Bhai Ko Mard Banaya Behan Ne Part 2
दीदी की गांड के दबाव से मेरे लंड में कुछ हरकत हुई और थोड़ा सा तनाव आया । पर ज़्यादा देर बरक़रार नहीं रह सका । दीदी को अहसास हुआ तो उन्होंने और ज़्यादा दबाव बनाया पर कोई फायदा नहीं हुआ और फिर हम ऐसे ही सो गये ।अगले 3-4 दिन तक यही सिलसिला चलता रहा ।दीदी रोज़ रात को मेरे साथ ऐसे ही सोती और अपनी गांड को मेरे लंड पर रगड़ती रहती । मेरे लंड में थोड़ी हरकत तो होती पर ज़्यादा देर तक कायम नहीं रह पाती ।फिर शनिवार आया और क्यूंकि अगले दिन हमारी छुट्टी थी । इसलिए हम देर तक बातें करते रहे । फिर आपस में लिपट कर सो गये । सुबह जब मेरी आँख खुली तो मुझे बहुत तेज़ पेशाब लगी थी । मैं जल्दी से बाथरूम भागा और पेशाब कर के वापस आया तो देखा दीदी पेट के बल सोयी हुई थी और उनकी टाइट गांड उनके लोअर को फाड़ने का इरादा कर के उभरी हुई पड़ी थी ।
अचानक मेरे लंड ने झटका खाया और अपना आकार बढ़ाने लगा । मुझे उस वक्त दीदी की गांड के अलावा कुछ और नहीं सूझ रहा था । मैं स्नेहा दीदी को दीदी न समझ कर सिर्फ सोनू ही imagine कर रहा था । मैंने आनन फानन में अपने सारे कपडे उतार फेंके और बेड पे जाकर दीदी के ऊपर लेट गया और दीदी की गरदन , कान और गालों को चूमने लगा ।
दीदी मेरे वजन को महसूस कर के नींद से जग गयी और बिना किसी देरी के सारी बात समझ गयी और अपने एक हाथ से मेरे बालों को सहलाने लगी ।मेरे ऊपर वासना इस कदर हावी थी कि मैं दीदी को न सिर्फ चूम रहा था बल्कि बीच बीच में हल्का हल्का काट भी रहा था । मेरी साँसें धोंकनी की तरह चल रही थी और मेरे हर चुम्बन पर दीदी के मुंह से सिसकारियां फूट रही थी ।
जैसे ही मैं उन्हें कहीं काटता तो उनके मुंह से दर्द और मस्ती भरी आह निकल जाती ।मैं पूरी तरह से नग्न था और दीदी ये बात समझ चुकी थी और मेरा भरपूर सहयोग कर रही थी । मैंने अपने लंड का दबाव दीदी की गांड पर बना रखा था जिससे दीदी को भी पूरा मज़ा आ रहा था और वो बीच बीच में अपनी गांड को उछाल रही थी ।
उस वक्त मुझे ये ज़रा भी ख्याल नहीं था कि मेरे नीचे मेरी स्नेहा दीदी और एक लड़की है । मैं तो उन्हें लड़का ही इमेजिन कर रहा था । करीब 2 मिनट तक ऐसे ही दीदी को चूमने और रगड़ने के बाद मैंने दीदी के कान में कहा , “सोनू ! ”
दीदी ने धीरे से जवाब दिया , “हम्मम.. ”
मैंने खुमारी में पूछा , “ पहले किसी ने तेरी ली है ? ”
दीदी फुसफुसाते हुए बोली , ” नहीं यार मेरा फर्स्ट टाइम है ।”
मैं उसी तरह फिर बोला , ” थोड़ा दर्द होगा झेल लेगा ? ”
दीदी धीमे स्वर में बोली , “ कोशिश करूँगा पर अंदर डालने से पहले कुछ चिकनाई लगा लेना ।”
