया।
पर उसके रोज मैसेज आने लगे तो मैंने एक दिन जवाब दिया- हाई…
वो- धन्यवाद जी
मैं- क्यों?
वो- आपने रिप्लाई किया इसलिए… आपका नाम क्या है?
मैं- अनन्या!
वो- मैं अखिल, आप कहाँ से हो?
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मैं- शिमला से, पर आपको मेरा नम्बर कहाँ से मिला?
वो- मेरे दोस्त ने दिया, पर नाम नहीं बता सकता!
मैं- ओके
वो- क्या आप मेरे साथ सेक्स चैट कर सकती हैं?
मैं- नहीं!
वो- मैं आपको पैसे दे सकता हूँ सेक्स चैट करने के!
मैं- ओके
इस तरह उसने मुझे पैसे भेज दिये और हम सेक्स चेट करने लग गये।
तब मुझे पता चला कि वो राहुल (ज़िससे मैं सेक्स चैट करती थी) का दोस्त है।
हम दोनों रोज रात को बातें करते, एक दूसरे को अपनी फोटो भेजते थे।
मैं भी उसे पसंद करने लगी थी, जब वो बातें करता तो मेरी पेंटी गीली हो जाती थी, मैं उसके साथ रातें रंगीन करना चाहती थी पर चाहती थी कि पहल वो करे।
और एक दिन चैट पर…
अखिल- अनन्या, क्या हम मिल सकते हैं?
मैं- पर आप तो जयपुर से हो!
अखिल- मैं शिमला आ जाऊँगा!
मैं- नहीं!
मैंने चाहते हुए भी मना कर दिया।
अखिल- प्लीज अनन्या, एक बार!
वो मुझे मनाने लगा।
मैं मान गई और हाँ कर दी, अगले दिन मिलने का प्लान कर लिया।
मैंने उसे फोन पर बता दिया कि हम पार्क में मिलेंगे।
अगले दिन रविवार था तो मैं मम्मी से सहेली के घर जाने की बोल कर घर से निकल गई और वो रात को ही शिमला के लिए रवाना हो गया था।
11 बजे हम दोनों पार्क में मिले, वो मुझे देख कर मुस्कुराया और मैं भी दिल की धड़कन को काबू में रख कर मुस्कुरा दी।
हम पार्क की बैंच पर बैठ कर बात करने लगे।
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मैंने गौर किया कि उसके चेहरे और आँखों में एक रौनक थी.. ऐसी जैसे वो मुझे देख कर ना जाने कितना खुश है।
हम दोनों आपस में बात करने लगे… वो मेरी जांघों को अपने हाथों से सहला रहा था, मेरा भी रोम रोम उत्तेजित हुए जा रहा था, और तभी अचानक उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे होंटों को चूमने लगा।
मैं भी यही चाहती थी तो मैं भी उसको चूमने लगी।
फिर याद आया कि हम तो पार्क में है तो मैंने उसको अपने से अलग किया और कहा- यहाँ नहीं।
वो बोला- चलो होटल चलते हैं।
और हम होटल आ गए।
दिल में अजीब एहसास था… एक तो चुदाई के लिए मेरी चूत मचल रही थी और ऊपर से लोग मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे मैं नंगी ही होटल में आई हूँ।
खैर हम अपने कमरे में आ गये।
वो बोला- कुछ खाना है तुम्हें?
मैं- नहीं तुम खा लो!
वो बोला- मेरा तो कुछ और ही खाने का मन है!और अपना हाथ मेरी कमर पर रख दिया।
उसके हाथ में एक अलग ही जादू था, उसके स्पर्श करते ही नाभि के पास एक अजीब सी गुदगुदाहट हुई और ऐसा लगा जैसे मेरी योनि में जाकर खत्म हो गई।
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वो बोला- कितने समय रूकोगी?कहते हुए मुझे बाँहों में भर लिया।
मैंने कहा- मुझे शाम तक जाना है।
यह सुनते ही उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और होंठों को जोर-जोर से चूसने लगा।मैं भी उसका पूरा साथ देने लगी।वो कभी होंठों को हल्का सा काट लेता था।
वो मुझे लगातार चूमे जा रहा था, कभी होंठ, कभी वक्ष तो कभी गर्दन पर चुम्बन लेते हुए प्यार से मेरी नाभि को सहला रहा था और मैं उसके इस कामुक स्पर्श से मदहोश हुए जा रही थी।
उसने मेरे टॉप के अन्दर हाथ डाल कर मेरी चूचियाँ दबानी शुरू की।गजब का अहसास था वो…!!
फिर उसने मेरे टॉप से हाथ निकाल कर मेरी जाँघों को सहलाना शुरू कर दिया।मैं भी उसकी शर्ट के अन्दर हाथ डाल कर उसके सीने को सहला रही थी।
वो सहलाते हुए मेरी जांघों से मेरी चूत की तरफ बढ़ गया।उस एहसास से मेरी मक्खन जैसी चिकनी चूत ने अपना कामरस छोड़ दिया था।
मैं पूरी मदहोश हो चुकी थी, मेरी गीली चूत लन्ड को निगलने के लिए बेताब थी।
मैंने कहा- अखिल, आज मुझे इतना चोदो कि मुझे ये चुदाई हमेशा याद रहे।