गुसलखाने का बंद दरवाज़ा खोला-4

प्रिय अन्तर्वासना के पाठकों आप सब को टी पी एल का हार्दिक अभिनन्दन! आशा करती हूँ कि आप सब अन्तर्वासना की रोचक रचनाएँ पढ़ कर अपनी वासना को जागृत एवं उसमे लगातार वृद्धि कर रहे होंगे! अन्तर्वासना की रचनाओं के इस विशाल सागर रूपी संग्रह की वृद्धि के लिए मैं एक रचना और ले कर आई हूँ! sexy story hindi

आशा करता हूँ की आपने इसके पहले का भाग पढ़ा होगा, अगर नहीं पढ़ा तो ज़रूर पढ़िए..

antarvasnasexstories.org par sexy story hindi jaise mast antarvasna free sex kahaniSexy story Hindi > गुसलखाने का बंद दरवाज़ा खोला-3

मुझे भी मूत्र विसर्जन के लिए गुसलखाने जाना था मैं वहीं उसके बाहर आने का इंतज़ार करता रहा।

कुछ क्षणों के बाद नेहा अपनी सलवार का नाड़ा बांधती हुई बाहर निकली और मुझे वहाँ खड़ा देख कर थोड़ा झिझकी और फिर मुस्कराते हुए मुझे गुसलखाने में जाने का रास्ता दे दिया।

अन्तर्वासना मैं जब मूत्र विसर्जन कर रहा था तब मैंने तिरछी नजरों से दीवार पर लगे आईने में नेहा की छवि को देखा जो दरवाज़े में से गुसलखाने के अन्दर झांक रही थी।

मैं समझ गया कि वह क्या देखना चाहती है इसलिए मैं थोड़ा घूम गया ताकि उसे मेरा लिंग अच्छे से दिख जाए!

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मूत्र विसर्जन के बाद जब मैं गुसलखाने से बाहर आया तो नेहा को वहाँ नहीं देख कर समझ गया कि वह बैठक में भाग गई होगी।

उसके बाद हम दोनों ने अपनी अपनी लिस्ट के हिसाब से सामान छांटा और नेहा अपना सामान ले कर अपने फ्लैट में चली गई!

अगले दो दिन नेहा मुझे कभी कभी बालकनी में नज़र आ जाती और हमारी कुछ देर इधर उधर की बातें हो जाती।

तीसरे दिन मैं अपने कमरे में बैठा लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था, तब नेहा की आवाज़ आई।

इससे पहले की मैं उठ कर बालकनी में पहुँचता, नेहा बालकनी लाँघ कर मेरे कमरे के दरवाज़े को खटखटाने लगी!

मैंने दरवाज़ा खोला तो देखा कि वह हाँफ रही थी तब मैंने उसे आराम से बैठ कर बात करने को कहा तो वह कमरे के अंदर आकर मेरे बैड पर ही बैठ गई।

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थोड़ी देर के बाद जब मैंने देखा की उसका हाँफना बंद हो गया है तो पूछा- क्या बात है? इतना हाँफ क्यों रही हो?

जैसे ही उसकी सांस में सांस में आई तब वह बोली- आज मैं बहुत खुश हूँ और वह ख़ुशी तुम्हारे साथ साझा करना चाहती थी इसलिए भागी भागी चली आई! मेरी नौकरी का नियुक्ति पत्र आ गया है और तीन दिनों के बाद सोमवार को मुझे उसे ज्वाइन करना है।

मैंने नेहा से पूछा- कौन सी कंपनी से नियुक्ति पत्र आया है?

तब उसने अपनी नाइटी के गले में हाथ डाला और ब्रा मे फसा एक कागज़ निकाल कर मेरे हाथ में रख दिया।

मैंने जब उसे खोल कर पढ़ा तो देखा कि उसे भी उसी कंपनी में नौकरी मिली है जहाँ मुझको सोमवार को जाना था।

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जब मैंने नेहा को बताया कि मुझे भी उसी कंपनी में नौकरी मिली हुई है और मैं भी सोमवार को वहीं ज्वाइन करूँगा तो वह ख़ुशी के मारे उछल पड़ी और मुझ से लिपट गई।

मैंने उसे अपने से अलग किया और फिर हम काफी देर बैड पर ही बैठे अपनी अपनी नौकरी के भविष्य के बारे में बाते करते रहे।

अगले दिन रविवार को भईया, भाभी और मैं जब बालकनी में बैठे थे तब नेहा बालकनी में आई और हमें वहाँ बैठा देख कर तुरंत वापिस अन्दर चली गई।

कुछ क्षणों के बाद वह अपने पति के साथ बाहर आई तब नेहा के पति ने भईया, भाभी का अभिनन्दन किया और मुझसे हाथ मिलाया तथा अपना परिचय दिया।

नेहा का पति कद में नेहा से छोटा लग रहा था और रंग में भी सांवला एवं देखने में भी बदसूरत लग रहा था।

मुझे बहुत ही हैरानी हो रही थी की नेहा ने उस जैसे लंगूर से शादी के लिए हाँ क्यों की होगी।

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परिचय हो जाने के बाद नेहा के पति ने मुझसे कहा- नेहा ने मुझे बताया कि तुम्हें भी उसी कंपनी में नौकरी मिली है जिसमें नेहा को मिली है।

कल सुबह कंपनी के काम से मुझे चेन्नई जाना है इसलिए मैं कल उसे उसको ऑफिस छोड़ने नहीं जा सकता!

अगर तुम्हें कोई परेशानी नहीं हो तो क्या तुम कल उसे अपने साथ ऑफिस ले जा सकते हो?

मैंने उत्तर में कहा- मुझे इसमें कोई परेशानी नहीं होगी!

लेकिन मैं तो बाइक से जाऊँगा इसलिए अगर आपकी पत्नी को कोई परेशानी और आपत्ति नहीं हो तो वह अवश्य मेरे साथ चल सकती हैं।

अन्तर्वासना मेरी बात सुन कर मेरी भाभी ने तुरंत कहा- रवि, अगर सोमवार को तुम नेहा को अपने साथ ले कर जाने वाले हो तो मेरी कार में चले जाना।

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फिर भाभी ने नेहा के पति की ओर घूमते हुए बोली- भाई साहिब, आप चिंता मत करें! सोमवार को मैं कार नहीं ले जाऊँगी इसलिए यह दोनों आराम से उसमे नई नौकरी ज्वाइन करने जा सकते हैं।

इसके बाद नेहा और उसके पति ने भईया, भाभी और मेरा धन्यवाद किया और अन्दर चले गए।