मैं यह सुनते ही तुरंत उठा और अपनी अलमारी से नारियल तेल की बोतल निकाल लाया , दीदी वैसे ही बिना हिले डुले पड़ी रही ।मैंने दीदी के लोअर की इलास्टिक पकड़ी और नीचे की और खींचा , दीदी ने थोड़ा सा अपनी गांड को हवा में उठा कर मुझे लोअर निकालने में मदद की ।मैंने लोअर को उनके घुटनों से थोड़ा नीचे तक सरका दिया । उन्होंने अंदर कोई पैंटी नहीं पहनी थी ।दीदी ने अपने पैरों की मदद से लोअर को शरीर से अलग कर के बेड से नीचे गिरा दिया ।फिर मैंने अपने हाथ में तेल लिया और उनकी गांड पर अच्छे से मल दिया और अपने लंड को भी तेल से नहला दिया ।दीदी उसी मुद्रा में लेटी रही । मैं दीदी के ऊपर झुका और अपने लंड को उनकी गांड के छेद पर टिका कर उनके कान के पास अपना मुंह ले जाकर बोला , “सोनू ! तैयार है ? ”
दीदी ने अपने दोनों हाथों से तकिये को भींच लिया और सिर्फ “ हम्म्म्म …” कहा ।
मैंने धीरे धीरे लंड का दबाव बनाया और साथ ही दीदी की गरदन को बेतहाशा चूमने लगा ।थोड़ा सा और दबाव बनाते ही लंड की टोपी फिसल कर अंदर चली गयी और दीदी के मुंह से कराह निकल गयी आह हहहह ………..।
मैंने थोड़ा सा दबाव और दिया और लंड थोड़ा सा और अंदर सरक गया और दीदी के मुंह से फिर एक दर्द भरी आह हहह निकली और उनकी आँखों से आंसू आगये ।पर वासना में डूबे हुए मेरे दिमाग को कुछ नहीं सुनाई दे रहा था । मैंने अपना काम ज़ारी रखा और धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करने लगा ।दीदी की टाइट गांड ने मेरे लंड को बड़ी मज़बूती के साथ जकड़ रखा था । जिसकी वजह से मुझे आनंद तो बहुत आ रहा था पर थोड़ा थोड़ा दर्द भी महसूस हो रहा था । गांड की सख्ती के कारण लंड बड़ी मुश्किल से आगे पीछे हो पा रहा था ।
दीदी का हाल और भी बुरा था । वो दर्द के मारे छटपटा रही थी और पूरी ताकत के साथ तकिये को अपनी मुट्ठी में भींचे हुए थी ।मैं बड़ी सावधानी से लंड को आगे पीछे कर रहा था । तेल की चिकनाई के कारण आधे से ज़्यादा लंड दीदी की गांड में जा चुका था ।जब स्नेहा दीदी से दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ तो दीदी कराहते हुए बोली ,” आह हहहह … समू बहुत दर्द हो रहा है । प्लीज ! बाहर निकाल ना यार ! ”
मैंने उत्तेजना के बहाव में जवाब दिया , ” बस आज ही दर्द होगा मेरे राजा । उसके बाद तो तू रोज़ मेरा लंड मांगेगा ।”
दीदी ने फिर कराहते हुए कहा , “ प्लीज यार समू , एक बार निकाल ले बाहर । फिर दोबारा डाल लेना । ”
मैंने सोचा ठीक है , ये इतना बोल रहा है तो निकाल लेता हूँ और दीदी को कहा , “ ठीक है यार , पर सिर्फ थोड़ी देर के लिये । ”
दीदी ने कराहते हुए कहा ,” आह… हाँ , ठीक है ।”और मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया । पर वैसे ही दीदी की पीठ पर लेटा रहा ।लंड के बाहर आते ही दीदी की जान में जान आयी और उन्होंने एक राहत भरी सांस ली , उह हहह … ।
मैं दीदी को कभी गाल पर , कभी गरदन पर चूमता चाटता रहा । करीब 1 मिनट बाद मैंने दीदी के कान में कहा , “ सोनू ! फिर से डालूं ? ”
तो दीदी ने थोड़ा सा खुद को एडजस्ट किया और बोली , “ हम्म्म तू ऐसे ही लेटा रह , मैं डालता हूँ । तू बस धक्के लगाना ।”
मैंने कहा ठीक है ,” तू ही डाल । ”
दीदी अपना सीधा हाथ अपने पेट के नीचे से पीछे लायी और मेरे लंड को पकड़ के गांड के छेद पर टिकाते हुए बोली ,” हम्म…. अब धीरे धीरे करना । ”
