मेरी छात्रा और उसकी अन्तर्वासना
हेल्लो मेरे प्यारे दोस्तों आज मेरा मन कर रहा है मैं कि मैं आज आपसे बहुत साड़ी बातें करूँ पर आज मुझे आपसे एक कहानी बतानी है जो की मेरी सची घटना है | मैंने वैसे तो कभी भी कुछ गलत नहीं किया पर एक बार मुझसे भी गलती हो चुकी है और मैंने कभी भीं इसके बारे में किसी को नहीं बताया | यहाँ तक कि अपनी पत्नी को भी इस चीज़ से अनजान रखा हुआ है | इस बात को हुए करीब चार साल हो गए हैं पर आज भी जब वो मेरे ज़हन में आती है तो मेरी रूह से आत्म गिलानी की ज्वाला बाहर निकलने लगती है | जिस इंसान के साथ मैंने गलत किया वो अभी भी मेरी उतनी इज्ज़त करता है पर फिर भी मुझे तो बुरा लगता ही है क्यूंकि मैं एक सत्यवादी किस्म का इंसान हूँ और मुझे ज्यादा तीन पांच में रहने की आदत नहीं है | क्या कभी सोचा है उस इंसान के बारे में जो आपके लिए कुछ भी कर सकता हो पर फिर भी आप उससे कुछ छुपाओ तो कितना बुरा लगता है दिल को | ये मैंने महसूस किया है जब भी मैं अपनी बीवी का चेहरा देखता हूँ |
तो दोस्तों मेरा नाम है पीपरा चंद मोहनदास और मैं मध्य प्रदेश के छोटे से गाँव भिटोनी से हूँ और जबलपुर में रहके अपना जीवन यापन करता हूँ | मैं एक सरकारी स्कूल में शिक्षक हूँ और वो स्कूल काफी अच्छा है | हमारे स्कूल का नाम पूरे शहर और बाहर भी प्रसिद्द है क्यूंकि यहाँ के छात्र बड़े ही विद्वान् और कर्मठ होते हैं | मैं यहाँ विज्ञान का शिक्षक हूँ और मैंने कई छात्र एवं छात्राओं को ऊँचाइयों तक पहुंचाया है और वो सब मेरे आभारी भी हैं | अब तो आप समझ गए होंगे मेरे विचार मेरे सिद्धांत हमेशा ऊपर रहते हैं | पर वो दिन न जाने क्या हो गया था मुझे और मैंने कैसे वो कृत्य कर लिया | अब तो मुझे कई साल हो गए हैं पर फिर भी एक टीस जब मन में उठती है तब आप नहीं समझ सकते कैसा लगता है | उसके बाद मैंने मन में सोच लिया जब भी मुझे मौका मिलेगा मैं उससे माफ़ी मांग लूँगा और ये मैं कर चूका हूँ | चलिए मैं आपको अब बता देता हूँ कि ये सब हुआ कैसे और कौन है वो इंसान जिसके बारे मैं बात कर रहा हूँ और क्या हुआ हमारे बीच जिस वजह से मैं आज इतनी साड़ी बातें आपसे कर रहा हूँ |
दोस्तों मेरी कक्षा में हमेशा बच्चे खुश रहते थे और दूसरी कक्षा के बच्चे भी मुझसे ही पढ़ते थे | मैंने कभी किसी में भेदभाव नहीं किया क्यूंकि ज्ञान फैलाना ही मेरा धर्म है | इसलिए मैंने बच्चो को भी भी कभी किसी से पीछे नहीं रहने दिया | किताबी ज्ञान के साथ मैंने उनको बाहरी ज्ञान भी दिया जिससे उनका पूरा विकास हो और वो आगे तक जाए | मेरी कक्षा में लड़के एवं लड़कियां दोनों पढ़ती थी कुछ होशियार थे और कुछ थोड़े कमज़ोर | पर मैं हमेशा सब पे उतना ही ध्यान देता क्यूंकि मुझे सबका पूरा विकास चाहिए था | इसलिए मैंने कभी किसी को किसी से कम नहीं समझा | पर वो लड़की कुछ अलग थी हमेशा मेरे पास रहती और पढने में सबसे तेज़ | उससे कुछ भी पूछो वो हमेशा जवाब के साथ तैयार रहती थी | मैंने कभी उसके लिए कुछ बुरा नहीं सोचा पर ना जाने क्यों कुछ दिनों से वो मेरी तरफ कुछ ज्यादा ही आकर्षित थी | मैं ये समझ चूका था पर मुझे लगा इसको मुझसे और ज्ञान चाहिए इसलिए ये मेरे पास आ रही है इतना |
