वो रोज वहाँ लालटेन जलाने जाती थी.. जिससे कि चोर सोचे कि कोई वहाँ है।
आज शाम को मैं उसके साथ लालटेन जलाने खेत के कमरे में गया।
फिर हम दोनों चारपाई पर बैठ गए।
मैंने उसके होंठों को चूसते हुए अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी।
मुझे गर्म थूक अच्छा लग रहा था।
जब मैं उसके ऊपर-नीचे होते तने हुए मम्मों को दबाने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- रुक.. जरा मैं अपने कपड़े उतार लूँ.. वरना गंदे हो जायेंगे।
लालटेन की मद्धिम रोशनी उसका नग्न जिस्म ताँबे में ढली मूरत सी लग रही थी। sex goddess
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मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा, थोड़ी देर में वो मुझसे लता के समान लिपट गई।
मैंने उसको बांहों में भर कर भींच लिया, वो नशीली आवाज में बोली- अब मेरी गुझिया के मुँह में अपने नागराज को डाल दो।
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मैंने उसको लिटा कर उसकी दोनों टाँगों को फैला दिया और गीली चूत को फैला कर उसमें अपनी एक ऊँगली डालकर उसके रस से अपने लंड की नोक को गीला किया और फिर लवड़े को उसकी चूत में प्रविष्ट कर दिया।
मुझे ऐसा लगा कि मेरा लंड गर्म जैली से भरे हुए किसी बर्तन में घुस गया हो।
आगे बढ़ने पर हल्का सा अवरोध आया..
मैंने लौड़ा पीछे खींच कर फिर से कचकचा कर पेल दिया और वो अवरोध टूट गया।
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मैंने लंड को बाहर निकालकर देखा तो खून के बूँदें लगी थीं।
वो दर्द से तड़प रही थी.. मैं उसकी चूचियों और होंठों को चूसने लगा।
जब वो कुछ सामान्य हुई तो मैंने फिर से चोदना शुरू किया।
मेरा लंड पिस्टन की भाँति चूत में सटासट चल रहा था।
इस कड़ाके की ठंडी में भी उसके माथे पर पसीने की बूँदें चुहचुहा आई थीं।
जब मैं झड़ने वाला था.. मैंने लंड बाहर निकाल लिया और उसके पेट पर झड़ गया।
कुछ समय हम दोनों यूँ ही लिपटे पड़े रहे।
फिर घर आ गए.. इसके बाद हमें जब भी मौका मिलता.. चोदन क्रिया शुरू कर देते।
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एक साल बाद कंचन की शादी हो गई, उसका पति दिल्ली में रहता है, जिसके कारण वो मुझे अपनी जिस्मानी भूख मिटाने के लिए कहती है..
पर मैं मना कर देता हूँ और उसे भी समझाता हूँ कि अब ये सब गलत है.. तुम किसी की पत्नी हो।
इतने पर भी.. एक बार मैं खुद फिसल गया था।
हुआ यूँ की एक मर्तबा मैं जीजाजी के घर सालगिरह के निमंत्रण में गया तो कंचन ने छत पर अपने बगल मेरा बिस्तर जमीन पर लगाया।
रात में कंचन ने अपनी बाँहों पर मेरा सिर रखकर मुझे सुला लिया और जब गर्म सांसें टकराने लगीं तो जिस्मों को भी एक-दूसरे में समाने में देर ना लगी।
जब वासना शांत हुई तो मैंने उसे समझाया- तुम अपने पति के साथ दिल्ली रहो.. यही ठीक है।
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हालांकि मैं खुद फिसल चुका था.. पर तब भी मेरी यही सोच है कि शादी के बाद खुद को अपने जीवन-साथी के साथ ईमानदार रखना चाहिए।
आज वो अपने पति के साथ दिल्ली में रहती है और एक लड़के और एक लड़की की माँ है।
मैं भी जीजाजी के यहाँ तभी जाता हूँ.. जब वो वहाँ नहीं होती।