लंड तडप रहा था चूत के लिए
Antarvasna, hindi sex story:
Lund tadap raha tha chut ke liye मैं काफी दिनों से नौकरी की तलाश में था लेकिन अभी तक मुझे कहीं नौकरी मिल नहीं पाई थी। मैंने अपने मामा जी के लड़के आकाश से जब इस बारे में बात की तो वह मुझे कहने लगा कि शोभित तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं तुम्हारी जॉब की बात अपने ऑफिस में ही कर लेता हूं। मुझे तीन महीने हो चुके थे और अभी तक मुझे कहीं भी जॉब नहीं मिल पाई थी मैं इस बात से बड़ा परेशान था लेकिन आकाश ने मेरी मदद की और मुझे अपने ऑफिस में ही उसने जॉब दिलवा दी। मैं जॉब करने लगा था मुझे काफी अच्छा भी लगता जब मैं सुबह जॉब पर जाता। पापा और मम्मी भी इस बात से काफी खुश थे क्योंकि मुझे काफी समय हो गया था मैं घर पर ही था परन्तु अब मैं नौकरी करने लगा था। मैं एक दिन अपने पापा के साथ जा रहा था जब मैं उनके साथ उस दिन ऑफिस जा रहा था तो उन्होंने मुझसे रास्ते में बात की और कहा कि शोभित बेटा तुम्हारी जॉब कैसी चल रही है। मैंने उन्हें कहा पापा मेरी जॉब तो अच्छी चल रही है।
उस दिन मेरी मोटरसाइकिल खराब थी इसलिए मैंने पापा से कहा कि आप मुझे भी मेरे ऑफिस तक छोड़ दीजिएगा उन्होंने कहा ठीक है बेटा मैं तुम्हें तुम्हारे ऑफिस तक छोड़ देता हूं। रास्ते भर वह मुझसे बातें करते रहे उन्होंने मुझे बताया कि वह दीदी के लिए रिश्ता ढूंढ रहे हैं। मैंने पापा से कहा कि पापा वैसे भी दीदी कि अब शादी की उम्र हो चुकी है और उनकी भी अब शादी हो जानी चाहिए पापा कहने लगे हां बेटा मैं भी यही सोच रहा हूं। पापा इस बात से बड़े परेशान थे क्योंकि कुछ समय पहले ही दादा जी की तबीयत खराब हुई थी जिसमें कि काफी पैसा लगा था और पापा के पास अभी इतने पैसे नहीं थे कि वह मेरी बहन की शादी धूमधाम से करवा पाए। पापा को मुझसे बड़ी उम्मीदें थी लेकिन मुझे भी अभी नौकरी लगे हुए कुछ समय ही हुआ था। हम लोगों की बात अधूरी रह गई और पापा मुझे छोड़ते हुए वहां से चले गए। मैं भी अपने ऑफिस चला गया लेकिन उस दिन मेरा ऑफिस में बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था। मेरे दिमाग में सिर्फ यही चल रहा था कि कैसे दीदी की शादी होगी उसके लिए मुझे भी कुछ करना था और मैं उनकी मदद करना चाहता था। मैं इस बात से बहुत खुश भी था कि अब दीदी की शादी हो जाएगी और जल्द ही उनके लिए रिश्ते भी आने लगे थे।
जब उनका रिश्ता हमारी ही पहचान के परिवार में हुआ तो मैं काफी खुश था और सब लोग बहुत ही ज्यादा खुश थे अब समस्या सिर्फ एक थी कि हम लोगों को पैसों का बंदोबस्त करना था। मेरे पापा बड़े ही स्वाभिमानी किस्म के हैं वह किसी से भी पैसे नहीं ले सकते थे इसलिए मुझे ही कुछ करना था और मैं चाहता था कि मैं पापा की मदद करूं। मैंने उनकी मदद की और अपने कुछ दोस्तों से मैंने पैसे ले लिए जिससे कि दीदी की शादी में कोई भी कमी ना रह जाए और दीदी की शादी धूमधाम से हो जाए। जब मैंने पापा को वह पैसे दिए तो पापा काफी खुश थे पापा ने मुझसे पूछा भी कि बेटा यह पैसे तुम्हारे पास कहां से आए तो मैंने पापा को कहा कि पापा