मैंने भी उसकी पतली कमर को पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया और उसके होंठ चूसने लगा।
और मेरे दोनों हाथ उसकी मखमली पीठ पर फिरने लगे तो कभी उसके चूतड़ों को दबा देता तो कभी जांघों को सहला देता।
फिर धीरे से मैंने उसकी ब्रा खोल दी, उसके दोनों उरोज मेरी आँखों के सामने थे, बिल्कुल गुलाबी-2 कोमल-2, लगता जैसे छू लो तो मैले हो जायेंगे।
अब मुझसे नहीं रुका जा रहा था, दोनों हाथों से उसकी बलखाती नाजुक कमर को पकड़ कर उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया, फिर उसके दोनों चूचों को पकड़ कर प्यार से मसलने लगा। आप ये मस्त सेक्स कहानी अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट ऑर्ग पर पढ़ रहे है..
उसे मजा आने लगा। उसके मम्मे बिल्कुल अनछुए और सख्त थे, पहली बार किसी लड़के के सख्त स्पर्श से सपना के दोनों स्तन थिरकने लगे।
फिर मैं उसके मम्मे दबाते हुए उसके होंठों पर चुम्बन करने लगा, फिर गाल पर, फिर गले पर, उसके बाद उसके कान पर!
जैसे ही अपनी जीभ से कानों की लटकनों को चाटने लगा, तो एकदम से मचलने लगी वो, उसे बहुत अच्छा लग रहा था।
फिर मैं उसके एक मम्मे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को हाथ से धीरे-धीरे दबाने लगा।
ऐसा करते ही सपना तड़पने लगी और मेरा सर पकड़कर अपने मम्मों पर दबाने लगी।
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मैं उसके निप्पल को दांतों से धीरे से दबा देता तो चिहुंक जाती तो कभी चूसने से तड़पने लगती।
अभी तक मैंने उसकी जींस को हाथ भी नहीं लगाया था क्योंकि किसी भी लड़की को प्यार और सब्र से करो तो उसे ज्यादा मजा आता है।
फिर मैं उसके पेट को चूमने लगा और अपनी जीभ उसके पेट पर चारों तरफ और उसकी नाभि में घुमाने लगा तो वो बिल्कुल पागल हुई
जा रही थी और उत्तेजना व गुदगुदी के मारे हंसने लगी।
फिर मैंने धीरे से उसकी जींस खोली और उसके पैरों के तरफ जाते हुए उसकी जींस निकाल दी।
वो गुलाबी रंग की ही पेंटी पहने थी। मैंने धीरे से उसकी गर्म हो चुकी चूत पर अपना हाथ फिराया और पेंटी के ऊपर से ही एक जोरदार चुम्बन लिया।
फिर मैं उसके ऊपर जाते हुए उसके होंठों पर, उसके गले पर और उसके मम्मे चूसने लगा, वो सिसकारने लगी और मेरे कपड़े निकालने की कोशिश करने लगी।
तब मैंने अपनी टीशर्ट और बनियान निकाल दिए, मेरे सीने को देखते ही उसने दोनों हाथों से पकड़ कर मेरे सीने के उभार सहलाए और बोली- ये इतने सख्त?
मैं बोला- क्यों नहीं? रेगुलर कसरत जो करता हूँ।
फिर मैं अपने हाथ नीचे ले जाकर उसके पेंटी के ऊपर से उसकी योनि सहलाने लगा और उसकी जांघों को दबाने लगा।
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फिर धीरे से मैंने उसकी पेंटी निकाल कर उसके पैरों से अलग कर दी तो वो शरमा गई और अपने हाथों से अपनी योनि को ढक लिया।
मैंने प्यार से उसके हाथ हटाये और देखा तो देखता ही रह गया, उसका योनिस्थल एकदम गोरा बिल्कुल अनछुआ, गुलाबी दाना चूत पर, चिकनी छोटी सी प्यारी सी, एक भी बाल नहीं और मक्खन की तरह मुलायम!
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने एक पप्पी ले ली उसकी चूत की तो वो चिहुँक गई जैसे करेंट लगा हो।
आप ये मस्त सेक्स कहानी अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट ऑर्ग पर पढ़ रहे है.. मैंने उसके पैरों को दोनों फ़ैला कर अपने गर्म होंठ रख दिए उसकी चूत पर और धीरे धीरे चूसने लगा उसके दाने को अपने होंठों से और जीभ की नोक से छेड़ने लगा, तो कभी धीरे से जीभ की नोक उसकी चूत के अंदर डालने की कोशिश करने लगा।
सपना तड़पने लगी, मचलने लगी और मुख से अजीब-2 आवाजें निकलने लगी- आह ओह आहाआ!
वो बिल्कुल पागल सी हो रही थी। उसकी चूत बिल्कुल गर्म होकर गीली हो चुकी थी।
उसने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ लिया और अपनी चूत पर जोर जोर से दबाने लगी, मैं उसकी चूत चूमता जा रहा था और उसके मुंह से जोरों से सिसकारने की आवाजें आने लगी तो कभी ‘अई मम्म्म्मी’ करने लगी।
सच में जिंदगी में पहली बार उसे ऐसा सुख मिल रहा था, थोड़ी देर में वो अकड़ने लगी और मेरे सर को जोर से अपनी चूत पर दबाने लगी और चिल्लाने लगी- अंकित, और जोर से चूसो!
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और कमर उछालने लगी।
उसके मुंह से आवाज आई- अंकित चूसो! और चूसो… आआहा… उईई… माआअमाआआ…
मैंने धीरे से एक उंगली उसकी चूत के अंदर थोड़ी सी डाल दी और जीभ से उसके दाने को रगड़ता रहा।
सपना एकदम से अकड़ गई और तो आआई माम्म्मम्म्मी करती हुई ढेर होने लगी, उसका यौवन रस छुट पड़ा और जोर-जोर से हाँफने लगी।
तब मैं उसके ऊपर आकर उसके मम्मे पकड़ कर उसके होंठ चूसने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी और अपना हाथ नीचे करके पैंट के ऊपर से सहलाने और बेल्ट खोलने की कोशिश करने लगी।
सपना बोली- अंकित, अब कुछ करो न! अब रहा नहीं जा रहा है।
मैंने पूछा- क्या करूँ?
तो गुस्से में बोली- मुझे नहीं पता।
मैं हंसने लगा!
फिर मैंने अपनी जींस निकाल दी और नीचे लेटकर उसे अपने उपर खींच लिया।
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