बाथरूम की ओर जाते समय पीछे से उसके भारी और गोल मटोल नितम्बों की थिरकन देख कर तो मेरे दिल पर छुर्रियाँ ही चलने लगी। मैं जानता था पंजाबी लड़कियाँ गाण्ड भी बड़े प्यार से मरवा लेती हैं। और वैसे भी आजकल की लड़कियाँ शादी से पहले चूत मरवाने से तो परहेज करती हैं पर गाण्ड मरवाने के लिए अक्सर राज़ी हो जाती हैं। आप तो जानते ही हैं मैं गाण्ड मारने का कितना शौक़ीन हूँ। बस मधु ही मेरी इस इच्छा को पूरी नहीं करती थी बाकी तो मैंने जितनी भी लड़कियों या औरतों को चोदा है उनकी गाण्ड भी जरूर मारी है। इतनी खूबसूरत सांचे में ढली मांसल गाण्ड तो मैंने आज तक नहीं देखी थी। काश यह भी आज राज़ी हो जाए तो कसम से मैं तो इसकी जिन्दगी भर के लिए गुलामी ही कर लूं। xxx story
“हाँ … पर तुम क्यों पूछ रही हो ?”
“उदां ई ?
चल्लो कोई गल नइ ! जे तुस्सी नई दसणा चाहंदे ते कोई गल नइ … मैं जान्नी हाँ फेर ?” (ऐसे ही ? चलो तुम ना बताना चाहो तो कोई बात नहीं …। मैं जाती हूँ फिर)
वो जाने के लिए खड़ी होने लगी।मैंने झट से उसकी बांह पकड़ते हुए फिर से बैठते हुए कहा,”ओह … तुम तो नाराज़ हो गई? वो … दरअसल … भगवान् ने पति पत्नी का रिश्ता ही ऐसा बनाया है !”
“अच्छाजी … होर बदले विच्च तुस्सी की पिलांदे ओ?” (अच्छाजी … और बदले में आप क्या पिलाते हो) वो मज़ाक करते हुए बोली।
हे लिंग महादेव ! यह किस दूध मलाई और शहद की बात कर रही है ? अब तो शक की कोई गुंजाइश ही नहीं रह गई थी। लगता है मधुर ने इसे हमारी सारी अन्तरंग बातें बता दी हैं। जरुर इसके मन भी कुछ कुलबुला रहा है। मैं अगर थोड़ा सा प्रयास करूँ तो शायद यह पटियाला पटाका मेरी बाहों में आ ही जाए।
“ओह .. जब तुम्हारी शादी हो जायेगी तब अपने आप सब पता लग जाएगा !” मैंने कहा।
“कि पता कोई लल्लू जिहा टक्कर गिया ताँ ?” (क्या पता कोई लल्लू टकर गया तो)
“अरे भई ! तुम इतनी खूबसूरत हो ! तुम्हें कोई लल्लू कैसे टकराएगा ?”
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“ओह … मैं कित्थे खूबसूरत हाँ जी ?” (ओह… मैं कहाँ खूबसूरत हूँ जी)
मैं जानता था उसके मन में अभी भी उस बात की टीस (मलाल) है कि मैंने उसकी जगह मधु को शादी के लिए क्यों चुना था। यह स्त्रीगत ईर्ष्या होती ही है, और फिर दीपा भी तो आखिर एक स्त्री ही है अलग कैसे हो सकती है।
“दीपा एक बात सच कहूं ?”
“हम्म… ?”
“दीपा तुम्हारी फिगर … मेरा मतलब है खासकर तुम्हारे नितम्ब बहुत खूबसूरत हैं !”
“क्यों उस मधुमक्खी के कम हैं क्या ?”
“अरे नहीं यार तुम्हारे मुकाबले में उसके कहाँ ?”वो कुछ सोचती जा रही थी। मैं उसके मन की उथल पुथल को अच्छी तरह समझ रहा था।
मैंने अगला तीर छोड़ा,”दीपा मेम साब, सच कहता हूँ अगर तुम थोड़ी देर नहीं चीखती या बोलती तो आज … तो बस ….?”
“बस … की ?” (बस क्या ?)
“वो … वो … छोड़ो … मधु को क्या हुआ वो क्यों नहीं आई ?” मैंने जान बूझ कर विषय बदलने की कोशिश की। क्या पता चिड़िया नाराज़ ही ना हो जाए।
“किउँ … मेरा आणा चंगा नइ लग्या ?” (क्या मेरा आणा अच्छा नहीं लगा ?)
“ओह… अरे नहीं बाबा वो बात नहीं है … मेरी साली साहिबा जी !”
“पता नहीं खाना खाने के बाद से ही उसे सरदर्द हो रहा था या बहाना मार रही थी सो गई और फिर सुधा दीदी ने मुझे आपको दूध पिला आने को कहा …”
“ओह तो पिला दो ना ?” मैंने उसके मम्मों (उरोजों) को घूरते हुए कहा।
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“पर आप तो दूध की जगह मुझे ही पकड़ कर पता नहीं कुछ और करने के फिराक में थे ?”
