कामना की कामवासना

मेरी बात सुन कर ससुरजी ने जब मुझे थोड़ा सा सरका कर बिस्तर के गीलेपन को देखा तो अवाक हो कर मेरी ओर देखने लगे थे।

मेरे पूछने पर उन्होंने बताया की मेरी टांगों, नाइटी और बिस्तर पर गीलापन महसूस होने का कारण मेरी योनि में से खून का रिसाव है।

ससुरजी के मुख से मेरी योनि में से खून का रिसाव की बात सुनते ही मेरा माथा ठनका और मैं समझ गई कि मुझे मासिक-धर्म आ गया था और वह गीलापन उसी के कारण था।

लेकिन मेरी दुविधा कम होने के बजाये और भी अधिक बढ़ गई थी क्योंकि मैं यह निर्णय नहीं कर पा रही थी कि मैं अपनी सफाई कैसे करूँ।

तभी ससुरजी ने कहा– तुम्हें बाथरूम तक पहुँचाने के लिए मैं तुम्हारी मदद कर देता हूँ और तुम वहाँ जाकर अपने आप को साफ़ कर लो। तब तक मैं तुम्हारे इस बिस्तर की चादर आदि बदल देता हूँ।

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ससुरजी की बात सुन कर अकस्मात मेरे मुख से निकल गया- पापाजी, इन बंधे हाथों से मैं अपनी सफाई कैसे कर सकती हूँ?

मेरी बात सुन कर ससुरजी कुछ देर तो चुप रहे लेकिन फिर बोले- तो तुम ही बताओ क्या करें? क्या कल सुबह काम वाली के आने तक ऐसे ही इसी तरह मैले में ही पड़ी रहोगी?

उनकी बात सुन कर कुछ देर तो मैं संकुचाई फिर हिम्मत कर के बोली- पापाजी, रात भर मैले में तो मैं पड़ी नहीं रह सकती इसीलिए तो आप को आवाज़ लगाईं थी। क्यों नहीं आप ही मेरी सफाई करने में मदद कर देते?

मेरी बात सुनते ही उन्होंने उत्तर दिया- नहीं कामना, यह मुझसे नहीं हो पायेगा और यह ठीक भी नहीं है। एक ससुर और बहु के बीच में जो पर्दा, मर्यादा और दूरी होती है तुम उसे तोड़ने के लिए कह रही हो।

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मैंने तुरंत बोला- पापाजी हमारे पास और कोई चारा भी तो नहीं है। मेरे लिए तो आप मेरी सास और ससुर दोनों ही हो इसलिए क्यों नहीं आप मेरा यह काम मेरी सास की तरह फर्ज़ समझ कर निभा दीजिये।

मेरी बात सुन कर ससुरजी पहले तो चुप हो कर खड़े रहे और फिर अपना सिर को नकारात्मक हिलाते हुए मेरे कमरे बाहर चले गए।

पन्द्रह मिनट तक मैं अपने बिस्तर पर चिंतित पड़ी यही सोच रही थी कि अब आगे क्या करूँ..

तभी ससुरजी कमरे में लौट कर आये और बोले- कामना, मैं तुम्हे मैले में नहीं पड़ा रहने दे सकता, इसलिए तुम्हारी सफाई करने को तैयार हूँ। लेकिन मुझे नहीं मालूम की वह कैसे करते हैं इसलिए तुम्हें मुझे बताना होगा कि मैं क्या और कैसे करूँ…

ससुरजी की बात सुन मेरे शरीर में एक झुरझुरी सी हुई क्योंकि जीवन में पहली बार मेरी मम्मी, पापा और पति के इलावा कोई अन्य इंसान मेरे गुप्तांगों को देखेगा या फिर छुएगा।

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लेकिन मैंने अपने मन को संयम में रखते हुए उन्हें मुझे बाथरूम में ले जाने में मदद करने के लिए कहा।

तब उन्होंने मुझे सहारा देकर उठाया और कमर से पकड़ कर बाथरूम ले गए तथा मेरे कहने पर मुझे पॉट पर बिठा दिया।

