पड़ोसी के साथ सन्तुष्टि भरी एक रात

रात में ससुर जी को खाना खिलाकर अब तो बस उनके आने का इंतजार था।

थोड़ी देर में रमेश जी चुपचाप स्टोररूम में आये, आते ही उन्होंने रूम का दरवाजा बंद किया और मुझे अपनी मजबूत बाहों में कस के जकड़ लिया।

मेरी रूह को तो जैसे इसी पल का इंतजार था।

उन्होंने अपने होंठों में मेरे होंठों को ले लिया और दस मिनट तक मुझे चूमते चूसते रहे।

फिर उन्होंने मेरी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया और मेरा ब्लाउज भी उतार दिया। मैंने ब्रा नहीं पहनी थी तो मेरे 34 साइज़ के मम्मे उनके सामने झूलने लगे।

उन्होंने मेरा एक मम्मा अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगे, साथ ही दूसरे मम्मे को अपने हाथ से मसलने लगे।

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मेरी एक लम्बे अरसे की प्यास आज बुझ रही थी तो मेरे मुँह से अपनेआप मादक सिसकारियाँ निकलने लगी- ऊम्म्म उम्म्म आहाह्ह आह्ह ऊम्म।

फिर उन्होंने मुझे पूरी तरह निर्वस्त्र कर दिया और अपने कपड़े भी उतार दिए।

जैसा उनका शरीर बलवान और मजबूत था, वैसा ही उनका लिंग भी करीब 8″ लम्बा और 3″ मोटा, मेरे पति से डेढ़ गुना।

उसे देखते ही मेरी आँखों में चमक आ गई।

तब उनका इशारा पाकर मैंने उनके लिंग को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरु किया।

उसके बाद उन्होंने मुझे लिटाया और अपना बलवान लिंग मेरी चूत पर सेट किया, एक धक्के में ही आधा लिंग चूत में प्रवेश करा दिया। मेरी तो एकदम चीख ही निकल गई।

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फिर उन्होंने समझते हुए मेरे मम्मों को सहलाया, मेरे होंठों को चूसा और फिर धीरे धीरे मेरी चूत में अपना लिंग डालने लगे।

दो मिनट बाद मैं भी अपने चूतड़ों को उठाकर उनका साथ देने लगी।

तब उन्होंने तेज़ तेज़ धक्के मारने शुरू किये, करीब 15 मिनट तक ऐसे ही मेरी जमकर चुदाई की। इस बीच मेरा तो एक बार पानी भी निकल चुका था पर अभी तक उनका लिंग एकदम तना हुआ था।

फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बनाकर पीछे से मेरी चूत (hairy pussy) में अपना बलिष्ठ लिंग डालकर मेरी चुदाई शुरू की, वो तेज़ तेज़ धक्के मारते रहे।

ऐसे ही बीस मिनट तक मेरी धुआंधार चुदाई की, इसके बाद उन्होंने मुझे अपने ऊपर बैठाकर भी चोदा, करीब 45 मिनट तक मेरी जमकर चुदाई करने के बाद उनके लिंग ने अपना कामरस बाहर निकाला।

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उस रात मुझे पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि किसी ने मेरी चूत की संतुष्टि की है, मैं तीन बार झड़ी थी, मेरी हालत तो ऐसी हो गई थी कि मैं उठकर वाशरूम तक भी नहीं जा सकती थी।

उस रात हमने एक बार और चुदाई की थी। सुबह ससुर जी के उठने से पहले रमेश जी अपने घर चले गये।

तब से आज तक रमेश जी और मैं एक दूसरे की काम वासना की तृप्ति करते हैं।

रमेश जी मेरे पति के न होने पर मेरा हर तरह से ख्याल रखते हैं।