“तो क्या हुआ साली भी तो आधी घरवाली ही होती है !”
दी शेरनी हाँ ? इदां हत्थ आउन वाली नइ जे ?” (ओये होए जनाब इस तरह के मंसूबे मत पालना ? मैं पटियाला की शेरनी हूँ इस तरह हाथ आने वाली नहीं हूँ)
“हाय मेरी पटियाला की मोरनी मैं जानता हूँ … पता है पटियाला के बारे में दो चीजें बहुत मशहूर हैं ?”
“क्या ?”
“पटियाला पैग और पटियाला सलवार ?”
“हम्म … कैसे ?”
“एक चढ़ती जल्दी है और एक उतरती जल्दी है !”
“ओये होए … वड्डे आये सलवार लाऽऽन आले ?”
“पर मेरी यह शेरनी आधी गुजराती भी तो है ?” (दीपा गुजरात के अहमदाबाद शहर से एम बी ए कर रही है)
“तो क्या हुआ ?”
“भई गुजराती लड़कियाँ बहुत बड़े दिल वाली होती हैं। अपने प्रेमीजनों का बहुत ख़याल रखती हैं।”
“अच्छाजी … तो क्या आप भी जीजू के स्थान पर अब प्रेमीजन बनना चाहते हैं ?”
“तो इसमें बुरा क्या है?”
“जेकर ओस कोड़किल्ली नू पता लग गिया ते ओ शहद दी मक्खी वांग तुह्हानूं कट खावेगी ?” (अगर उस छिपकली को पता चल गया तो वो मधु मक्खी की तरह आपको काट खाएगी) वो मधुर की बात कर रही थी।
“कोई बात नहीं ! तुम्हारे इस शहद के बदले मधु मक्खी काट भी खाए तो कोई नुक्सान वाला सौदा नहीं है !” कहते हुए मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।
मेरा अनुमान था वो अपना हाथ छुड़ा लेगी। पर उसने अपना हाथ छुड़ाने का थोड़ा सा प्रयास करते हुए कहा,”ओह … छोड़ो जीजू क्या करते हो … कोई देख लेगा … चलो दूध पी लो फिर मुझे जाना है !”
“मधु की तरह तुम अपने हाथों से पिला दो ना ?”
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“वो कैसे … मेरा मतलब मधु कैसे पिलाती है मुझे क्या पता ?”
मेरे मन में तो आया कह दूं ‘अपनी नाइटी खोलो और इन अमृत कलशों में भरा जो ताज़ा दूध छलक रहा है उसे ही पिला दो’ पर मैंने कहा,”वो पहले गिलास अपने होंठों से लगा कर इसे मधुर बनाती है फिर मैं पीता हूँ !”
“अच्छाजी … पर मुझे तो दूध अच्छा नहीं लगता मैं तो मलाई की शौक़ीन हूँ !”
“कोई बात नहीं तुम मलाई भी खा लेना !” मैंने हंसते हुए कहा।
मुझे लगा चिड़िया दाना चुगने के लिए अपने पैर जाल की ओर बढ़ाने लगी है, उसने थर्मस खोल कर गिलास में दूध डाला और फिर गिलास मेरी ओर बढ़ा दिया।
“दीपा प्लीज तुम भी इस दूध का एक घूँट पी लो ना?”
“क्यों ?”
“मुझे बहुत अच्छा लगेगा !”
उसने दूध का एक घूँट भरा और फिर गिलास मेरी ओर बढ़ा दिया।
मैंने ठीक उसी जगह पर अपने होंठ लगाए जहां पर दीपा के होंठ लगे थे। दीपा मुझे हैरानी से देखती हुई मंद मंद मुस्कुराने लगी थी। किसी लड़की को प्रभावित करने के यह टोटके मेरे से ज्यादा भला कौन जानता होगा।
“वाह दीपा मेम साब, तुम्हारे होंठों का मधु तो बहुत ही लाजवाब है यार ?”
“हाय ओ रब्बा … हटो परे … कोई कल्ली कुंवारी कुड़ी दे नाल इहो जी गल्लां करदा है ?” (हे भगवान् हटो परे कोई अकेली कुंवारी लड़की के साथ ऐसी बात करता है क्या) वो तो मारे शर्म ले गुलज़ार ही हो गई।
“मैं सच कहता हूँ तुम्हारे होंठों में तो बस मधु भरा पड़ा है। काश ! मैं इनका थोड़ा सा मधु चुरा सकता !”
“तुमने ऐसी बातें की तो मैं चली जाउंगी !” उसने अपनी आँखें तरेरी।
“ओह … दीपा , सच में तुम्हारे होंठ और उरोज बहुत खूबसूरत हैं … पता नहीं किसके नसीब में इनका रस चूसना लिखा है।”
“जीजू तुम फिर ….? मैं जाती हूँ !”