पति को धोखा नहीं दे सकती

वो वहीं सामने अपने आंगन में कपड़े धो रही थी, मेन गेट खुला था, उसकी जांघ देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया। उसने मुझे देख लिया।

हँस कर बोली- कल की उतरी नहीं क्या जनाब?

मैंने भी बोल दिया – रात की तो कब की उतर गई, पर आपका नशा नहीं उतरा।

वो बोली- क्या मतलब?

मैंने सिर्फ इतना कह दिया- आप बहुत सुन्दर हो।

वो शरमा गई, बोली- घर में कोई नहीं है तो खाना हमारे यहाँ खा लेना।

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मैं उसे हाँ कहकर, तैयार होकर घूमने के लिए बाहर चला गया। दोस्तों के साथ में आज भी ड्रिंक कर ली। आते वक़्त मैंने दो पैकेट कंडोम खरीद लाया।

मैं दोपहर में 1 बजे घर आया, उसके घर गया। वो मेरा इन्तजार कर रही थी, मुझे देख कर वो मुस्कुराई, मैंने भी उसको मुस्कुरा कर देखा।

उस वक़्त उसने साड़ी पहनी हुई थी। हम दोनों ने खाना खाया और मैं उनके ही घर पर टी वी देखने लगा गया।

वो मुझसे इधर उधर की बातें कर रही थी और बातें करते-करते उसने मुझसे पूछा- कोई गर्लफ्रेंड है क्या?

मैंने कहा- नहीं।

वो बोली- झूट मत बोलो।

मैंने कहा- मैं सच कह रहा हूँ।

उसने मुझसे पूछा- क्यों नहीं है?

मैंने कहा- आप जैसी नहीं मिली।

वो शरमा गई। मैंने उसके कन्धे पर हाथ रख दिया। वो वहाँ से उठकर जाने लगी।

मैंने उसको पकड़ लिया। वो थोड़ा कसमसाई।

उसके चहरे पर एक कातिलाना मुस्कराहट थी। उसने खुद को ढीला छोड़ दिया। मैंने उसे अपने पास खींचा और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए।

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वो थोड़ा न नुकर करते हुए बोली- ये सब गलत है, मैं अपने पति को धोखा नहीं दे सकती।

मैंने कहा- हम दोनों जो कर रहे हैं वो शरीर की जरुरत है। यदि तुम्हारा पति तुम्हारी इस जरूरत को पूरा करता है तो तुम बेशक जा सकती हो।

इस उम्र में ये सब सामान्य बात है, इसे धोखा नहीं कहते हैं।

वो मन ही मन में मेरा साथ देना चाहती थी पर सीधा कह न सकी।

मैं उसके मन की बात समझ गया और उसे चूमने लगा। आप ये मस्त सेक्स कहानी अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट ऑर्ग पर पढ़ रहे है.. उसका विरोध समाप्त हो चुका था।

मैंने तकरीबन दस मिनट तक किस किया। वो भी खुल गई थी, मेरा भरपूर साथ दे रही थी।

मैं उसे गाल के बाद उसके वक्ष स्थल पर चुम्बन करने लगा।

इससे वो उत्तेजित हो गई।

मैंने उसके स्तनों को सहलाया और उसके चूचुक को अपनी उँगलियों से दबा कर मसला। वो और गर्म हो गई।

मैंने अपना हाथ उसके पेट के ऊपर से सहलाते हुए उसकी चूत पर रख दिया और उसे जोर से सहलाने लगा। वो मचल उठी।

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मैं उसे अपनी गोद में उठाकर बेडरूम में ले गया। उसको बिस्तर पर लेटा कर उसकी साड़ी उतारने लगा।

उसने थोड़ी नानुकुर की पर मैंने कहा- अब मुझे मत रोको।

मैंने उसकी साड़ी उतार दी। साड़ी उतारने के बाद मैंने उसका पेटीकोट और ब्लॉउज भी उतार दिया।

उसके बाद वो सिर्फ ब्रा और पेन्टी में थी।

आप ये मस्त सेक्स कहानी अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट ऑर्ग पर पढ़ रहे है.. मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए।

ब्रा पैंटी में वो मुझे उस समय बहुत ही कामुक, सुन्दर और मासूम लग रही थी। मैं उसे अपनी बाँहों में लेकर, उसके होंठों को चचोरने लगा।

अब वो भी मेरा साथ दे रही थी।

वो बोली- जान मुझे खा जाओ। मैं बहुत प्यासी हूँ।

मुझसे वो लता सी लिपट गई। उसकी शर्म खत्म हो चुकी थी। हम दोनों ही एक दूसरे में खो जाना चाहते थे।

मैंने उसके दुद्दुओं को अपने हाथों में भर कर खूब मसला।

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वो सिसिया कर बोली- धीरे करो न, लगती है।

मैंने उसके एक मम्मे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। मैं उसको ऐसे दबोचे था, जैसे भूखे को फाइव स्टार का खाना मिल गया हो।