उसने घर पर ही खाना बनाया था.. चिकन-करी और चावल.. हमने साथ खाना खाया। खाना खाने के बाद मैं पलंग पर जाकर बैठ गया और वो कपड़े बदलने बाथरुम में चली गई। जब वो बाहर आई तो मैं तो उसे देखता ही रह गया। उसने भूरे रंग की और बड़े गले वाली मैक्सी पहनी हुई थी.. जो पारदर्शी तो नहीं थी, पर उसके सारे उभार देखे जा सकते थे। वो बाथरुम के दरवाजे के पास ही खड़ी रही.. मैं उसे लेने वहाँ पहुँचा। ‘खाना बहुत स्वादिष्ट था और तुम भी दिखने में बहुत टेस्टी लग रही हो।’
मैं उसकी तारीफ़ करने लगा। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर रख दिए.. उसने जबान से अपने होंठों को गीला किया और अपने हाथों में मेरा चहेरा पकड़ कर अपने झुलसते होंठों को मेरे होंठों पर रख दिए। वो बड़ी बेसब्री से मेरे होंठों को चूस रही थी.. मानो खा ही जाएगी। फ़िर उसने अपनी जीभ को मेरे मुँह में डाल दिया और उसकी और मेरी जीभ आपस में खेलने लगी। हम दोनों ही बड़े मजे ले रहे थे।
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हम चूसते-चाटते ही बिस्तर की ओर बढ़े और वहाँ जाकर जब हम अलग हुए तो मैंने उसकी मैक्सी निकाल दी.. वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में रह गई। मैंने उसे बिस्तर पर बिठाया और अपने कपड़े निकालने लगा और कपड़े निकालते वक्त भी सुमन आगे होकर मेरे होंठों को चूम लेती। फ़िर मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए, वो मेरे लौड़े को देखकर बोली- ह्म्म्म.. जैसा सोचा था उससे कई गुना बेहतर है मिस्टर… मैं मुस्कुराया और सुमन के पीछे जाकर बैठ गया और पीछे से हाथ डाल कर उसके पेट पर फ़िराने लगा। मेरा एक हाथ उसके संतरों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा।
मैं उसकी गर्दन चूमने लगा.. वो सिसकारी लेने लगी.. उसने सर मेरी ओर घुमा लिया और मेरे होंठों को चूमने लगी। मैं भी जवाब में उसका साथ दे रहा था। अब मेरे दोनों हाथ उसके संतरों पर थे और उन्हें सहला रहे थे। वो अपने दोनों हाथ मेरे हाथों पर रख कर अपने स्तन और जोर से दबवाने की कोशिश कर रही थी। फ़िर मैंने उसकी ब्रा खोल दी.. पर वो अब भी हाथों से ब्रा को अपनी जगह थामे हुई थी.. मैंने खींच कर उसे हटा दिया। मैं थोड़ा पीछे खिसका और दीवार का सहारा लेकर बैठ गया और उसे अपनी तरफ़ खींच लिया। मैं उसे बांहों में इस कदर पकड़े बैठा था कि उसकी कमर के ऊपर का हिस्सा मेरी गोद में रहे और बाकी का बिस्तर पर।
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मेरा एक हाथ उसकी कमर पर लिपटा था और एक उसके सर को सहारा देकर अपनी ओर बनाए रखा था। उसने अपने बाँहें मेरी गर्दन से लिपटा रखी थीं और हम चुम्बन में मग्न थे। जब भी मैं उसके होंठों को अकेला छोड़ता.. वो कुछ देर में ही फ़िर से चूमने लग जाती। ऐसा लगता था कि मेरी तरह उसे भी ‘फ़्रेन्च किसिंग’ में बहुत आनन्द आता है। फ़िर मैंने उसको लेटा कर उसके चूचे चूसना चालू कर दिया… वो मदहोश होने लगी।