मैंने यह पैसे ऑफिस से लिए है। मैंने पापा को कुछ पैसे दिए तो उन्हें भी आर्थिक रूप से उसमें मदद मिली और उन्होंने दीदी की शादी बड़ी ही धूमधाम से की। दीदी की शादी हो चुकी थी और हम लोग इस बात से बड़े खुश थे कि मैंने दीदी की शादी में पापा की मदद की। दीदी की शादी के बाद हमे काफी ज्यादा खराब लगा क्योंकि मैं दीदी के बहुत ही ज्यादा करीब था मैं दीदी को बड़ा मिस कर रहा था और मुझे दीदी से मिलने का मन भी था।
काफी दिन हो गए थे दीदी अपने ससुराल में ही थी वह हम लोगों से मिलने के लिए भी नहीं आई थी तो मैंने दीदी को एक दिन फोन किया। उस दिन शनिवार था और अगले दिन रविवार को मेरे ऑफिस की छुट्टी थी मैंने दीदी से कहा कि दीदी आप एक दिन के लिए घर आ जाइए तो दीदी ने कहा कि ठीक है मैं कोशिश करती हूं। अगले दिन दीदी घर आ गई सब लोग दीदी को देखकर बड़े खुश थे और मुझे इस बात की खुशी थी कि दीदी बड़ी खुश है और जब उनसे मैंने जीजा जी के बारे में पूछा तो वह कहने लगी कि तुम्हारे जीजा जी मेरा बहुत ही ध्यान रखते हैं और घर में सब लोग मुझे बहुत प्यार करते हैं। दीदी की शादी शुदा जिंदगी बड़े ही अच्छे से चल रही थी और मैंने दीदी के साथ में काफी अच्छा समय बिताया और उस दिन हम सब लोग साथ में घूमने के लिए भी गए। काफी समय बाद हमारा पूरा परिवार एक साथ था और हम लोग काफी खुश थे। उस रात घूमने के बाद घर आते वक्त दीदी ने मुझे बोला कि शोभित कल तुम मुझे मेरे ससुराल छोड़ देना। मैंने दीदी से कहा कि ठीक है मैं आपको कल छोड़ दूंगा। उस दिन मुझे बड़ी ही गहरी नींद आ रही थी तो मैं जल्दी ही सो गया। मैं अगले दिन उठा तो उस वक्त सुबह के 6:00 बज रहे थे मैं जल्दी उठ गया था जब मैंने नाश्ता किया तो उस वक्त 9:00 बज रहे थे।
मैं दीदी को छोड़ने के लिए दोपहर के लंच के बाद गया और थोड़ी देर उनके घर पर रुका फिर मैं वापस आ गया था। जब मैं वापस आया तो मां ने मुझे पूछा कि बेटा तुमने ललिता को तो छोड़ दिया था ना। मैंने मां से कहा हां मां मैंने दीदी को घर पर छोड़ दिया था और उसके बाद मैं अपने रूम में चला गया।एक दिन मैं अपनी कॉलोनी के गेट के बाहर से निकला ही रहा था मुझे वहां पर एक लड़की दिखी। मैंने उसे पहली बार ही देखा था उससे पहले मैंने उसे कभी भी देखा नहीं था लेकिन वह लड़की मुझे काफी पसंद आई और मैं उससे बात करना चाहता था परंतु मुझे जब उस लड़की के बारे में पता चला तो मैं काफी शॉक्ड हो गया। मुझे हमारी कॉलोनी के दुकानदार ने बताया वह बिल्कुल भी ठीक नहीं है उसका चरित्र बिल्कुल ठीक नहीं है। मैंने भी उससे बात करने की सोची और जब मेरी आशा से बात हो गई तो मुझे नहीं मालूम था वह एक कॉल गर्ल है। जब मैंने उससे बात की तो वह मुझसे पैसे की बात करने लगी मैंने उसे कहा ठीक है मैं तुम्हें पैसे दे दूंगा। मैंने उसे कहा क्या मैं तुम्हारे घर पर आ सकता हूं? वह कहने लगी हां क्यों नहीं उसने उस रात मुझे अपने घर पर बुला लिया। मैंने घर पर बहाना बना लिया था मैं आज घर नहीं आऊंगा और उस रात में आशा के साथ रूकना चाहता था आशा मुझे उस दिन जन्नत की सैर करवाने वाली थी।