मैंने धीरे धीरे लंड को अंदर डाला ।दीदी के मुंह से फिर दर्द भरी आवाज़ निकली ,” आहिस्ता ! आहिस्ता !”मैंने धीरे धीरे लंड को फिर आगे बढ़ाया । एक बार पहले लंड अंदर करने के बाद भी गांड उतनी ही टाइट महसूस हो रही थी ।जैसे ही आधा लंड अंदर गया , स्नेहा दीदी के मुंह से हलकी से एक चीख निकली , “ एआइइइइ आअह्ह्ह …” और उन्होंने बेडशीट को सख्ती के साथ अपनी मुट्ठी में भींच लिया । उन्हें दर्द से निजात दिलाने के लिए मैंने उन्हें पागलों की तरह चूमना चाटना शुरू कर दिया ।
दीदी को थोड़ी राहत मिली और अब उनके मुंह से धीमी धीमी सिसकारियां निकलने लगी थी ।असल में जिसे गांड समझ कर मैं चोद रहा था वो दीदी की चूत थी । दीदी ने बड़ी ही चालाकी से मेरे लंड को अपने चूत के छेद पर रखा था और मैं वासना और उत्तेजना के बहाव में उनकी चूत को ही उनकी गांड समझ कर चोदे जा रहा था । क्यूंकि मैं उन्हें एक लड़का ही समझ रहा था और ये भूल गया था कि दीदी एक लड़की है और उनके पास दो छेद हैं , वो भी लगभग मिले हुए ।
धीरे धीरे मैंने अपना पूरा लंड दीदी की चूत में पेल दिया और आगे पीछे करने लगा ।दीदी दर्द और आनंद की मिक्स feelings दे रही थी और उनकी चूत धीरे धीरे काफी गीली हो गयी थी ।जिस के कारण अब लंड आराम से अंदर बाहर हो रहा था । उनकी चूत भी उनकी गांड की तरह ही टाइट थी और मैं तो उसे गांड समझ कर ही चोद रहा था ।धीरे धीरे दीदी को दर्द का अहसास कम हुआ और वो अपनी गांड पीछे की और उछालने लगी ।दीदी भी अब पूरी मस्ती में आ चुकी थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी ।मैंने अपने धक्के लगाने की स्पीड बढ़ा दी और दीदी ने भी अपनी गांड उछालना तेज़ कर दिया ।
फिर अचानक स्नेहा दीदी ने अपने बदन को थोड़ा सा ऊपर उठाया और अपनी टीशर्ट को आधी पीठ तक ऊपर खींच लिया । फिर मेरे दोनों हाथों को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिया और ज़ोर ज़ोर से अपनी चूचियों को मेरे हाथ से मसलने लगी और साथ ही अपनी गांड को तेज़ी से पीछे करने लगी । शायद दीदी झड़ने ही वाली थी और इस समय बहुत उत्तेजना में थी , पर हुआ कुछ उल्टा ।जैसे ही मुझे दीदी की चूचियों का स्पर्श हुआ , मेरे दिमाग में हलचल मच गयी । और जैसे मैं किसी सपने से जाग गया और मुझे अहसास हुआ कि असल में मैं किसी लड़की को चोद रहा हूँ ।
तो मेरे लंड का तनाव खत्म होने लगा और मेरी धक्का लगाने की स्पीड कम होती गयी और फिर मैं रुक गया ।उधर दीदी की मदहोशी में खलल पड़ गया था , उनको कामतृप्ति का सुख मिलना बंद हो चुका था ।वो अपनी चूत को मेरे लंड पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ रही थी । पर मेरा लंड ढीला पड़ता जा रहा था और कुछ ही पल बाद मेरा लंड मुरझा कर उनकी चूत से बाहर आ गया ।
फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी ।
दीदी अपना सीधा हाथ अपने पेट के नीचे से पीछे लायी और मेरे लंड को पकड़ के गांड के छेद पर टिकाते हुए बोली ,” हम्म…. अब धीरे धीरे करना । ”मैंने धीरे धीरे लंड को अंदर डाला ।
दीदी के मुंह से फिर दर्द भरी आवाज़ निकली ,” आहिस्ता ! आहिस्ता !”
