ससुर ने चोद डाला

मेरा नाम कौसर है। यह मेरी सच्ची कहानी है। हम शिकारपुर में रहते हैं। हम 3 बहनें हैं, मैं सबसे बड़ी हूँ।
मेरे अब्बू काफ़ी साल पहले गुजर गए थे, तब से माँ ने ही हमारा ख्याल रखा है। मैंने ग्रेजुएशन 2010 में की थी। मेरा रंग एकदम साफ़ है और मेरा कद 5 फीट है और मेरा फिगर 34-26-36 है। Sasur bahu ki chudai

मेरी छोटी बहन कहती है- दीदी तुम बहुत सेक्सी लगती हो।’

मैं वैसे तो टॉप और जीन्स भी पहनती हूँ और सूट और सलवार भी पहनती हूँ। माँ ने मेरा रिश्ता मेरी ग्रेजुएशन होते ही पक्का कर दिया था, उनका नाम अता-उल्ला है। वे आईटी सेक्टर में काम करते हैं।

उनकी कंपनी लाहौर में है, इसलिए वो वहीं रहते हैं और छुट्टियों में ही शिकारपुर आते हैं।

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मेरे ससुर जी लड़कियों के सरकारी स्कूल में टीचर हैं और उन्हें फोटोग्राफी का भी शौक है। उन्होंने मुझे देखते ही पसंद कर लिया और बोले- मैं इससे अपनी बेटी की तरह रखूँगा..!

क्योंकि उनकी कोई बेटी नहीं है और अताउल्ला इकलौते हैं।

मुझे देख कर उनकी आँखों में एक चमक थी। तब मैं समझ नहीं पाई कि मुझे देख कर ससुर जी इतना खुश क्यों हैं!

आज सोचती हूँ तो सब समझ आ जाता है और आँखों में आँसू आ जाते हैं।

मेरी शादी काफ़ी धूमधाम से हुई और मैं काफ़ी खुश थी, पर बाद में पता चला कि अताउल्ला केवल 10 दिन के लिए शिकारपुर आए हैं और शादी के बाद 10 दिन में ही लाहौर चले जाएँगे।

मेरा मन उदास हो गया, अताउल्ला 10 दिन बाद लाहौर चले गए और घर पर मैं, सासू माँ और मेरे ससुर जी ही रह गए।

मेरी सासू माँ काफ़ी रूढ़ीवादी किस्म की महिला थीं और मुझे हमेशा पल्लू करने और बड़ों का आदर करने को कहती थीं। वो मुझे हमेशा साड़ी में रखती थीं। मेरा मन जीन्स और टॉप पहनने को करता था पर मन मार कर रह जाती थी।

मेरी सासू माँ की तबीयत ठीक नहीं रहती थी और करीब शादी के एक महीने बाद ही वो गुजर गईं।

अताउल्ला लाहौर से आए करीब 15 दिन घर पर उदास से रहे और फिर लाहौर चले गए।

अब हमारे घर में मैं और मेरे ससुर जी ही रहते थे। दिन भर घर पर मैं अकेली रहती थी। ससुर जी दोपहर को घर आते थे तब कुछ अकेलापन दूर होता था।

पूरे दिन घर का काम करती थी और कभी-कभी ससुर जी के कंप्यूटर पर वेब-ब्राउज़िंग वगैरह कर लेती थी, अताउल्ला का फोन शाम को हर रोज आता था।

इस तरह दिन कट रहे थे।

एक दिन शाम को मैं रसोई में खाना बना रही थी, तो पीछे से ससुर जी आ गए तो मैंने एकदम से पल्लू कर लिया।

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ससुर जी बोले- बहू, यह पल्लू अब मत किया कर, यह सब तेरी सासू जी को पसंद था। अब वो ही नहीं रही तो तेरे लिए कोई बंदिश नहीं है। तू जैसे चाहे रह सकती है, मेरे से शरम करने की अब कोई ज़रूरत नहीं है।

उन्होंने रसोई में से पानी लिया और चले गए, मुझे कुछ समझ नहीं आया। पर अच्छा ही था साड़ी में रहते-रहते मैं बोर हो गई थी।

अगले दिन सुबह जब मैंने उन्हें चाय देकर पैर छुए तो उन्होंने आशीर्वाद देने के लिए ब्लाउज पर हाथ फेरते हुए बोले- जीती रह बहू..!

मुझे कुछ अजीब सा लगा। जैसे वो मेरे ब्रा के स्ट्रैप ढूँढ रहे हों।

मैं वहाँ से जाने लगी तो बोले- तुझसे बोला था घूँघट करने की ज़रूरत नहीं.. फिर क्यों किया है?

मैं चुप थी और बोला- चल हटा.. मैं भी देखूँ.. जैसा तुझे देखने गए थे वैसी ही है.. या तू बदल गई है!

उन्होंने मेरा घूँघट खुद ही हटा दिया।

मैंने शरम से आँखें नीची कर लीं और बोली- अब्बू मैं आपका लंच लगा देती हूँ.. आपको स्कूल जाने में देर हो रही होगी..!

मैं जल्दी से वहाँ से जाने लगी।

तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोले- आज स्कूल की छुट्टी है बहू… बैठ तो सही!

मैं एकदम घबरा गई। उन्होंने आज तक ऐसा नहीं किया था।

‘अब्बू मुझे जाने दीजिए.. घर में बहुत काम है..!’

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ससुर जी- बहू आज सोच रहा हूँ.. तेरा फोटोशूट ले लूँ.. बहुत दिन हुए मैंने अपनी फोटोग्राफी की कला नहीं दिखाई। तू जल्दी से काम कर ले और आज से घूँघट नहीं करना..!

उन्होंने उठ कर मेरे बाल भी खोल दिए। मैंने आज शिफौन की नेट वाली गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी, जो एकदम मेरे शरीर से चिपकी हुई थी।

ससुर जी- तू बिना घूँघट और खुले बालों के अच्छी लग रही है बहू..!

मैं जल्दी से वहाँ से भाग गई। आज पहली बार उन्होंने मुझे छुआ था, मैंने जल्दी से घर का काम किया और अपने कमरे में सांकल लगा कर के बैठ गई।

करीब 11-30 बजे ससुर जी ने आवाज़ लगाई- बहू, कहाँ है?

मैंने कहा- जी.. बाबू जी.. आई..!

और उनके कमरे में गई तो उन्होंने अपना डिजिटल कैमरा और कंप्यूटर भी ऑन किया हुआ था।

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वो बोले- बहू चल तैयार हो जा.. तेरा फोटोशूट लेना है!

मैं अचकचा गई।