सभी लण्डधारी मर्दों को और लंड की प्यासी चुदास लड़की और औरतों को मेरा कड़क लंड हाथ में लेकर अन्तर्वासना नमस्कार! मैं पुणे से हूँ, मेरी लंबाई 5 फुट 5 इंच की है और लन्ड का साइज भी लंबा और मोटा है। मेरे भैया की शादी हुए कुछ ही दिन हुए थे। मैं अपने ऑफिस के काम से भैया की ससुराल वाले शहर गया था।
मुझे शाम को वापस आना था.. पर काम समय पर पूरा नहीं हुआ.. तो मुझे वहाँ रुकना पड़ा। मैं जैसे ही वहाँ से निकला.. तो देखा कि ऑफिस के बाहर सड़क पर भैया के ससुर खड़े थे।
मैंने उनको प्रणाम किया और पूछा- आप यहाँ कैसे?
तो उन्होंने कहा- मेरे पास कुंवर जी का फोन आया था कि आप यहाँ आए हो। इसलिए मैं यहाँ आपको लेने आया था और आप हमसे बिना मिले ही जा रहे हो।
‘परन्तु मुझे जल्दी ही वापस जाना है।’
‘ऐसा कभी हो सकता है क्या..? अब तो आपको घर पर ही रुकना होगा।’
भाई की साली ने खातिरदारी की.. मैं भी उनकी आज्ञा का पालन करते हुए उनके साथ चल पड़ा। जब हम घर पहुँचे तो सभी ने अपनी परंपरा के अनुसार मेरी बहुत खातिरदारी की.. लेकिन भैया की साली रेखा मेरी कुछ ज़्यादा ही सेवा कर रही थी और मुझे देख कर बार-बार मुस्कुरा रही थी।
मैंने भी मज़ाक करते हुए कह दिया- क्या बात है रेखा जी.. बहुत सेवा कर रही हो.. अगर ऐसे सेवा करोगे तो हम रोज-रोज आने लग जाएंगे।
तो उसने कहा- अभी तो आपने हमारी सेवा देखी ही कहाँ है।
इतना कह कर वो हँसने लगी।
बस ऐसे ही हँसी-मज़ाक चल रहा था। सभी ने खाना खाया और मैं खाना खाने के बाद छत पर टहलने चला गया। कुछ देर बाद छत पर रेखा भी आ गई और उसके साथ भैया के साले और पड़ोस की सहेलियां आई थीं। हम सब मिलकर बातें करने लगे।
रात को 9 बजने वाले थे.. सभी ने मुझसे नमस्ते की और जाने लगे।
मैं उनको सीढ़ियों तक छोड़ने गया।
सभी उतर रहे थे.. तभी किसी ने मेरा पीछे से कुर्ता खींचा। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो यह रेखा की सहेली थी.. जिसने अपना नाम प्रिया बताया था।
उसने धीरे से मेरे कान में कहा- रेखा आपसे प्यार करती है।
वो इतना कह कर वहाँ से चली गई।
उसके बाद मेरे दिल में अजीब-अजीब से ख्याल आने लगे। तभी कुछ देर बाद छत पर रेखा मेरे लिए दूध लेकर आई। सभी लोग नीचे चले गए थे।
मैंने दूध का गिलास पकड़ते हुए रेखा का हाथ पकड़ लिया और बोला- आपकी सहेली हमसे कुछ बोल कर गई है।
रेखा एकदम से डरने लगी, बोली- वो क्या बोली?
मैंने बोला- रेखा यह सच है क्या.. यह आप खुद भी तो बोल सकती थीं।
रेखा बोली- मुझे डर लग रहा था। अगर आप गुस्सा हुए तो बोल दूँगी.. कि वो मज़ाक कर रही थी।
मैंने रेखा का हाथ पकड़ लिया.. तो उसकी साँसें तेज चलने लगीं।
इतने पास से उसके बोबे ऊपर-नीचे होते देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मेरी वासना जागने लगी। मुझे डर भी लग रहा था.. क्योंकि कोई भी ऊपर आ सकता था।
फिर भी मैंने रेखा के होंठों पर होंठ रख कर किस कर लिया। रेखा ने मुझे कस कर पकड़ लिया और लंबी सिसकारी लेकर मुझे धकेल कर भाग गई। मेरा लंड पैन्ट फाड़ने जैसा हो गया। chudas bhabhi ki antarvasna
प्यासी साली की अन्तर्वासना की प्यास छत पर मिटाई!
इससे पहले मेरा कोई चुदाई का अनुभव नहीं था.. लेकिन ब्लू-फिल्म्स बहुत देखी थीं।
मुझे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हुआ कि मुझे इतनी जल्दी चूत मिल जाएगी। खैर.. मुझे नीचे से बुलावा आया कि बिस्तर लग गए हैं।
मैं बेमन से नीचे चला गया।
मेरा मन रेखा के पास सोने का था। पर मुझे जिधर बिस्तर दिया गया मैं उधर ही सोने लगा। तभी मुझे तकिए के नीचे कुछ महसूस हुआ.. मैंने हाथ डाल कर देखा तो उसके नीचे एक नोट बुक रखी थी।
मैं उसे पलटने लगा.. तभी उसमें से एक पन्ना नीचे गिरा। मैंने उसे उठा कर पढ़ा.. वह पूजा का ही लिखा हुआ था। उसमें लिखा था कि रात को सबके सोने के बाद छत पर मिलेंगे। दोस्तों आप यह हिंदी सेक्स कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |
मैं लेटा-लेटा रेखा के बारे में ही सोच रहा था। रात के ग्यारह बजे मैं उठकर छत पर गया।
कुछ देर बाद रेखा आई, उसने कहा- मम्मी-पापा और भाई अभी अभी सोए हैं।
भाई की साली छत पर अन्तर्वासना चूत चुदवाने आई