मैंने धीरे धीरे लंड को फिर आगे बढ़ाया । एक बार पहले लंड अंदर करने के बाद भी गांड उतनी ही टाइट महसूस हो रही थी ।जैसे ही आधा लंड अंदर गया , स्नेहा दीदी के मुंह से हलकी से एक चीख निकली , “ एआइइइइ आअह्ह्ह …” और उन्होंने बेडशीट को सख्ती के साथ अपनी मुट्ठी में भींच लिया । उन्हें दर्द से निजात दिलाने के लिए मैंने उन्हें पागलों की तरह चूमना चाटना शुरू कर दिया ।दीदी को थोड़ी राहत मिली और अब उनके मुंह से धीमी धीमी सिसकारियां निकलने लगी थी ।
असल में जिसे गांड समझ कर मैं चोद रहा था वो दीदी की चूत थी । दीदी ने बड़ी ही चालाकी से मेरे लंड को अपने चूत के छेद पर रखा था और मैं वासना और उत्तेजना के बहाव में उनकी चूत को ही उनकी गांड समझ कर चोदे जा रहा था । क्यूंकि मैं उन्हें एक लड़का ही समझ रहा था और ये भूल गया था कि दीदी एक लड़की है और उनके पास दो छेद हैं , वो भी लगभग मिले हुए । धीरे धीरे मैंने अपना पूरा लंड दीदी की चूत में पेल दिया और आगे पीछे करने लगा ।दीदी दर्द और आनंद की मिक्स feelings दे रही थी और उनकी चूत धीरे धीरे काफी गीली हो गयी थी । जिस के कारण अब लंड आराम से अंदर बाहर हो रहा था । उनकी चूत भी उनकी गांड की तरह ही टाइट थी और मैं तो उसे गांड समझ कर ही चोद रहा था ।
धीरे धीरे दीदी को दर्द का अहसास कम हुआ और वो अपनी गांड पीछे की और उछालने लगी ।दीदी भी अब पूरी मस्ती में आ चुकी थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी । मैंने अपने धक्के लगाने की स्पीड बढ़ा दी और दीदी ने भी अपनी गांड उछालना तेज़ कर दिया ।
फिर अचानक स्नेहा दीदी ने अपने बदन को थोड़ा सा ऊपर उठाया और अपनी टीशर्ट को आधी पीठ तक ऊपर खींच लिया । फिर मेरे दोनों हाथों को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिया और ज़ोर ज़ोर से अपनी चूचियों को मेरे हाथ से मसलने लगी और साथ ही अपनी गांड को तेज़ी से पीछे करने लगी । शायद दीदी झड़ने ही वाली थी और इस समय बहुत उत्तेजना में थी , पर हुआ कुछ उल्टा ।जैसे ही मुझे दीदी की चूचियों का स्पर्श हुआ , मेरे दिमाग में हलचल मच गयी । और जैसे मैं किसी सपने से जाग गया और मुझे अहसास हुआ कि असल में मैं किसी लड़की को चोद रहा हूँ ।
तो मेरे लंड का तनाव खत्म होने लगा और मेरी धक्का लगाने की स्पीड कम होती गयी और फिर मैं रुक गया ।उधर दीदी की मदहोशी में खलल पड़ गया था , उनको कामतृप्ति का सुख मिलना बंद हो चुका था ।वो अपनी चूत को मेरे लंड पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ रही थी । पर मेरा लंड ढीला पड़ता जा रहा था और कुछ ही पल बाद मेरा लंड मुरझा कर उनकी चूत से बाहर आ गया ।
फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी ।
दीदी ने मुझे पीछे धकेला और बेड पर पीठ के बल लेट कर अपने हाथ से अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी । वो वासना की आग में बुरी तरह जल रही थी पर अपने हाथ से दीदी को संतुष्टि नहीं मिली । थोड़ी देर अपनी चूत को रगड़ने के बाद दीदी बेड पर बैठ गयी और मेरी तरफ देखते हुए गुस्से से बोली , ” क्या फायदा ऐसे लंड का जो किसी की प्यास न बुझा सके । ”
मैं पहली बार दीदी के मुंह से लंड जैसा शब्द सुन कर हैरान रह गया और मैंने पलट कर कहा ,” सॉरी दीदी ! ”
इस पर दीदी बोली ,” तेरे सॉरी बोलने से मेरी आग तो नहीं बुझेगी भेंनचोद !!!”
दीदी के मुंह से गाली सुनकर मुझे गुस्सा आ गया और मैंने कहा , ” दीदी !!! माइंड योर लैंग्वेज ।”दीदी भी गुस्से में बोली ,” क्या माइंड योर लैंग्वेज । ज़्यादा चिल्ला मत ।”
फिर रुक कर बोली , ” हिजड़ा कहीं का !!! ”
मैं ज़ोर से चिल्लाया , ” दीदी !!! मैं कह रहा हूँ अपना मुंह बंद रखो । मुझे गुस्सा मत दिलाओ ।”
दीदी ने टौंट मारा , ” ओह ! तो हिजड़ों को भी गुस्सा आता है । क्या करेगा तू मेरा ? ”
मैंने फिर गुस्से में कहा , ” दीदी शटअप !! मैं कोई हिजड़ा नहीं हूँ । आप अच्छी तरह से जानती हो और बार बार मुझे गाली देना बंद करो । ”
पर दीदी किसी और ही मूड में थी । वो मेरी कहाँ सुनने वाली थी ।वो फिर बोली ,” अच्छा तो तू हिजड़ा नहीं है तो अपने लंड को खड़ा क्यों नहीं करता । देख एक नंगी लड़की तेरे सामने बैठी है । कोई बुड्ढा भी मेरा जिस्म अगर इस तरह से देख ले तो मुझे बिना चोदे नहीं रह सकता ।”
और यह कहते ही दीदी ने अपनी टीशर्ट सर के ऊपर से उतार फेंकी । मैं बेड पर नंगा बैठा दीदी के नए रूप को देख रहा था । मुझे दीदी से बहस में पड़ना फ़िज़ूल लगा । मैं उठा और अपने कपड़े पहनने लगा ।
दीदी ने मुझे कपडे पहनते हुए देखा और बोली , ” क्यों अब जवाब नहीं है तेरे पास । साले गाँडू !!! जा जाकर किसी लौंडे की गांड मार । तू इसी लायक है । ”
मैं अपना शार्ट पहन चुका था । मुझे गुस्सा आ गया , ” साली अब और कुछ बोली ना तो …।”
दीदी गुस्से में ही हंसी ,” तो क्या भड़वे !! मारेगा मुझे ? आ ले मार । ”
दीदी के मुंह से और गालियां सुनकर मुझसे रहा नहीं गया , मैं तेज़ी से उनके पास पहुंचा और उनके बॉयकट बालों को अपनी मुट्ठी में भर कर बोला , ” साली कुतिया !!! बहुत ज़ुबान चला रही है । साली !! शहर के सारे कुत्तों से तुझे चुदवा दूंगा । हरामज़ादी ! ”
दीदी ने अपने बाल मेरी मुट्ठी से छुड़ाये और बोली , ” जा जा ! बड़ा आया कुत्तों से चुदवाने वाला ! जा जाकर उन कुत्तों कीही गांड मार । भेनचोद हिजड़े !! ”
