चाची की सम्पूर्ण यौन आनन्द कामना पूर्ति

मैंने झट से कहा- चाचीजी, अच्छी तरह से तो धोने नहीं आते हैं लेकिन कई बार कपड़ों को पानी में से छिछालने एवं उनमें से पानी निचोड़ने में मैंने मम्मी की सहायता ज़रूर करी है।

मेरी बात सुन कर चाची ने कहा- अच्छा तो एक काम करो, तुम यह पहने हुए कपड़े भी उतार कर धोने के लिए मुझे दे दो और मेरे पीछे जो धुले हुए कपड़े रखे हैं उन्हें साफ़ पानी में से छीछाल कर उनमें से पानी निचोड़ दो और बाहर आँगन में सूखने के लिए डाल दो।’

उनकी बात सुन कर मैंने तुरंत अपनी कमीज़, पेंट और बनियान उतार कर उनको दे दी।

तब उन्होंने मेरी ओर देखते हुए कहा- मैंने तुझे पहने हुए सभी कपड़े उतारने के लिए कहा है। तेरा अंडरवियर भी तो उन सभी कपड़ों में से एक है इसलिए इसे भी उतार कर दे दे।

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मैंने अचंभित होने का नाटक करते हुए कहा- क्या। इस भी उतारूँ?

उन्होंने छोटा सा उत्तर दिया- हाँ।

मैंने सिर हिलाते हुए कहा- अच्छा, तो आप खुद तो पूरी फिल्म देखना चाहते हो और मुझे सिर्फ ट्रेलर दिखा कर ही बहलाना चाहते हो।

चाची मेरी बात को समझ गई थी और उठ कर खड़ी हो गई और मेरे पास आ कर मेरी गाल पर एक प्यार की हल्की सी चपत लगाते हुए कहा- आजकल तुम बहुत गहरी बातें कहने लगे हो।

फिर मेरी कमर पर से मेरे अंडरवियर को पकड़ कर नीचे सरका दिया और उसे उतार कर मेरी टांगों में गिरा दिया तथा बिल्कुल मेरे करीब आते हुए बोली- लो, तुम भी पूरी फिल्म देख लो।

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उनके बात सुनते ही मैंने फुर्ती से उनकी पैंटी को पकड़ कर नीचे खींच के उतार दी और अपना मुँह उनके जघन-स्थल के जंगल में डाल दिया।

वहाँ काफी घने बाल थे जिनमें से कुछ मेरे नथनों में घुस गए और मुझे जोर की छींक आ गई।

मेरी छींक सुनकर चाची बहुत जोर से हँसते हुए मुझसे अलग हो गई और कहा- जिस काम का सही समय होता है अगर उसे उसी समय करोगे तब सफलता मिलेगी और अगर गलत समय पर करोगे तो मुँह की ही खानी पड़ेगी।

उनकी बात सुन कर मैंने झेंपते हुए कहा- चाची, तुम्हारा जंगल बहुत घना हो गया है। रात को भी मुझे इनसे दिक्कत हुई थी लेकिन उस समय मैंने कुछ कहना ठीक नहीं समझा। आप इन्हें साफ़ क्यों नहीं करती?

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चाची ने कहा- मुझे भी दिक्कत होती है लेकिन मैं खुद ठीक तरह साफ़ नहीं कर पाती। बहुत दिनों से तुम्हारे चाचा को कह रही हूँ लेकिन वे मेरी बात को अनसुनी कर देते हैं, तुम ही मेरी सफाई क्यों नहीं कर देते?

मैंने कहा- ठीक है, तो चलिए मैं अभी साफ कर देता हूँ।

मेरी बात सुन कर चाची बोली- इतने उतावले मत हो, पहले जल्दी से कपड़े धो लेते हैं फिर नहाने से पहले तुम इन्हें साफ़ कर देना।

इसके बाद मैंने चाची के होंटों को चूमा और उनके स्तनों को मसल दिया जिससे वह कराह उठी और तब उन्होंने भी मेरे लिंग को पकड़ कर झट से उमेठ दिया।

चाची की इस हरकत के कारण मैं भी कराह उठा, हम दोनों ही उछल कर एक दूसरे से अलग हो गए और इसके बाद हम दोनों नग्न हालत में ही कपड़े धोने लगे।

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चाची कपड़ों पर साबुन लगा कर और उन्हें मसल कर धोती जाती, मैं उन कपड़ों के साफ़ पानी में छीछालता तथा उनमें से पानी निचोड़ कर उन्हें आँगन में सूखने डाल देता।

जब भी मैं चाची से कपड़े लेने गुसलखाने में आता तो अपना तना हुआ लिंग उनके आगे कर देता तब वह उसे बड़े प्यार से अपने हाथ में पकड़ लेती और कभी कभी उसका चुम्बन भी ले लेती।

मैं भी उसी समय कभी तो उनके स्तनों को हल्के से मसल देता और कभी उनके होंठों पर चुम्बन कर लेता।

हाँ, एक बार मैंने उनके पीछे से नीचे झुक कर उनकी योनि में उंगली भी कर दी जिस हरकत के लिए मुझे चाची की डांट भी खानी पड़ी।

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desixxx कहानी जारी रहेगी…