गुसलखाने का बंद दरवाज़ा खोला-6

योनि की जकड़न और लिंग की फुलावट के कारण हम दोनों के गुप्तांगों पर बहुत ही तीव्र रगड़ लगी जिससे दो धक्कों में ही हम दोनों एक साथ सखलित हो गए।

उसकी योनि के अंदर उसके रस की धारा और मेरे लिंग से निकले रस की बौछार से बाढ़ आ गई थी!

तब नेहा ने मुझे अपने बाहुपाश में ले कर अपने शरीर के साथ चिपका लिया तथा मुझे चूमने लगी! उ

सकी योनि के अन्दर मेरे और उसके रस के मिश्रण से पैदा हुई गर्मी के कारण उसकी योनि और भी अधिक सिकुड़ गई तथा उसकी योनि मेरे लिंग को अत्याधिक शक्ति से जकड़ कर अपना प्यार प्रदर्शित करने लगी।

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मैं नेहा और उसकी योनि के प्यार को ग्रहण करने के लिए नेहा के शरीर के ऊपर ही लेट गया और उसके स्तनों को मसलते हुए उसके रसीले होंटों और जीह्वा को चूसने लगा!

पन्द्रह मिनटों के बाद जब नेहा की योनि की जकड़न और मेरे लिंग की फुलावट कम हुई तब मैंने अपने लिंग को उसकी योनि से बाहर निकला और उसके बगल में लेटते हुए उसे अपने साथ चिपका लिया।

लेटे लेटे हम दोनों को कब नीद आ गई कुछ भी पता नहीं चला।

जब मेरी नींद खुली तो देखा कि सुबह के पांच बज चुके थे लेकिन पास में सोई हुई नेहा के आकर्षक एवं कामुक नग्न शरीर को देख कर मेरा मन डोल गया।

मैं अपने पर नियंत्रण खो गया और मैंने नेहा की चूचियों को मसलना और उसके चुचूकों को चूसने लगा तथा उसके जघन-स्थल के छोटे छोटे बालों को अपने हाथों से सहलाने लगा!

नेहा को जब अपने गुप्तांगों पर मेरा स्पर्श महसूस हुआ तो उसने अपनी आँखें खोली और मुझे विस्मित निगाहों से देखते हुए उठ कर बैठ गई!

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फिर मेरे नग्न शरीर और लिंग को देख कर शायद उसे बीती रात की याद आ गई तो मुस्करा कर मुझसे लिपट गई तथा मेरे होंटों को चूमने लगी!

कुछ देर के बाद उसे मेरे लिंग की याद आ गई तब वह झट से एक हाथ से उसे पकड़ कर मसलने लगी और दूसरे हाथ से मेरे अंडकोष पकड़ कर उन्हें सहलाने लगी।

नेहा का हाथ लगते ही मेरे लिंग में चेतना आ गई और वह देखते ही देखते खड़ा हो गया।

मेरे लिंग के कड़क होते ही नेहा घूम गई और 69 की स्तिथि बनाती हुई मेरे लिंग को अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी।

उसने मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़ कर मेरे मुँह को अपनी योनि पर लगा कर दबा दिया।

मैं उसका इशारा समझ गया और मैंने उसकी योनि के पाटों को खोल कर उन्हें चाटने लगा तथा उसके भगनासा को जीभ से सहलाने लगा।

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थोड़ी देर के बाद मैंने अपनी पूरी जीभ उसकी योनि के अन्दर डाल कर उसके जी-स्पॉट को सहलाने लगा।

अगले पाँच मिनट में ही नेहा ऊँची ऊँची सिसकारियाँ लेने लगी और उसकी योनि में से रस स्खलित हो गया।

तब नेहा ने मेरे लिंग को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया और उठ कर मुझे धक्का दे कर बैड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर बैठ गई!

