Bhabhi Ki Vasna Mitayi Devar Ne
दोस्तों मेरा नाम सुमन है और मेरी उम्र 30 साल है। मेरी शादी को पूरे तीन साल हो गये है और मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते है और में भी उनको अपने मन से बहुत चाहती हूँ इसलिए हमारा जीवन बहुत प्यार से एक दूसरे के साथ हंसी ख़ुशी से गुजर रहा था। दोस्तों में एक छोटे से गाँव की रहने वाली हूँ इसलिए मेरी सेक्स के बारे में इतनी ज्यादा जानकारी नहीं है इसलिए मुझे जो भी जैसा भी सेक्स मेरे पति से मिलता में उसमे संतुष्ट हो जाती थी, लेकिन मेरे पति मुझे हर रात को चोदते और में उनके उस काम से बहुत खुश रहती, लेकिन एक दिन मेरे पति शाम को अपनी नौकरी से वापस घर पर आते समय अपने साथ एक ब्लूफिल्म लेकर आ गए और उन्होंने मुझे वो लगाकर दिखाई। मैंने उसको अपनी चकित नजरों से देखा कि उसमे जो वो हीरो था उसका लंड बहुत बड़ा और साथ साथ मोटा भी था और उसकी अपेक्षा में मेरे पति का लंड आकार में बहुत ही छोटा था और अब असली कहानी शुरू होती है।
दोस्तों उस ब्लूफिल्म में उस लंड को देखने के बाद मेरे पति ने मेरी चुदाई ठीक वैसे ही की, लेकिन उस पूरी चुदाई के समय मेरे मन में अब किसी बड़े लंड को अपने सामने देखने, उसको छूने की और उससे अपनी चुदाई करवाने की ललक बढ़ गई और मेरा मन बड़े लंड की तलाश में इधर उधर भटक रहा था। मेरे मन में ना जाने क्या कैसी कैसी बातें आने लगी। एक दिन मेरे पति ने मुझसे कहा कि वो किसी काम से कहीं बाहर जा रहे है तो इसलिए जोधपुर से उनका छोटा भाई यानी की मेरा देवर उसका नाम समीर है, वो हमारे घर में जब तक मेरे पति नहीं आते वो तब तक मेरे पास रहने के लिया आ रहा है। फिर मेरे पति के चले जाने के दूसरे दिन मेरा देवर मेरे घर पर आ गया। वो दिखने में बहुत अच्छा लगता था और उसकी उम्र 24 साल का वो एक जवान मस्त लड़का था जिसकी अभी तक शादी भी नहीं हुई थी। मेरी उससे बहुत अच्छी बनती और हमारे बीच हमेशा हंसी मजाक चलता वो कभी कभी मस्ती में इतना आगे बड़ जाता कि वो मुझे पीछे से आकर अपनी गोद में उठा लेता और जैसे ही उसके हाथ मेरे मुलायम पेट को छूते तो उस स्पर्श से मेरे पूरे बदन में आग सी लग जाती, लेकिन फिर में कैसे भी करके शांत जो जाती।
दोस्तों मेरे पति को गए हुए अब पूरे चार दिन हो गये थे जिसका मतलब साफ था कि अब मेरी चूत लंड लेने अपनी चुदाई करवाने के लिए छटपटा रही थी और में कैसे भी करके अपनी चूत को शांत करना चाहती थी। में उसके लिए कोई भी अच्छे मौके की तलाश में थी और अपनी चूत की चुदाई के नये नये विचार बना रही थी, तभी मैंने एक दिन सोचा कि क्यों ना मेरी चुदाई करने के लिए देवरजी को तैयार किया जाए, लेकिन मेरे मन में उस काम को अपने देवर के साथ करने में थोड़ा बहुत डर था कि कहीं मेरी वो बात उल्टी ना पड़ जाए वो यह मेरी चुदाई वाली बात किसी को ना बता दे और अब इसलिए मैंने देवरजी के मन की पूरी बात को जानने के लिए में नहाने के बाद अपनी पेंटी ब्रा को धूप