हम दोनो साथ मे बिस्तर पर लेटे हुए थे। मुझे उसके बदन को देख कर बड़ा ही अच्छा लग रहा था। मैं उसे महसूस करने लगा था जैसे ही मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू किया तो मुझे अच्छा लगने लगा था। मैं काफी खुश था मैंने उसके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया था उसके बदन से मैं पूरे कपड़े उतार चुका था जिसके बाद वह काफी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी और मुझे कहने लगी मैं बहुत ज्यादा गरम हो गई हूं। मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था ना ही वह अपने आपको रोक पा रही थी शायद यही वजह थी मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाला तो आशा ने उसे अपने हाथों में ले लिया।
उसे जैसे लंड को सकिंग करने की आदत थी वह मेरे लंड को पूरे मुंह के अंदर तक लेने लगी थी मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था जिस तरीके से वह मेरे मोटे लंड को चूस कर मेरी गर्मी को बढाए जा रही थी। मेरी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी मैं पूरी तरीके से उत्तेजित भी हो चुका था क्योंकि मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रहा था इसलिए मैंने आशा की चूत मारने का फैसला किया लेकिन उसने मेरे लंड पर कंडोम चढ़ा दिया। कंडोम चढ़ाने के बाद उसने मुझे कहा तुम मेरी चूत मार लो। उसने अपने पैरों को खोल लिया था उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था उसकी योनि के अंदर जब मैंने अपने लंड को प्रवेश करवाया तो मैं बहुत ज्यादा खुश हो गया और मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था। मैं उसे अच्छे से चोदे जा रहा था। मैं उसकी चूत के अंदर बाहर लंड को करे जा रहा था।
वह मुझे कहने लगी तुम ऐसे ही मुझे धक्के मारते रहो। मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के मार रहा था और उसकी चूत मारने में मुझे जो आनंद आ रहा था वह एक अलग ही अनुभूति पैदा कर रहा था। मैं बड़ा खुश था जिस तरीके से मैंने उसकी चूत का आनंद लिया मेरे अंडकोष से वीर्य बाहर निटलने वाला था लेकिन मैं चाहता था मैं अपने वीर्य को उसकी योनि के अंदर गिरा दूं। मैंने अपने लंड से कंडोम को उतार कर उसकी चूत के ऊपर अपने वीर्य की पिचकारी डाली जिस से कि उसकी योनि पूरी तरीके से गीली हो गई थी और वह मुझे कहने लगी आज तो मजा ही आ गया।
उसके बाद उसने अपनी योनि को साफ करते हुए कहा तुमने मुझे अपना दीवाना बना दिया है यह कहकर उसने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसे बहुत अच्छे से सकिंग करने लगी। वह जब मेरे मोटे लंड को सकिंन कर रही थी तो मुझे मज़ा आ रहा था और उसे भी काफी ज्यादा मजा आने लगा था जिस तरीके से वह मेरे मोटे लंड को चूसकर मेरे वीर्य को बाहर निकालने वाली थी उससे मैं बड़ा खुश हो गया था और उसने ऐसा ही किया। उसने मेरे लंड से मेरे वीर्य को बाहर निकाल दिया था उसके बाद मैं और वह एक दूसरे की बाहों में लेट चुके थे। मैं आशा की चूत मारने के लिए अक्सर तैयार रहता हूं मैं उसे चोदने के लिए उसके घर पर चला जाता था।