अन्तर्वासना के प्रिय पाठकों का आशिक राहुल एक बार फिर स्वागत करता है। आज फिर आशिक राहुल आपके सामने प्रस्तुत है एक नई कहानी के साथ, जो 44 वर्षीया एक महिला ने मुझे ईमेल की थी। कहानी अब उन्हीं के शब्दों में.. kahaniya.com
मेरा नाम सुजाता है, मैं मध्यप्रदेश के एक गाँव से हूँ। मेरे पति राजस्थान में सरकारी पद पर कार्यरत हैं इसलिए साल में मुश्किल से 25-30 दिन हम साथ गुजारते हैं।
हमारे दो बच्चे हैं एक लड़का और एक लड़की, दोनों ही दिल्ली में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं।
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दोस्तो, मैं बाकी लड़कियों या औरतों की तरह नही कहूँगी कि मेरा फिगर ऐसा है वैसा है।
मेरे जिस्म का सही आकार इस तरह से है- मेरे मम्मे 34″ हैं, कमर 38″ और मेरे चूतड़ 42″ के हैं, मेरे मम्मे थोड़े ढीले से ही हैं।
मेरे पति मुझे शुरू से ही संतुष्ट नहीं कर पाते थे, उनका दो मिनट में ही वीर्यपात हो जाता था किन्तु शुरू में मैं इसे ही अपना नसीब मानकर अपनी जिंदगी बिता रही थी।
बात उन दिनों की है जब मेरे पति का राजस्थान तबादला हुआ। तब हम एम पी के एक शहर में रहते थे किन्तु इनका ट्रान्सफर हो जाने के बाद मैं अकेली रह गई थी घर पर।
तब मेरे पति ने मुझे मेरे पति के पिताजी यानि कि मेरे ससुर के पास रहने का सुझाव दिया।
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वो एक गाँव में रहते हैं, वहाँ हमारी कुछ पुश्तैनी ज़मीन भी थी। ससुर जी अकेले ही घर रहते थे, सासू माँ की कई साल पहले मृत्यु हो चुकी थी। ससुर जी की आँखों की रोशनी और सुनने की क्षमता भी अब कम सी हो गई थी।
मैं अपने ससुर जी के पास रहने आ गई। वहीं मेरी मुलाकात रमेश जी से हुई।
हुआ यूँ कि अगले दिन मैं छत पर कपड़े सुखाने गई तो मेरी नज़र सामने वाली छत पर पड़ी।
उस वक़्त रमेश जी कसरत कर रहे थे, उन्होंने ऊपर कुछ नहीं पहना था, उनका कसरती जिस्म देखकर तो जैसे मैं मंत्रमुग्ध सी हो गई थी।
5’10” का कद, चौड़ा सीना, उठे हुए चौड़े कंधे, सुंदर चेहरा और उनके कोई तोंद भी नहीं थी, उनको देखकर दिल में कुछ कुछ सा होने लगा था… जब नज़रें मिली तो हम दोनों मुस्करा दिए।
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फिर थोड़ी देर बाद वो घर पर आ गये और ससुर जी से बात करने लगे, तब ससुर जी ने हमें मिलवाया।
रमेश भी घर पर अकेले रहते हैं, उनकी बीवी 5 साल पहले गुजर चुकी है, दोनों लड़के एम पी से बाहर कहीं जॉब करते हैं।
अब उनका हमारे घर आना जाना काफी ज्यादा हो गया, जल्दी ही हम दोनों की नजदीकियाँ भी बढ़ने लगी।
एक तरफ मैं थी जिसके पति ने कभी न तो पूरी तरह संतुष्ट किया था न ही साथ रहते हैं। दूसरी तरफ रमेश जी जिनकी बीवी भी 5 साल पहले उन्हें छोड़ कर जा चुकी थी।
आग दोनों तरफ लगी थी दोस्तों।
एक दिन मैं रसोई में खाना बना रही थी, ससुर जी खेतों में घूमने गये थे, रमेश जी रसोई में आये और मेरी कमर मे पीछे से हाथ डाल दिया। मैंने भी थोड़ा शरमाने का एहसास कराया।
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किन्तु रमेश जी भी जानते थे कि अभी कोई नहीं है घर पर… मैं बाहर जाने लगी तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर अपनी और खींच लिया और मैं सीधे उनके सीने से जा लगी।
उन्होंने बिना एक पल गँवाए अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।
मैं भी जन्मों से प्यार की प्यासी की तरह उनके होंठों को चूमने लगी।
करीब दस मिनट तक हम यों ही एक दूसरे को चूमते रहे।
इतने में ससुर जी के कदमों की आहट हुई तो हम अलग हुए, तब मैंने उन्हें आज रात हमारे स्टोररूम में आने को कहा।
हमारे घर का स्टोर रूम करीब दो कमरों की जगह में बना है जिसमें आराम करने की सारी सुविधाएँ मौजूद हैं।
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