बस फिर न जाने मुझे क्या हुआ मैंने एक ज़ोरदार थप्पड़ दीदी के गाल पर दे मारा ।दीदी बेड पर पेट के बल गिर पड़ी । मैं गुस्से से भर चुका था और मेरा खून खौल रहा था। मुझे सिवाय गुस्से के कुछ और नहीं सूझ रहा था । मैंने एक ही झटके में अपना शार्ट उतार फेंका और दीदी को उनके बालों से पकड़ कर उठाते हुए बोला , ” साली कुतिया !!! बहुत चुदने का शौक चढ़ा है ना तुझे । आज तेरी मैं सारी गर्मी निकाल दूंगा । चोद चोद कर तेरी चूत ही फाड़ दूंगा । ”
पता नहीं कैसे मेरे मुंह से ऐसे शब्द निकल रहे थे मुझे नहीं पता । मैं गुस्से और अपमान में सुलग रहा था । मैंने दीदी के सर को उठाया और अपने लंड को उनके मुंह पर रगड़ने लगा ।
मेरा लंड पहले से ही अपने पूरे शबाब पर था । मुझे ये भी नहीं पता चला कि वो कब इतना सख्त हो गया । करीब 1 मिनट तक मैं गुस्से और आवेश में अपने लंड को दीदी के मुंह पर रगड़ता रहा । फिर मैंने गुस्से में ही कहा , ” चल खोल अपना मुंह बहन की लोड़ी !! और चूस इसे ।”
दीदी ने कोई जवाब नहीं दिया और अपना मुंह खोल कर लंड को धीरे धीरे चूसने लगी । पर मैं इतने में कहाँ मानने वाला था । मैंने उनके बालों को पकड़े पकड़े ही उनके मुंह में धक्के लगाने शुरू कर दिये और अपना पूरा लंड उनके गले तक ठूंस दिया ।
दीदी गों गों की आवाज़ें निकाल रही थी । पर मैं तो जैसे अपने अपमान की आग में अँधा हो गया था । मुझे उनके किसी दुःख दर्द की फ़िक्र नहीं हो रही थी ।
बड़ी मुश्किल से दीदी ने खुद को छुड़ाया और बेड से उतर कर खड़ी हो गयी । उनकी साँसें बहुत तेज़ी से चल रही थी और उनकी मोटी मोटी पपीते की शेप की चूचियां उनकी सांस के साथ ऊपर नीचे हो रही थी । पहली बार ज़िन्दगी में मुझे किसी लड़की की चूचियों में रूचि हो रही थी और मैं एकटक उन्हें ऊपर नीचे होता हुआ देख रहा था ।
स्नेहा दीदी ने बहुत मुश्किल से अपनी सांस संभाली और बोली , “ पागल हो गया है क्या , जानवर !!! मुझे जान से मारेगा क्या ? ”
मैं जो उनकी चूचियों में खोया हुआ था , जैसे नींद से जागा और बोला , “शुरू तूने किया था कुतिया !! अब भुगत । ”
दीदी मेरे द्वारा कहे गए अपशब्दों का बिलकुल भी विरोध नहीं कर रही थी और मैं उनकी ख़ूबसूरती को ऊपर से नीचे तक निहार रहा था ।
फिर दीदी ने मेरा ध्यान भंग किया , ” मैं जा रही हूँ । ”और वो अपने कपड़े उठाने के लिए झुकी ।
तभी मैंने पीछे से जाकर दीदी को दबोच लिया और उन्हें सीधा खड़ा कर के अपनी तरफ घुमाया । फिर उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और उन्हें बेतहाशा चूमने लगा ।