उसकी बातें भी अजीब सी हो गयी थी क्यूंकि एक दिन मैंने उससे पुछा की सबसे ज्यादा घनत्व किस्मे होता है तो उसने कहा आपके प्यार में | मैंने कहा अनीता तुमाहरा ध्यान कहाँ है ? उसने मुझसे कहा कुछ नहीं सर बस ऐसे ही | मैंने कहा बेटा ध्यान लगाओ तुम्हे विदेश में अपने भारत का नाम रोशन करना है | उसने कहा सर आप जो भी बोलेंगे मैं वो बिना सोचे समझे कर जाउंगी | मैंने कहा बेटा क्या बोल रही हो आज क्या हो गया है तुमको ? उसने कहा सर मुझे कुछ हो गया है पता नहीं कल से मैंने कुछ पढ़ाई भी नहीं की है | मैं समझ गया इस बच्ची को अकेले में समझाने की ज़रूरत है | मैंने कहा बेटा कल मेरा कोई काम नहीं है और मुझे किसी कक्षा में भी नहीं जाना तो तुम का प्रयोगशाला में आ जाना | मैंने सोचा मैं सब ठीक कर दूंगा और इसी उम्मीद के साथ मैं अगले दिन चला गया | वो अगले दिन आई और और उसने कहा सर मैं आपसे प्यार करने लगी हूँ | मैंने कहा क्या बोल रही हो अनीता तुम्हे पता भी है ? उसने कहा सर मैं पूरे होश में हूँ |
मैंने कहा बेटा मैं तुमहरा गुरु हूँ और हमारे बीच ये नहीं हो सकता इसलिए मैं तुमसे गुजारिश करता हूँ कि ये सब अपने दिमाग से निकाल दो | उसने कहा सर अब तो आप बस हो मेरे मन में कैसे निकाल दूँ आपको | मैंने सोचा इसको घर भेज देता हूँ तभी मेरे लिए अच्छा रहेगा | मैंने कहा बेटा आप कल आना आपका दिमाग अभी ठीक नहीं है | तुम्हे कुछ जूनून सवार हो गया है इसे उतार दो | वो चली तो गयी पर जाते जाते कहा सर ये तो नहीं होगा आप चाहे जो करलो | मैंने मन में सोचा ये क्या हो गया है इसको ठीक करना पड़ेगा पर किस्मत को तो कुछ और ही मंज़ूर था | वो अगले दिन फिर से प्रयोग्शाला में आई और उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया | मैं उससे छूटने के लिए जतन कर रहा था पर मैं असफल रहा इस चीज़ में | अब वो मुझे इतने जोर से दबा रही थी और उसके स्तन मेरी पीठ पे लग रहे थे | वो मुझे पीछे से चूम रही थी और मुझे इस चीज़ से जोश आ रहा था | मैंने अब सोचा इसको रोकना मुश्किल हो जाएगा |
फिर मैंने उसको जैसे तैसे दूर किया पर इस बार उसने अपने कपडे उतार दिए | मैं उसकी तरफ नहीं देखा और वो कपडे उतारती गयी | अब मेरा भी लंड खड़ा होने लगा पर मैंने फिर भी ध्यान नहीं दिया | पर जब उसे ये बात पता चल गयी तब वो बैठ गयी और अपनी योनी में ऊँगली डालने लगी और मादक आवाज़ निकालने लगी | मेरी प्रयोगशाला में आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः की आवाज़ें गूँज रही थी | फिर उसके बाद वो मुझसे कहने लगी सर आपन नहीं आयेंगे तो मैं और जोर से आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः करुँगी |
मैंने सोचा इसके पास जाके इसको समझाता हूँ पर मेरा जाना गलत हो गया | जैसे ही मैं वहाँ गया उसने अपने स्तन पे मेरा मुह लगा दिया और कहा चूसो सर नहीं तो बदनाम कर दूंगी | अब मैं क्या करता मैंने चूसना शुरू कर दिया और उसके बाद वो और मादक हो गयी | उसकी योनी से तरल पदार्थ निकलने लगा जिसे वो रगड़ रही थी और आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः कर रही थी | फिर उसने मेरा मुह अपनी योनी पे लगा दिया और चटवाने लगी और फिर से आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः करने लगी | अब वो उठी और उसने मेरे कपडे खोल दिए और मेरा लिंग हिलता हुआ बाहर आ गया और खड़ा हो गया | उसने मेरे लिंग को चोसना शुरू किया और मेरी सिस्कारियां निकलने लगी |
फिर वो मेरे लिंग और जोर से चाटने लगी और मैं आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः करने लगा | उसके बाद मेरा वीर्य उसके मुह में गिर गया | मेरा लिंग खड़ा ही था फिर उसने मुझे लेताया और मेरे लिंग पे अपनी योनी का छिद्र रख के उसपे बैठ गयी और उचकने लगी | मुझे भी अच्छा लगने लगा और मैंने भी उसके साथ ज़ोरदार सम्भोग किया और वो भी बिना कंडोम के | वो बस आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः करते हुए सम्भोग करवाती रही और मेरा वीर्य अपनी योनी में गिरवाती रही |