फ़िर जब मैंने उसे लौड़ा चूसने को कहा तो उसने कहा- मैंने कभी मुँह में लिया नहीं है। मैंने उसे एक बार लेकर देखने को कहा.. वो पीछे हटी और झुक के लौड़े को चूमा.. पर वो अब भी मुँह में लेने से संकोच कर रही थी। ‘समझ लो ‘लेग-पीस’ है..’ वो मुस्कुरा पड़ी.. और उसने धीरे से लंड मुँह में ले लिया और जल्दी से निकाल भी दिया.. उसने दो-तीन बार ऐसा किया.. फ़िर आँखें बन्द करके लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं उसकी पीठ पर हाथ फ़िरा रहा था। उसके चूसते-चूसते जब मैं झड़ने लगा.. तो उसने तुरंत लंड मुँह से बाहर निकाल लिया.. पर थोड़ा माल उसके मुँह में चला ही गया.. तो वो उबकाईयां लेने लगी।
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कुछ देर में वो सामान्य हुई.. तो मैंने पूछा- कैसा रहा? उसने कहा- बहुत अच्छा था.. पर अगली बार मुँह में मत झड़ना.. अब उसने फ़िर से मेरे लौड़े को पकड़ लिया, उसने इतनी जोर से मेरा लंड पकड़ा था कि मुझे दर्द हो रहा था। फ़िर वो उसे हिलाने लगी और बोली- चल मेरे राजा.. अब इसको मेरी तलाकशुदा फ़ुद्दी की गहराई में लीन कर दे.. मेरी चूत की आग मिटा दे.. उसने खुद ही अपनी पैंटी निकाल दी।
उसकी चूत एकदम साफ़ और फूली हुई थी.. लगता था जैसे रात को या सुबह ही शेव की है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! वो मेरे बगल में लेट गई.. मैं पलट कर उसके ऊपर आ गया और उसकी दोनों टांगों के बीच अपनी एक टाँग डाल दी और उसके लबों को चूमने लगा। मेरे लंड ने अपना रास्ता खोज लिया.. मैंने लंड को हाथ से पकड़ कर चूत के छेद पर लगाया और हल्के से दबाव बनाते हुए उसे अन्दर धकेलने लगा.. क्योंकि उसने ऐसे ही करने को कहा था। उसकी तलाकशुदा फ़ुद्दी ठीक-ठाक कसी हुई थी.. पर ज्यादा कसी नहीं थी… वो खेली खाई थी।
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जब लंड पूरा अन्दर चला गया.. तब मैंने धक्के लगाना चालू किए.. उसके मुँह से अलग-अलग आवाजें.. सिसकारियां निकलने लगीं- म्म्म्मा.. आआआ.. ऊऊऊऊऊआह.. यस वेरी गुड.. आह नाइस म्म्म्म्म्म्मआ.. चोदना शुरू करने के कुछ ही देर बाद वो झड़ गई। करीब दस मिनट के बाद वो फ़िर से झड़ गई और कुछ मिनटों के बाद मैं भी झड़ गया और अपना सारा गरम पानी उसकी चूत में लबालब भर दिया। हम कुछ देर तक थकान से ऐसे ही पड़े रहे और यहाँ-वहाँ की बातें करने लगे। फ़िर वो बोली- एक बात बोलूँ.. बुरा मत मानना, तुम्हें देख कर लगता नहीं कि तुम इतने पहुँचे हुए खिलाड़ी हो।
मैंने उसे घूर कर कहा- अच्छा? “नहीं.. मेरा मतलब था कि तुम बहुत सीधे-सादे लगते हो..।” उसने कहा। मैंने भी नई फ़िल्म का डायलॉग मारते हुए बोल दिया- मैं दिखता हूँ स्वीट.. इन्नोसेन्ट साधु टाईप का.. पर मैं हूँ असल में बहुत बड़े कमीने टाईप का। और हम दोनों हँसने लगे। हमने तीन घंटे में और दो राउन्ड और खेले.. फ़िर जब मैं जाने को तैयार हुआ.. तो उसने मुझे रोक लिया और रात उसके साथ ही बिताने को कहा।
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कुछ देर की बातचीत और प्लानिंग के बाद मैं रात वहीं रुक गया। रात को सोते वक्त दो बार हमने चुदाई की और फ़िर रात को मुझे नींद से जगा कर एक और बार चुदाई करवाई। उसके बाद शनि-रविवार को या जब भी हमारा वक्त सैट होता..
हम जरूर मिलते और चूत चुदाई खेलते।
एक-दो बार मैंने उसे अपने दोस्त के साथ मिल कर भी चोदा।