स्नेहा दीदी ने शायद इस सब की कल्पना भी नहीं की होगी । पहले तो उन्हें आश्चर्य हुआ फिर वो भी चूमने में मेरा साथ देने लगी । हम दोनों के बदन आपस में किसी बेल की तरह लिपटे हुए थे और मेरा लंड दीदी के पेट पर रगड़ खा रहा था । कुछ देर तक हम एक दूसरे के होंठों को ऐसे ही चूमते रहे फिर दीदी ने मुझे अलग किया और बोली , ” चल हट ! अब कपड़े पहन ले ।”
पर मुझे दीदी के शब्द तो जैसे सुनायी ही नहीं दिये । मैंने अपने दोनों हाथ उनकी चूचियों पर रख दिये और उन्हें ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा । दीदी ने पहले थोड़ा विरोध किया पर फिर मज़ा लेने लगी। मुझ पर धीरे धीरे वासना इस कदर हावी हो गयी कि मैं भूल गया कि मेरे सामने मेरी स्नेहा दीदी हैं और वो भी एक इंसान हैं ।
मैं दीदी की चूचियों को चूसने लगा , मसलने लगा और काटने लगा ।दीदी के मुंह से दर्द मिश्रित कामुक सिसकारियां निकलने लगीं ….आह हहह ..मममम …… । मैं तो जैसे पागल ही हो गया था । मैंने उन्हें पहले तो ऊपर से लेकर नीचे उनकी मांसल जांघों तक चूमा । फिर वासना के वशीभूत होकर उन्हें जगह जगह काटने लगा । पहले तो दीदी मेरा काटना भी एन्जॉय कर रही थी पर कभी कभी मैं ज़्यादा ज़ोर से काट लेता तो उनकी चीख निकल जाती ।
उनकी चीख सुनकर पता नहीं क्यों , मुझे और अच्छा लगा । फिर मैं उन्हें कभी नितम्बों पर , कभी जांघों पर और कभी चूचियों पर ज़ोर ज़ोर से काटने लगा । थोड़ी देर तो दीदी ने बर्दाश्त किया । पर जब उनसे बर्दाश्त नहीं हुआतो उन्होंने मुझे धक्का दे दिया और ज़ोर से चिल्लाई , ” समीर ! behave yourself । ”
मैंने उनकी कोई बात नहीं सुनी और उन्हें धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और घोड़ी बना लिया और उनकी चूत पर अपना मुंह ले गया और अपनी जीभ से उनकी चूत और गांड को चाटने लगा ।
स्नेहा दीदी की मादक सिसकारियों से सारा कमरा गूँज उठा । कुछ देर तक ऐसा करने के बाद मैं उनकी टाँगों के बीच अपने घुटनो के बल बैठा और दीदी की कमर को एडजस्ट करा , फिर दीदी का हाथ पकड़ के पीछे लाया और अपने लंड पर रख दिया ।अब फैसला स्नेहा दीदी को करना था कि किस दिशा में मेरे लंड को ले जाना चाहती हैं । दीदी ने लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर टिका दिया । दीदी की चूत पहले से ही रस से भीगी हुई थी इसलिए लंड को अंदर पेलने में कोई समस्या नहीं हुई । लंड एक धक्के में ही आधा अंदर समा गया । दीदी के मुंह से थोड़ा दर्द और मज़े से भरी हुई सिसकारी निकली आह हहहहहह ……………. ।
फिर मैंने आधे लंड को ही आगे पीछे करना शुरू किया और कुछ पलों तक ऐसे ही करता रहा । फिर धीरे धीरे धक्कों के साथ ही बाकी के हिस्से को भी अंदर पेलने लगा और थोड़ी ही देर में पूरा लंड दीदी की चूत में समा गया ।