में सुखा देती और फिर में शाम को जानबूझ कर अपने देवर जी को वो कपड़े उतारकर लाने के लिए कहती और तब में उनकी हरकतों को बहुत ध्यान से देखती। फिर मैंने देखा कि मेरे देवरजी मेरी ब्रा, पेंटी को तो बहुत अच्छी तरह से छूकर महसूस करके उनको बड़े ध्यान से देखते। फिर में एक दिन उनकी उस हरकत को देखकर तुरंत समझ गई कि मेरी बात बन सकती है इसलिए में अब जानबूझ कर उनको अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए में हर कभी उसको अपने गोरे गोलमटोल बूब्स के दर्शन करवाने लगी जिसको वो बड़े ध्यान से अपनी खा जाने वाली नजरों से देखता। में उसके सामने हमेशा कुछ ज्यादा ही नीचे झुककर झाड़ू लगाती और वो मेरी छाती को बड़ा घूर घूरकर देखता और में बहुत खुश हो जाती। एक दिन में बाथरूम से नहाने के बाद अपने गोरे बदन पर एक पतला सा कपड़ा लपेटकर अपने कमरे में आकर उसको हटाकर ब्रा, पेंटी पहनकर कांच के सामने खड़ी हुई थी और में अपने गोरे कामुक बदन को ऊपर से लेकर नीचे तक देख रही थी और मैंने जानबूझ कर अंदर आते समय अपने कमरे के दरवाजे को थोड़ा सा खुला हुआ छोड़ दिया था जिसकी वजह से कुछ देर बाद समीर जैसे ही मेरे कमरे के पास से निकला तो उसने खुले हुए दरवाजे से मुझे ब्रा, पेंटी में खड़े हुए देख लिया और वो वहीं पर रुक गया मुझे वो अपनी चकित नजरों से लगातार देखने लगा और में उसको अपने सामने लगे कांच से देखने लगी। उसको देखकर में अपने बूब्स पर अपने दोनों हाथ घूमाने लगी और बूब्स को ब्रा से बाहर निकालकर उनकी निप्पल को हल्के से दबाने लगी। उसको अपने गोरे जिस्म के दर्शन करवाने लगी। फिर कुछ देर बाद जैसे ही मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वो मुझे देखकर शरमाकर वहां से चला गया और में अब अपना दूसरा प्लान बनाने लगी।
दोस्तों उस रात को मैंने जानबूझ कर खाना खाने के समय मैंने बड़े गले की मस्त सेक्सी मेक्सी पहन रखी थी जिससे मेरे बड़े आकार के बूब्स उसको बहुत आसानी से नजर आ रहे थे जिसके अंदर मैंने ब्रा का हुक खुला छोड़ दिया था और फिर खाना खाते समय मैंने उससे पूछा कि समीर तुम आज सुबह मेरे कमरे में ऐसे क्यों झाँक रहे थे? तो वो मेरी उस बात को सुनकर शरमा गया और तभी मैंने उसका एक हाथ पकड़ा और उसको अपने बूब्स पर रखते हुए उससे कहा कि समीर में बहुत प्यासी हूँ। क्या तुम मुझे पानी पिलाओगे यह शब्द कहकर में उसके लिपट गई और उसको मैंने अपनी बाहों में भर लिया जिसकी वजह से मेरे बूब्स उसकी छाती से एकदम सट गए मेरी सांसे बड़ी तेज़ी से चलने लगी थी और उससे लिपटने के बाद मेरे शरीर में मेरी आग ज्यादा बढ़ने लगी। फिर समीर ने मुझसे कहा कि भाभी में भी आपको चोदने के लिए बहुत बेताब हूँ, लेकिन में डर रहा था कि कहीं आपको मेरी बात का बुरा तो नहीं लग जाएगा और फिर हम दोनों खुश होते हुए मेरे कमरे में चले गये और वहां पर जाते ही समीर दोबारा मुझसे लिपट गया और वो मेरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा और उनका रस निचोड़ने लगा में धीरे धीरे मदहोश होने लगी। फिर मैंने उससे कहा कि समीर अब तुम जल्दी से मेरे कपड़े उतार दो और पूरे शरीर में आग लगी है उसको आज तुम बुझा दो, उसने मेरे कहते ही मेरे पूरे कपड़े जल्दी से उतार दिए और मैंने भी उसके कपड़े उतार दिए, लेकिन जैसे ही मैंने पहली बार उसके लंड को अपने सामने देखा मेरे तो होश ही उड़ गए, क्योंकि उसका लंड करीब 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था। उसको देखकर मेरी आग और भी ज्यादा भड़क गई और मुझे उसको अपनी चूत में लेकर अपनी चुदाई करवाने की इच्छा होने लगी। अब वो नीचे झुककर मेरी चूत को बड़ी बेरहमी से चाट रहा था और साथ में मेरे बूब्स के निप्पल को भी निचोड़ रहा था, जिसकी वजह से में मस्ती में आकर झूम रही थी और अपनी गांड को उठाकर उसके सर को अपनी गीली कामुक चूत के मुहं पर दबाकर उससे अपनी चूत को चाटने के लिए प्रेरित कर रही थी और उसने मेरी चूत को जमकर चाटकर उसको झड़ने पर मजबूर कर दिया और मेरी चूत के पानी को उसने चाट चाटकर चूस लिया। अब में उसके लंड को अपने एक हाथ में पकड़कर उससे बोल रही थी कि समीर तुम्हारे भैया का लंड तो तुम्हारे लंड से बहुत छोटा, पतला भी है और तुम्हारा इतना बड़ा कैसे है? तब उसने मुझसे कहा कि भाभी आप तो बस आम खाओ पेड़ मत गिनो और फिर उसने अपना मोटा लंड मेरी छोटी सी गीली चूत के मुहं पर रखकर उसको एक जोरदार धक्का देकर अंदर धकेल दिया, जिसकी वजह से उसका पूरा का पूरा लंड एक ही धक्के में फिसलता हुआ अंदर जा पहुंचा, जिसकी वजह से मुझे हल्का सा दर्द जरुर हुआ, लेकिन मैंने उसको सह लिया, क्योंकि में उस समय बहुत जोश में थी और अब उसने ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए और मेरे मुहं से ऊऊह्ह्ह्ह आह्ह्हह्ह माँ मर गई की आवाज निकलने लगी थी, लेकिन उसके लंड से चुदाई करवाकर मज़ा भी मुझे बड़ा आ रहा था और उसके थोड़ी देर धक्के देने के बाद में दोबारा झड़ गई, लेकिन वो अब भी मुझे लगातार धक्के मारे जा रहा था और में कुछ मिनट धक्के खाने के बाद तीसरी बार फिर से झड़ गई, लेकिन वो अभी भी चालू था। फिर थोड़ी ही देर में उसके लंड का वीर्य वो गरम गरम माल मेरी चूत के अंदर ही निकल गया जो तेज धक्को की वजह से मेरी चूत की गहराईयों में जा पहुंचा और फिर वो कुछ देर बाद अपने धक्के बंद करके थककर मेरे ऊपर लेट गया और वो बड़े प्यार से मेरे बूब्स को चूसने लगा उनको दबाने सहलाने लगा। दोस्तों उस दिन की मेरी चुदाई से में पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी, क्योंकि मेरे देवर ने मेरी उस चुदाई में अपनी तरफ से कोई भी कमी नहीं छोड़ी और उसने मुझे बहुत जमकर लगातार बहुत देर तक चोदा और उस दिन के बाद मुझे पता चला कि में पूरी हो चुकी थी और में अपने जीवन में कितने बड़े मज़े से अब तक वंचित थी। उसके मोटे लंबे लंड को अपनी चूत में लेकर मुझे अपने जीवन में चुदाई का असली मज़ा पूरा सुख मिल गया ।।