प्रिय अन्तर्वासना के पाठकों आप सब को टी पी एल का हार्दिक अभिनन्दन! आशा करती हूँ कि आप सब अन्तर्वासना की रोचक रचनाएँ पढ़ कर अपनी वासना को जागृत एवं उसमे लगातार वृद्धि कर रहे होंगे! अन्तर्वासना की रचनाओं के इस विशाल सागर रूपी संग्रह की वृद्धि के लिए मैं एक रचना और ले कर आई हूँ! chudai stories
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा सादर प्रणाम!
मेरा नाम रवि है, मैं पिछले दो वर्षों से अपने भईया और भाभी के साथ बैंगलोर में रह रहा हूँ।
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मेरी आयु चौबीस वर्ष है, आई टी इंजिनियर हूँ तथा बैंगलोर की एक आई टी कंपनी में कार्यरत हूँ।
मेरा कद छह फुट एक इंच है और नियमत व्यायाम और संतुलित भोजन के कारण मैं एक हट्टे-कट्टे एवं गठीले शरीर का मालिक हूँ।
दो वर्ष पहले जब मैंने अपनी इंजीनियरिंग पूरी करी थी तब कैंपस इंटरव्यू में ही बैंगलोर की इस कंपनी द्वारा काम के लिए चयनित हो गया था्।
क्योंकि मेरे भईया और भाभी बैंगलोर में ही कार्य करते हैं इसलिए उन्होंने मुझे अपने साथ सातवीं मंजिल पर उनके दो बैडरूम वाले फ्लैट में ही रहने के लिए बाध्य कर दिया।
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दो वर्ष पूर्व जब मैं बैंगलोर आया था तब मैंने कभी सोचा नहीं था कि यह शहर इतना सुन्दर और हसीं होगा!
लेकिन अब यहाँ की हरियाली और मौसम ने मेरे दिल को इतना प्रभावित किया है कि मैंने यहाँ से कभी नहीं जाने का निर्णय ले लिया है!
मेरे इस महत्पूर्ण निर्णय के पीछे एक कारण और भी था जिसे बताने के लिए मुझे आप सब को थोड़ा अपने अतीत में ले जाना पड़ेगा!
मेरे अतीत का वह कारण मेरे बंगलौर पहुँचने के तीसरे दिन शुरू हुआ था और आज भी बना हुआ है।
मैं अपने आप को नए शहर के माहौल से अवगत करने के लिए अपनी नौकरी में शामिल होने की तारीक से दो सप्ताह पहले ही यहाँ पहुँच गया था।
पहला दिन तो सफ़र की थकावट दूर करने में बिता दिया और दूसरा दिन इधर उधर घूम कर तथा शहर की रौनक देखने में बिता दिया।
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तीसरा दिन बारिश ने बर्बाद कर दिया क्योंकि मैं लगभग सारा दिन बालकनी में बैठा बादलों और बारिश की बूंदों को देखता रहा!
उसी दिन मुझे हमारे फ्लैट के साथ वाले फ्लैट की बालकनी में कपड़े सूखते दिखाई दिए।
मैं समय व्यतीत करने के लिए उन्हें गिनने लगा तो पाया कि कुल पच्चीस सूखते कपड़ों में से दस कपड़े किसी पुरुष के थे और पन्द्रह कपड़े किसी स्त्री के थे!
उन पन्द्रह स्त्री के कपड़ों में चार ब्रा थीं और चार पैंटी थी!
मैं उन कपड़ों की ओर टकटकी बांधे देख रहा था और उनके साइज़ के बारे में सोच रहा था।
मैं यह अनुमान नहीं लगा पा रहा था कि ब्रा का नाप 34 था या 36 था!
क्योंकि सफ़ेद रंग की एक ब्रा बाकी की तीन रंगीन ब्रा के साइज़ से बड़ी लग रही थी उन ब्रा के लटकते हुए स्ट्रैप पर लगे लेबलों पर लिखा साइज़ दूर से पढ़ने में नहीं आ रहा था।
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मैं कौतूहल-वश बालकनी में चहल-कदमी करते हुए उन कपड़ों के निकट जा रहा था तभी हवा का एक तेज़ झोंका आया और कुछ कपड़े फर्श पर गिर गए जिन में से दो ब्रा और दो पैंटी भी थीं।
मैं इसी उधेड़बुन में खड़ा था कि क्या करूँ, तभी पड़ोस के घर का दरवाज़ा खुला और अन्दर से एक गोरे रंग की, बहुत ही सुन्दर और जवान स्त्री बाहर निकली।
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उसका कद लगभग पांच फुट सात इंच था, सिर के बाल घने काले थे, नयन-नक्श बहुत ही तीखे और चेहरा अंडाकार था।
उसके उभरे हुए गालों में से बाएँ गाल पर एक छोटा सा तिल था जो उसकी सुन्दरता पर चार चाँद लगा रहा था।
उसने आसमानी रंग की नाइटी पहनी हुई थी जिस में से उसके कसे हुए और सख्त दिखाई देने वाले स्तन दो मीनारों के गुम्बद की तरह उठे हुए थे।
उसे देख कर मैं थोड़ा ठिठक गया और अपनी बालकनी के बीच में ही रुक कर उसे देखता रहा!
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उसने नाइटी के नीचे क्या क्या पहना था मैं इसका अनुमान तब तक नहीं लगा पाया जब तक उसने मुड़ कर मेरी और पीठ नहीं करी।