तीन दिन के बाद मैंने रविवार सुबह उसे अपने कमरे पर बुलाया। वो जीन्स-टॉप पहन कर आई थी। वो बैग में अपने कपड़े भी रख कर लाई थी।
मेरे कमरे पर आकर मुझसे बोली- आज रात मैं यही रुक जाऊँ.. तो तुम्हें कोई एतराज तो नहीं?
मैंने कहा- मुझे क्यों ऐतराज़ होगा…?
उन दिनों भारी गर्मी के दिन थे.. मैं उसके पास गया और उसकी आँखों में कामवासना से देखता रहा और फिर मैंने अपने तपते होंठ उसके होंठों पर रख दिए और चूसने लगा।
वो भी करीब 10 मिनट तक मेरे होंठ चूसती रही।
उसके बाद मैंने उसके दूध दबाना शुरू कर दिए.. अब मेरा 8 इंच लंबा लण्ड पूरी तरह से तन चुका था।
उसने मेरी पैन्ट उतार दी और मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
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उसे चुदाई का पूरा नशा चढ़ चुका था और देखते ही देखते उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया और मेरे शरीर को चाटने लगी।
उसने मेरे पेट पर.. हाथ पर.. टांगों पर.. मेरे चूतड़ों पर.. पीठ पर खूब चाटा।
अब मुझे भी पूरी तरह से जोश आ चुका था। मैंने उसे भी पूरी नंगी कर दिया और उसकी चूत चाटने लगा।
मैं उसकी चूत का दाना पकड़ कर अपनी चुटकी से रगड़ने लगा।
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उसने मुझसे कहा- सूसू करनी है।
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मेरा बाथरूम भी कमरे से ही जुड़ा हुआ था, मैंने उसे गोद में उठाया और बाथरूम में ले गया।
मैंने फव्वारा चला दिया.. और उसकी चूत चाटने लगा,मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी।
वो सिसकने लगी.. बोली- मैं ज्यादा देर नहीं रुक पाऊँगी।
मैं थोड़ा चूसने के बाद रुक गया।
वो बोली- मुझे तुम्हारे ऊपर पेशाब करनी है।
मैंने कहा- मुँह को छोड़कर.. जहाँ चाहो करो..
उसने मुझसे बैठने को कहा और मेरे ऊपर मूतने लगी.. उसका गरम-गरम मूत मेरे ऊपर गिर रहा था।
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मैं उत्तेजना से पागल हो गया.. मैंने उसे पकड़ा और उधर ही लिटा दिया। मैं भी उसके चूचों पर.. चूत पर मूतने लगा।
वो मजे में चीख रही थी.. सिसकारियाँ ले रही थी।
फिर हम दोनों खूब नहाए.. और वापस कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गए।
वो मुझसे बोली- सार्थक.. प्लीज़ मुझे चोद दो.. मैं अब नहीं रह पाऊँगी..
वो ज्यादा उत्तेजना के कारण रोने सी लगी.. फिर मैंने चुदाई की अवस्था में आकर अपने लंड का सुपारा उसकी चूत के छेद पर रख दिया।
फिर हल्के से धक्का मारा तो वो चीख पड़ी- मुझे तो दर्द हो रहा है..
मैंने कहा- डोंट वरी डार्लिंग.. थोड़ी देर में ये दर्द मज़ा बन जाएगा..
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मैं उसकी चीखों को अनसुना करते हुए धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा.. वो चीख रही थी।
फिर वही हुआ.. जो हर चूत का होता है.. थोड़ी देर में ही लण्ड-लण्ड चिल्लाने लगी।
‘ओह्ह.. चोदो मुझे… साले फाड़ दो मेरी चूत को… मूत दो मेरी चूत में… आह..’
वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी, उसने अपने बाल खोल लिए थे और पागल सी हो गई थी..
मैं भी एक हाथ से उसके मम्मों को दबा रहा था.. अचानक उसका शरीर अकड़ने लगा और वो एकदम से मुझसे चिपक गई, उसने अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए।
मैं समझ गया कि यह झड़ चुकी है.. मैंने अपने धक्के और तेज कर दिए और में भी झड़ गया, मैंने उसकी चूत को अपने गाढ़े वीर्य से भर दिया।
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हम लोग 10 मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे। फिर अगले दिन सुबह तक मैंने उसे 5 बार चोदा.. फिर बाद में उसकी झांटें भी बनाई..
अब जब भी हम दोनों का मन करता है अपने कमरे में उसे चोद देता हूँ।