मैं पीठ के बल लेटा रहा तब वह सरकते हुए मेरी जाँघों तक पहुँची और मेरे लिंग को पकड़ कर हिलाने लगी।

जब उसने देखा कि मेरा लिंग लोहे की तरह सख्त हो गया है तब वह थोड़ी ऊँची हो कर मेरे लिंग को अपनी योनि के पाटों पर स्थित किया और उस पर धीरे धीरे नीचे की ओर बैठने लगी।

कुछ ही क्षणों में मेरा पूरा लिंग फिसलता हुआ उसकी योनि के अन्दर चला गया और मुझे उसके अन्दर की गर्मी की अनुभूति हुई।

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मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे लिंग को किसी गर्म तंदूर में डाल दिया गया था और उसे तंदूरी चिकन की तरह भुना जा रहा था!

तभी नेहा अपने पैरों के बल पर उछल उछल कर मेरे लिंग को अपनी योनि के अंदर बाहर करने लगी!

उसकी हर उछाल पर उसके मनमोहक स्तन पेड़ों पर लगे आमों की तरह झूल जाते!

यह दृश्य देख कर मैं बहुत उत्तेजित हो गया और मैंने उसके स्तनों को पकड़ लिया और नीचे से उचक कर धक्के लगाने शुरू कर दिए!

दस मिनट तक ऐसे ही उछल कूद करने से नेहा की साँसें तेज़ी से चलने लगी और उसे थकान भी होने लगी थी।

तब मैंने उसे मेरे लिंग पर बैठे बैठे ही पकड़ कर घुमा दिया जिससे उसका चेहरा मेरे पाँव की ओर हो गया और उसकी पीठ मेरी ओर हो गई।

फिर मैं उसके साथ कस कर चिपट गया और बिना लिंग को बाहर निकाले करवट ले कर उसे नीचे कर दिया और मैं खुद उसके ऊपर आ गया।

तब मेरे कहे अनुसार नेहा धीरे धीरे अपनी टांगें समेट कर घोड़ी बन गई और मैं उसके पीछे से उसकी योनि में अपना लिंग अन्दर बाहर करने लगा।

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कुछ समय बाद नेहा भी मेरा साथ देने लगी और मेरे हर धक्के का उत्तर अपने शरीर को पीछे धकेल कर मेरे लिंग को अपनी योनि में लेने लगी।

लगभग दस मिनट के बाद नेहा ने बताया कि उसकी योनि में गुदगुदी एवं हलचल हो रही थी और उसका योनि रस का स्खलन होने वाला था।

तब मैंने उसके दोनों स्तनों को पकड़ लिया और अपनी गति को तीव्र करते हुए लिंग को योनि के अंदर बाहर करने लगा।

पन्द्रह से बीस तीव्र धक्के लगते ही नेहा की योनि सिकुड़ गई और उसने मेरे लिंग को जकड़ लिया जिससे मेरे लिंग पर बहुत प्रबल रगड़ लगने लगी और मेरा लिंग भी फूल गया।

दो धक्के और लगाते ही नेहा और मैं दोनों चिल्लाते और सिसकारियाँ लेते हुए अपने अपने रस का स्खलन करने लगे।

नेहा की योनि हम दोनों के रस से भर गई और उसमे से रस बह कर बाहर निकल कर नेहा की जाँघों और मेरे अंडकोष को गीला करने लगा।

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इसके बाद हम दोनों उठ कर गुसलखाने में जाकर आपस में एक दूसरे को साफ़ किया और कपड़े पहन कर थकान के मारे निढाल हो कर बिस्तर पर लेट गए।

तभी हमारी दृष्टि दीवार पर लगी घड़ी पर गई तो हम दोनों चौंक पड़े क्योंकि उसमें छह बज चुके थे! मैं तुरंत उठा और नेहा के होंटों को चूमते हुए उसके कमरे का दरवाज़ा खोला और बालकनी को लांघते हुए अपने कमरे में जा कर सांस ली।

घर में घूम के देखा और जब भईया भाभी को अपने बंद कमरे में ही सोते हुए पाया तब मेरी जान में जान आई! xxx kahani