पहली बार सीमा को चोदने के बाद मुझे लगने लगा था कि मैं अपने इस हुनर से अकेली और तनहा रहने वाली भाभियों को खुश करके उनका और अपना भला कर सकता हूँ। कुछ लोग कहेंगे कि यह काम बहुत गन्दा है पर मैं सोचता हूँ कि जिससे मुझे और दूसरों को खुशी मिलती है वो काम बुरा नहीं है। desi lund
मैं बलात्कार और यौन उत्पीड़न जैसी किसी भी घटना का समर्थन नहीं करूँगा इसलिए मैं सभी अन्तर्वासना पाठकों से निवेदन करता हूँ की ऐसी किसी घटना को अंजाम देने से पहले यह सोचें कि आपके घर में भी कोई बहन, बेटी, बहू और माँ है।
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तो अब मैं अपनी तीसरी कहानी आपके सामने रखता हूँ।
सीमा को चोदने के बाद मैं घर पहुँचा ही था कि मेरे मोबाइल पर मोहिनी का मेसेज आया।
जिसमें लिखा था- जियो मेरे शेर… मुझे पता था कि तुम सीमा का बैंड बजा दोगे।
अच्छा मैंने तुम्हारे कॉलेज के लिए अपनी सहेली से बात कर ली है, उनका नाम प्रोफेसर बरखा खन्ना है, आज तुम उनसे मिलने चले जाना, बाकी सब वो तुम्हें बता देंगी।
उसके बाद मैं नहा धोकर कॉलेज के लिए निकला जहाँ मुझे प्रोफेसर बरखा खन्ना से मिलना था।
वो दिल्ली के जानेमाने कॉलेज में इंग्लिश की लेक्चरर है।
थोड़ी देर इधर उधर पूछने के बाद मैं उनके केबिन में पहुँचा तो देखा एक 27-28 साल की लड़की सामने कुर्सी पर बैठी थी।
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उसका शरीर एक औसत लड़की की तरह था, न ज्यादा मोटा न ज्यादा पतला।
उसके होंठ बहुत खूबसूरत थे और छातियों का आकार 34 का होगा।
मैंने उनसे पूछा- मुझे प्रोफेसर बरखा से मिलना है, मुझे मोहिनी मैडम ने भेजा है।
तो उसने पलटकर कहा- मैं ही बरखा हूँ, लाओ अपने कागज़ दिखाओ।
मैंने चुपचाप अपने सारे कागज़ात उनके सामने रख दिए पर वो मुझे घूर रही थी।
मैं उसकी नज़रों से बचने के लिए इधर उधर देखने लगा तो उसने कहा- तुम्हारा काम हो जायेगा लेकिन इसके बदले तुम्हें मेरा एक काम करना पड़ेगा।
मैंने उसके चेहरे की मुस्कान को देखकर समझ गया था कि वो क्या चाहती है।
तो मैंने कहा- आप बता दीजिये कहाँ आना है, मैं पहुँच जाऊँगा।
तो उसने कहा- थोड़ी देर बाहर इन्तजार करो मैं तुम्हारा एडमिशन फॉर्म और फीस जमा करा कर आती हूँ।
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मैं जैसे ही फीस के पैसे उसे देने लगा तो उसने कहा- इसकी जरूरत नहीं है, मैं दे दूँगी। तुम बस तैयार रहो अपने टैस्ट के लिए।
मैं बाहर जाकर पार्क में बैठ गया।
लगभग 1 घंटे बाद बरखा अपने पर्स लेकर मेरे पास आई और मुझे मेरे एडमिशन फॉर्म की रसीद देकर मुझे अपने पीछे आने के लिए कहा।
मैं बिना कुछ सोचे समझे उसके पीछे पीछे चल दिया।
वो आगे अपनी गाड़ी के पास जाकर रुक गई।
मैं उसकी गाड़ी को देखता रह गया।
उसके पास ऑडी कार थी।
मैं उसके साथ वाली सीट पर बैठ गया।
फिर वो मुझे डिफेन्स कॉलोनी के एक मैटरनिटी हॉस्पिटल लेकर गई।
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वहाँ बरखा ने मुझे मनीषा से मिलाया वो उस हॉस्पिटल की मालकिन थी।
हम तीनों मनीषा के केबिन में बातें कर रहे थे।
बरखा- वरुण, तुम्हें यहाँ लाने का कारण यह है कि मनीषा दीदी यह मैटरनिटी हॉस्पिटल चलाती हैं। यहाँ पर उन लोगों का इलाज होता है जिन्हें कोई संतान नहीं होती है।
मनीषा- हम चाहते हैं कि चुदाई के दौरान जब तुम्हारा वीर्य निकले वो खराब न जाये। हम उसे अपने पास स्टोर करके रखेंगे। जिससे वो किसी की खाली कोख को भर सके। पर इससे तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है, हम तुम्हें हॉस्पिटल की तरफ से एक सर्टिफिकेट जारी करेंगे जिसमें यह लिखा होगा कि हम तुम्हारा वीर्य दान के रूप में ले रहे हैं।
तो मैंने कहा- अगर मैं किसी के लिए ख़ुशी का कारण बन सकता हूँ तो मैं इसके लिए तैयार हूँ।
मनीषा ने मेरे हाथ में एक डब्बी थमाकर कहा- इसमें अपना वीर्य भरकर लाओ, मैं उसे जांच के लिये भेज दूंगी।
तो मैंने कहा- इसमें तो 20-25 मिनट लगेंगे।
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