पॉट पर बैठने के बाद मैंने उन्हें कहा- अब आप मेरी नाइटी उतरवा कर कमरे में लकड़ी की अलमारी में से मेरी एक पैंटी, एक नाइटी तथा ड्रेसिंग टेबल के दराज़ में से सेनेटरी नैपकिन का पैकेट लेते आइये।

मेरे कहे अनुसार उन्होंने मेरी नाइटी को नीचे से पकड़ ऊपर की ओर खींच कर मेरे शरीर से अलग करके धोने वाले कपड़ों में रख कर बाथरूम से बाहर चले गए।

थोड़ी देर में ससुरजी मेरे बिस्तर की चादर बदल कर और मेरी पैंटी, नाइटी और नैपकिन लेकर बाथरूम में आये तब तक मैंने जोर लगा कर अपनी योनि में से खून का सारा रिसाव बाहर निकाल दिया था।

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ससुरजी के पूछने पर कि आगे क्या करना है तब मैंने उन्हें मेरी योनि को धोने के लिए कहा।

मेरी बात सुन कर पहले तो वे थोड़ा झिझके लेकिन फिर एक मग में पानी ले कर आये और मेरी टाँगे चौड़ी करके मेरी योनि पर पानी डाल कर धोने लगे।

तब मैंने उनसे कहा- पापाजी, ऐसे पानी डालने से सफाई नहीं होगी। आप अपने हाथ में पानी ले कर मेरी योनि को मल मल कर धोयेंगे तभी खून साफ़ होगा।

मेरी बात को समझ कर उन्होंने मेरी योनि पर अपने हाथ से पानी का छींटा मार कर उसे हाथ से ही मल कर साफ़ करने लगे।

उनका हाथ लगते ही मेरा पूरा शरीर रोमांचित हो उठा और मेरे शरीर के रोयें खड़े होने लगे! लगभग चार सप्ताह के बाद मेरी योनि पर किसी मर्द का हाथ लगने से उसके अन्दर एक खलबली मच गई और मेरी सोई हुई कामवासना उत्तेजित हो उठी।

इतने में ससुरजी ने मेरी योनि पर पानी के पांच-छह छींटे मार कर उसे मल मल कर साफ़ कर दिया और पूछा- कामना, लो अब यह तो बिलकुल साफ़ हो गई है! अब और क्या करना है।

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तब मैंने उन्हें कह दिया- पापाजी, अभी इसके अन्दर खून भरा हुआ है। आप दो तीन बार अपनी बड़ी उंगली की इसके अंदर डाल कर थोड़ा घुमा दीजिये तो वह खून बाहर आ जायेगा, उसके बाद आप इसे बाहर से एक बार फिर धो दीजियेगा।

मेरी बात सुन कर उन्होंने जैसा मैंने कहा था वैसे ही अपनी बड़ी उंगली को कई बार मेरी योनि के अंदर घुमाया और जब उनकी उंगली पर खून लगना बंद हो गया तभी वह रुके।

क्योंकि मैं तो पहले से ही उत्तेजित थी इसलिए ससुरजी द्वारा आठ-दस बार योनि के अन्दर उंगली घुमाने के कारण खून के साथ मेरा योनि रस भी छूट कर बाहर निकल आया था जिसे उन्होंने पानी से धो कर साफ़ कर दिया।

इसके बाद मैं पॉट से उठी और अपनी टाँगे चौड़ी करके खड़े होते हुए ससुर जी से कहा- पापाजी, उस पैकेट में से एक सेनेटरी नैपकिन निकाल कर मेरी पैंटी के अन्दर चिपका दीजिये और फिर वह पैंटी और नाइटी मुझे पहना दीजिये।

ससुरजी ने मेरे कहे अनुसार वह सब करके मुझे पैंटी पहनाने के बाद मुझे नाइटी पहनाई और फिर मुझे कमर से पकड़ कर सहारा देते हुए कमरे में लाकर मुझे बिस्तर पर लिटा दिया।

कहानी जारी रहेगी।