उधर दीदी को दर्द भी बहुत हो रहा था । उनकी आँखों से आंसू निकल रहे थे ।मैंने दीदी की हालत देख कर पूछा , “ बाहर निकाल लूँ क्या ? “
स्नेहा दीदी कराहते हुए बोली , ” इडियट हो क्या ? आह हहहहह …… बस धीरे धीरे आगे पीछे करते रहो । ”मैं दीदी के कहे अनुसार कुछ समय तक लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करता रहा ।
दीदी को अब मज़ा आने लगा था और वो अपनी गांड आगे पीछे हिलाने लगी थी । उसके मुंह से कामुक सिसकारियां धीरे धीरे तेज़ हो रही थी ।फिर मैंने अपनी स्पीड थोड़ी बड़ा दी और लंड को पूरा अंदर तक पेलने लगा ।स्नेहा दीदी के मुंह से कामुक आवाज़ निकली , ओह्ह्ह हहहहहह …….समूउउउउउउ … ऊह्ह्हह्ह ……. ।
मैंने धक्के लगाते हुए जवाब दिया , ” यस दी ! आह हहहहहह ….. । “
दीदी : “ooohhh SAMU !!! Come On……Come On…….Fuck Me ! Fuck Me ! “
मैं : “ yeah didi !!! take it……..take it you bitch ! ”
दीदी : “yeah behenchod !!! …give it to me !!! …पूरा डाल दे । ”
मैं अपने धक्के और तेज़ करते हुए बोला, “ ले मेरी रंडी और ले !!! ……. आया मज़ा ? ”
दीदी : “ooohhh aaahh ……. बहुत अच्छा लग रहा है जानू !!! …और ज़ोर से मार…. । ”
मैंने अपने लंड को सुपाड़े तक बाहर निकाला और ज़ोरदार धक्के से एक ही बार में पूरा अंदर धांस दिया ,” ये… ये ले मेरी कुतिया !!! …… अब बता कैसा लगा ? ”
मेरे इस तरह पूरा लंड बाहर खींच कर फिर पूरा घुसा देने से दीदी की जोर से चीख निकल गयी ।पर उसे मज़ा भी बहुत आया , ” आह ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह …….. बहुत बढ़िया मेरे कुत्ते !!! और ज़ोर से चोद अपनी दीदी को !!! ”
वासना के वशीभूत होकर हम दोनों एक दूसरे को ऐसे ही अनाप शनाप बकते रहे , जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था ।
फिर कुछ देर तक मैंने ताबड़तोड़ धक्के दीदी की चूत में मारे और ज़ोर से चिल्लाया , “ओह हहहह ….. दी ! मेरी प्यारी दी ! मैं आ रहा हूँ …… । ”
दीदी भी चिल्लाई , “ आह हहहह उउउउउउ …ईईईई हहहहहह….. समू मेरे प्यारे भाई ! भर दे अपनी दीदी की चूत को अपने वीर्य से ……… आह हहहहह ……..। ”
और फिर हम दोनों ही एक साथ झड़ गये ।
मैं स्नेहा दीदी की चूत में ही अपना सारा वीर्य निकाल कर उनके ऊपर बेसुध होकर गिर पड़ा और मेरा लंड अभी भी दीदी की चूत में ही अटका हुआ था ।हम दोनों की साँसे बहुत तेज़ तेज़ चल रही थी । हम बिना कुछ बोले कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहे ।
फिर मैंने दीदी के कान में कहा , ” तुमने कर दिखाया दीदी , तुम जीत गयीं !!! ”स्नेहा दीदी मुस्कुरायी और मेरे गाल पर किस करते हुए बोली , ” welcome back bro !!! ”
to be continued………